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RCEP (Regional Comprehensive Economic Partnership) क्या है?

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Regional Comprehensive Economic Partnership, जिसे कि दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार समझौता माना जा रहा है, इसके जरिए दुनिया की 30 प्रतिशत आबादी जुड़ जाएगी।

एशिया-प्रशांत के 15 देशों द्वारा दुनिया के सबसे बड़े व्यापार समझौते RCEP पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिनमें चीन भी शामिल है। RCEP का मतलब इन देशों के बीच क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी है। यह समझौता इसलिए किया गया है कि कोविड-19 महामारी की वजह से जो बहुत से देशों को बड़ा झटका लगा है, इससे उबरने में मदद उन्हें मिले। हालांकि, भारत इस समझौते का हिस्सा नहीं बना है। दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) का वार्षिक शिखर सम्मेलन हाल ही में आयोजित हुआ था, जिसके समापन के बाद RCEP पर 10 देशों द्वारा वर्चुअल तरीके से हस्ताक्षर किए गए हैं। इस लेख में हम आपको RCEP के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।

क्या है RCEP (Regional Comprehensive Economic Partnership)?

RCEP India को क्यों नहीं मंजूर?

चीनी जैसी महाशक्ति भी RCEP का हिस्सा बन गई, लेकिन भारत दुनिया की इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था होते हुए भी RCEP में शामिल नहीं हुआ। ऐसे में आपके मन में भी यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि ऐसी कौन-सी वजह रही है, जिसकी वजह से भारत ने RCEP में नहीं शामिल होने का फैसला लिया है। तो एक नजर हम डालते हैं इन्हीं कारणों पर:-

RCEP India को मंजूर नहीं होने से देश को कितना फायदा और नुकसान?

और अंत में

Regional Comprehensive Economic Partnership में शामिल नहीं होने के फैसले से भारत को कितना फायदा और कितना नुकसान होता है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन जिस तरीके से केंद्र की मोदी सरकार ने दुनिया के इतने बड़े व्यापारिक समझौते से खुद को अलग रखने का फैसला किया है, वैसे में यह माना जा सकता है कि इसके पीछे सरकार की कोई बड़ी सोच छिपी है और हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि भविष्य में भारत को इसका बड़ा लाभ मिलेगा।