Open Naukri

Malala Yousafzai: साधारण सी दिखने वाली एक ऐसी लड़की जिसने दुनियाभर के लोगों के लिए मिसाल कायम की है



“वो वही है जो पूरे समंदर को प्याले में भरना चाहती है
और उसकी उड़ान को ये ख्वाब देखने का हक है।

हक तो सबको है लेकिन इतना आसान नहीं है ‘मलाला यूसुफजई’ हो जाना।”

जी हां आपने सही पहचाना आज आप पढ़ने वाले हैं 9 अक्टूबर 2012 की उस घटना के बारे में जिसने मलाला (Malala Yousafzai) की आवाज़ को खत्म करने की कोशिश की थी।

तालिबानी आतंकवादियों ने 17 साल की लड़की (Malala Yousafzai) के सर के बाएं हिस्से पर गोली मार दी थी। इसके पीछे की वजह ये थी कि वो लड़की महिलाओं के लिए अनिवार्य शिक्षा की मांग करती थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते हुए तनाव को लेकर भी मलाला यूसुफजई ने एक बात कही थी। जिसे सभी को पढ़ना चाहिए।

मलाला यूसुफजई (Malala Yousafzai) ने लिखा था कि

““एक नोबेल विजेता, यूएन मैसेंजर ऑफ पीस, पाकिस्तान की एक नागरिक और एक छात्रा होने के नाते मैं भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने से परेशान हूं- और उन लोगों के लिए चिंतित हूं जो सीमा के दोनों तरफ रहते हैं।”

इस लेख के मुख्य बिंदु-

  1. कौन हैं मलाला यूसुफजई?
  2. साल 2008 में तालिबान ने स्वात घाटी में कब्ज़ा कर लिया था
  3. ‘बीबीसी’ के लिए डायरी लिखी और दुनिया की नज़र में आई
  4. साल 2012 और मलाला पर तालिबानी हमला
  5. मलाला यूसुफजई को अवॉर्ड्स और सम्मान
  6. सरांश

कौन हैं मलाला यूसुफजई (Malala Yousafzai story)?

साल 1997 में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के स्वात जिले में एक बच्ची का जन्म हुआ। किसने सोचा था कि इसी बच्ची को साल 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाएगा। उस बच्ची का नाम मलाला यूसुफजई (Malala Yousafzai) रखा गया था। आपको बता दें कि मलाला के पिता का नाम जियाउद्दीन यूसुफजई है। बात शुरू होती है साल 2007 से 2009 तक की इस बीच पाकिस्तान के स्वात जिले में तालिबान का कब्ज़ा था। तालिबानियों ने तब लड़कियों के स्कूल जाने पर बैन लगा दिया था। उस समय मलाला  (Malala Yousafzai education) आठवीं कक्षा में पढ़ा करती थीं। मलाला यूसुफजई के जीवन का संघर्ष भी यहीं से शुरू हुआ था।

Also Read – Mother Teresa: The Angel in Disguise

साल 2008 में तालिबान ने स्वात घाटी में कब्ज़ा कर लिया था

बीबीसी के लिए डायरी लिखीं और दुनिया की नज़र में आईं-

साल 2012 और मलाला (Malala Yousafzai) पर तालिबानी हमला

साल 2012 आ चुका था। मलाला यूसुफजई (Malala Yousafzai) अपने बागी तेवर के लिए प्रसिद्धी की ऊंचाइयों में पहुंच रही थी। लोग उनको पसंद कर रहे थे लेकिन तालिबानी आतंकियों की नजर में वह खटक रही थी।

आतंकियों को इस बात का डर था कि आखिर कोई लड़की उनके विरोध में कैसे बात कर सकती है? उनसे सवाल कैसे कर सकती है? एक दिन का वाक़या है। जब मलाला अपने साथियों के साथ स्कूल के लिए स्कूल बस में जा रही थी तो उसी बस में तालिबानी आतंकी भी चढ़ गए थे। चढ़ने के बाद आतंकियों ने पूछा कि यहां मलाला कौन है? बस में किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन मलाला यूसुफजई (Malala Yousafzai) ने हिम्मत दिखाते हुए बोली कि मैं ही हूं मलाला इसके बाद क्या था आतंकियों को पता चल गया कि उनका टारगेट कौन है? उन्होंने एक गोली मलाला के सर पर मारी जो कि बायीं तरफ जाकर लगी थी। ये घटना 9 अक्टूबर 2012 को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात घाटी में घटी थी।

इस घटना के बाद मलाला की हालत काफी ज्यादा खराब हो चुकी थी उन्हें ब्रिटेन में क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल में एडमिट कराया गया था। मलाला के लिए सिर्फ पाकिस्तान से ही नहीं बल्कि पूरे विश्व से दुआएं आ रही थीं और दुआओं का असर भी हुआ और मलाला पूरी तरह से ठीक होकर वापस भी लौटीं।

मलाला यूसुफजई को अवॉर्ड्स और सम्मान (Malala Yousafzai awards)

महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए काम करने वाली मलाला यूसुफजई (Malala Yousafzai awards) को कई सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

सरांश

तालिबानियों ने जब मलाला पर हमला किया था। उसके बाद मलाला के शिक्षक ने कई मीडिया हाउस से बात करते हुए बताया था कि “मलाला के अंदर बचपन से ही एक अलग प्रतिभा थी। जब वो ढ़ाई साल की हुआ करती थीं। तभी से वो अपने पिता के स्कूल में  अपने से 10 साल बड़े बच्चों की क्लास में बैठा करती थीं। तब वो बोलती कुछ नहीं थीं बस सब हलचलों को गौर से निहारा करती थीं। स्वात घाटी में अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान भी मलाला हमेशा ही क्लास में फर्स्ट आया करती थीं। साधारण सी नज़र आने वाली इस लड़की में बचपन से ही एक अलग शक्ति थी। जिसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है।”