इस लेख में आप India Plastics Pact के महत्व के साथ इससे संबंधित सभी पहलुओं, अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका एवं प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में विस्तार से जानेंगे।
India Plastics Pact भले ही बीते 3 सितंबर को ही अस्तित्व में आया है, लेकिन इसके बारे में चर्चा पिछले काफी समय से हो रही थी। भारतीय उद्योग परिसंघ यानी कि CII और वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर के आपसी सहयोग से इसे लॉन्च किए जाने का फैसला पहले ही कर लिया गया था। आखिरकार सीआईआई के वार्षिक सस्टेनेबिलिटी समिति में आधिकारिक तौर पर इसे लॉन्च कर दिया गया। भारत के लिए यह इस हिसाब से बहुत ही महत्वपूर्ण है कि प्लास्टिक समझौता करने वाला भारत एशिया का पहला देश बन गया है। इस समझौते का उद्देश्य यही है कि एक सर्कुलर प्लास्टिक सिस्टम की ओर बढ़ा जाए और इसके लिए हर तरह के बिजनेस एक साथ आ जाएं।
India Plastics Pact UPSC के लिहाज से भी एक महत्वपूर्ण टॉपिक है और हम आपको बता दें कि यह एक ऐसा समझौता है, जिसके अंतर्गत पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला प्लास्टिक पर्यावरण से बाहर तो रहेगा ही, लेकिन अर्थव्यवस्था में मौजूद होगा। आखिर यह किस तरीके से संभव होने वाला है, इसके बारे में इस लेख में हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं।
भारत प्लास्टिक समझौता आखिर है क्या? | What is India Plastics Pact?
सबसे पहले तो हम आपको यह बता देते हैं कि आखिर भारत प्लास्टिक समझौता क्या है। इसमें दरअसल सभी तरह के बिजनेस, सरकारी और गैर सरकारी संगठन एक साथ सामने आकर एक अभियान चला रहे हैं, जिसका यह उद्देश्य है कि प्लास्टिक के प्रयोग को निरंतर घटाया जाए। इसे फिर से रिसाइकल किया जाए और दोबारा इसे महत्वपूर्ण कार्य में उपयोग में लाया जा सके।
भारत ने यदि इस अभियान को शुरू किया है तो इसके पीछे एक बहुत बड़ा लक्ष्य यही है कि राष्ट्रीय स्तर पर जितने भी तेजी से आगे बढ़ रहे बिजनेस हैं, उन सभी को एक साथ लाया जाए। साथ ही इसका उद्देश्य यह भी है कि इन सभी को एक निश्चित लक्ष्य को हासिल करने के लिए साथ काम करने हेतु राजी किया जाए।
भारत प्लास्टिक समझौते का सबसे बड़ा उद्देश्य यही है कि वर्तमान में जो प्लास्टिक का सिस्टम बना हुआ है, इसे पूरी तरीके से बदल दिया जाए। इसका लक्ष्य इसे एक सर्कुलर प्लास्टिक इकोनामी में तब्दील कर देना है और साथ में अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए और भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाना है।
भारत प्लास्टिक समझौते के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु | Key Facts about India Plastics Pact
India Plastics Pact UPSC की परीक्षा में पूछे जाने वाले सवालों में से एक हो सकता है। इसलिए इसके बारे में आपको यह जान लेना चाहिए कि कई तरह के पहलुओं या अभियानों का यह वास्तव में एक नेटवर्क है, जिसमें न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि राज्य स्तर पर भी हितधारकों को एक साथ लाने की मुहिम चलाई गई है।
देश से प्लास्टिक के प्रयोग को किस तरह से खत्म किया जाए, इसके तहत इसका समाधान सुझाया जाएगा। आपको यह भी मालूम होना चाहिए कि सबसे पहली बार प्लास्टिक समझौते की शुरुआत यूके में वर्ष 2018 में हुई थी।
भारत प्लास्टिक समझौते के तहत होंगे ये काम
- प्लास्टिक जो कि आज संपूर्ण देश के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन गया है, इसके इस्तेमाल को हतोत्साहित करने की दिशा में यह प्रणाली बड़ी ही कारगर साबित हो सकती है। इसके अंतर्गत नियमित इस्तेमाल के लिए अर्थव्यवस्था में जो सामग्री बहुत ही महत्वपूर्ण है, उन्हें बचाया जाएगा।
- सबसे बड़ी बात यह है कि इस अभियान के शुरू हो जाने के बाद भारत में प्लास्टिक सिस्टम में न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि इससे निवेश की नई संभावनाएं भी पैदा होंगी। साथ में नए अवसरों का भी सृजन हो पाएगा।
- इंडिया प्लास्टिक पैकेट इस उद्देश्य के साथ काम कर रहा है कि देश में प्लास्टिक के बड़ी संख्या में जमा होने की समस्या का स्थाई समाधान निकालने के लिए सार्वजनिक एवं निजी सहयोग को बढ़ावा दिया जाए और इस महत्वपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए दोनों क्षेत्रों के बीच पारस्परिक समन्वय को और सुदृढ़ किया जाए।
भारत प्लास्टिक समझौते के 4 महत्वपूर्ण लक्ष्य | 4 Important Objectives of India Plastics Pact
- फिर से डिजाइन करके और इनोवेशन की मदद लेकर प्लास्टिक की ऐसी पैकेजिंग को समाप्त करना, जो कि जरूरी नहीं है और जो समस्याओं को जन्म दे रही है।
- यह सुनिश्चित करना कि प्लास्टिक की जो पैकेजिंग की जा रही है, उसे फिर से इस्तेमाल में लाया जा सके।
- प्लास्टिक की पैकेजिंग को एक बार फिर से प्रयोग में लाने लायक बनाने के साथ इसका संग्रह करना और इसके लिए रिसाइकिल को प्रोत्साहित करना।
- प्लास्टिक पैकेजिंग में ऐसी सामग्री के इस्तेमाल को बढ़ाना, जिनका फिर से नवीनीकरण संभव हो।
इंडिया प्लास्टिक पैक्ट की जरूरत क्यों? | The Need for India Plastics Pact
India Plastics Pact की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि जब आप भारत पर नजर डालते हैं, तो यह पातें हैं कि यहां हर साल 9.46 मिलियन टन कचरे का उत्पादन होता है। इतना ही नहीं 40% प्लास्टिक कचरे का तो संग्रहण भी नहीं हो पाता है। भारत में वर्तमान में जितने भी प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है, उनमें से 43% का इस्तेमाल पैकेजिंग के लिए किया जाता है।
पैकेजिंग में इस्तेमाल में आने वाले प्लास्टिक का अधिकांश हिस्सा केवल एक ही बार उपयोग में आता है। यह खतरनाक इसलिए है, क्योंकि इनका नवीनीकरण हो पाना संभव नहीं है। ऐसे में यह प्रत्यक्ष तौर पर पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है। ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन वर्ष 2050 तक 56 गीगा टन तक पहुंच सकता है और इसका खुलासा सेंटर फॉर इंटरनेशनल एनवायरमेंटल लॉ की वर्ष 2019 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में हुआ है।
और अंत में
India Plastics Pact, जो कि वास्तव में वक्त की मांग है, इससे टाटा, अमेजॉन, कोका कोला इंडिया, हिंदुस्तान लीवर, मैरिको, आईटीसी और गोदरेज जैसे ब्रांड का जुड़ना यह बताता है कि इसके सफल होने की काफी संभावना है। इसमें कोई शक नहीं कि स्वच्छ भारत अभियान में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने में मदद मिलेगी, जिससे कि यह दुनिया एक बार फिर से रहने लायक बन जाएगी।