मूल रूप से मशीन लर्निंग एक प्रकार का एल्गोरिथम है जो किसी सॉफ्टवेयर को सही रूप से चलाने में मदद करता है। इसके लिए वह यूजर द्वारा देखे गए कुछ परिणामों के आधार पर एक नमूना तैयार करता है और उस नमूने के आधार पर भावी पूछे जाने वाले प्रश्नों के पैटर्न को तैयार कर लेता है।
इस प्रकार कम्प्यूटर मानव मस्तिष्क की भांति सोचने और कार्य करने की क्षमता प्राप्त कर लेते हैं जिसमें समय के साथ निरंतर विकास होता रहता है।
मशीन लर्निंग को आर्टिफ़िशियल इंटेललिजेंस का उपयोग या एप्लिकेशन भी माना जाता है। इसके अंतर्गत एक विचार के माध्यम से आंकड़ों को डिजिटल डिवाइस तक इस प्रकार पहुंचाया जाता है जिससे वो स्वयं ही काम करना सीख लें।
मशीन लर्निंग कैसे काम करती है ?
मशीन लर्निंग के काम करने के तरीके को समझने के लिए इसके प्रकार को समझना बहुत जरूरी है। सामान्य रूप से मशीन लर्निंग एल्गोरिथम सामान्य रूप में दो प्रकार के होते हैं :
निरीक्षित एल्गोरिथम (Supervised Algorithm)
मशीन लर्निंग के इन दोनों प्रकार के एल्गोरिथ्म के लिए अलग-अलग प्रकार के विशेषज्ञ की ज़रूरत होती है। निरीक्षित या सुपरवाइज्ड एल्गोरिथ्म के निर्माण का काम डेटा विशेषज्ञ और विश्लेषक या एनेलिस्ट के द्वारा किया जाता है। इन लोगों को मशीन लर्निंग तकनीक का सम्पूर्ण ज्ञान होता है और मशीन को सही ढंग से काम करने के लिए प्रोग्राम तैयार करता है। डेटा विशेषज्ञ का मुख्य विशेष रूप से देखते हैं कि इस एल्गोरिथ्म के निर्माण के लिए किस वैरिएयब्ल और फीचर का प्रयोग किया जाना चाहिए। इस निर्माण के पूरा होते ही यह एल्गोरिथ्म नए डेटा पर स्वयं ही लागू हो जाती है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि निरीक्षित एल्गोरिथ्म का निर्माण डेटा विशेषज्ञ की देख-रेख या निगरानी में होता है।
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अनिरीक्षित एल्गोरिथम (Unsupervised Algorithm)
इस एल्गोरिथ्म के निर्माण के लिए विशेष निरीक्षण या प्रशिक्षण की जरूरत नहीं होती है। इसके निर्माण में जिस तकनीक का प्रयोग किया उसे इंटरेटिव एप्रोच या डीप लर्निंग कहा जाता है। इस एल्गोरिथ्म को नियुरल नेटवर्क्स के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य रूप से यह तकनीक जटिल प्रोसेसिंग जैसे इमेज रेकीगनेशन, स्पीच तो टेक्स्ट और नैचुरल लैंगवेज़ जैनरेशन आदि क्षेत्रों में काम आती है। इस प्रकार के नियुरल नेटवर्क्र्स लाखों प्रशिक्षित डेटा को अपने आप जोड़कर वेरिएबल के साथ संबंध बना लेते हैं।
यह डेटा प्रशिक्षित होते ही नया डेटा सरलता से एल्गोरिथ्म का प्रयोग करते हुए काम करता है और नए डेटा को इंटरप्रेट भी सरलता से कर देता है। इस एल्गोरिथ्म में बिग डेटा का भी इस्तेमाल होता है क्योंकि इसके निर्माण के लिए बड़ी मात्रा में डेटा की आवश्यकता होती है।
मशीन लर्निंग एल्गोरिथ्म कितने प्रकार के होते हैं:
सामान्य रूप से मशीन लर्निंग एल्गोरिथ्म निम्न प्रकार के हो सकते हैं:
डीसीजन ट्री :
एल्गोरिथ्म की इस तकनीक में इसे प्रभावी ढंग से काम करने के लिए एक विशेष प्रकार के वैरिएयबल को ढूंढा जाता है।
के मीन्स क्ल्स्ट्रींग:
इस तकनीक में विशिष्ट प्रकार के डेटा का समूहिकारण करके सम्पूर्ण डेटा को व्यवस्थित कर दिया जाता है।
नियुरल नेटवर्क्स:
इस तकनीक में एल्गोरिथ्म के निर्माण के लिए प्रशिक्षित डेटा का प्रयोग करते हुए उनमें परस्पर संबंध स्थापित किया जाता है। इस प्रकार डेटा इस प्रकार से व्यवस्थित किया जाता है जिससे यह बाद में इनकमिंग डेटा को भी समूहों में विभाजित करके सारे डेटा को अच्छी प्रकार से दिखाता है।
मशीन लर्निंग का उपयोग कहाँ किया जा सकता है:
फेसबुक न्यूज फीड और मोबाइल एप के अतिरिक्त मशीन लर्निंग का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। जैसे ऑनलाइन शॉपिंग करते समय वेबसाइट पर लेंड करते ही जो आप विज्ञापन देखते हैं, वो मशीन लर्निंग तकनीक का ही कमाल है।
इसके अलावा मशीन लर्निंग का उपयोग ऑनलाइन धोखा-धड़ी को पकड़ने, स्पैम फिल्टर करने, थ्रेट पकड़ना और नेटवर्क सिक्यूरिटी के क्षेत्र में भी किया जाता है।
इसी प्रकार सभी ऑनलाइन सेल वाली वेबसाइट में कस्टमर प्रबंधन, व्यावसायिक इंटेलिजेंस के सॉफ्टवेयर में भी मशीन लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल होता है। मानव संसाधन एवं प्रबंधन क्षेत्र में भी कर्मचारियों के काम और विशेषज्ञता के आधार पर छंटनी करने के लिए मशीन लर्निंग तकनीक का ही उपयोग किया जाता है।
सेल्फ ड्राईविंग कारों और वर्चुअल असिस्टेंट टेक्नोलोजी में भी मशीन लर्निंग तकनीक का ही उपयोग किया जाता है।
भविष्य में मशीन लर्निंग का उपयोग अधिकतम चीजों में किए जाने की संभावना है जिसमें आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का रोल बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।