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E20 Fuel -वह जानकारी जो आपके लिए आवश्यक है



18 दिसंबर को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक अधिसूचना प्रकाशित की है, जिसमे जैव ईंधन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘E20’ ईंधन और उसके उत्सर्जन के मानकों को अपनाने के लिए जनता से ड्राफ्ट नोटिफिकेशन GSR 757(E) के द्वारा एक आम प्रतिक्रियां मांगी है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ‘E20 जैसे ‘ग्रीन फ्युएल’ के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा कि, 8 लाख करोड़ रुपये के कच्चे तेल के आयत के भार को कम करने के मद्देनजर सरकार ने यह कदम उठाया है। तो आइये दोस्तों ‘E20’ ईंधन को विस्तार से जानते हैं और समझते है आखिर कैसे ये हमारे कच्चे खनिज तेल के आयात पर प्रभाव डालता है।

‘E20’ ईंधन क्या होता है?

• E20 ईंधन, वास्तव में जैव ईंधन और जीवाश्म ईंधन का प्रायोगिक मिश्रण होता है , जिसे इथेनॉल और गैसोलीन के मिश्रण से प्राप्त किया जाता है। E20 ईंधन में 20% इथेनॉल तथा 80% गैसोलीन होता है। गैसोलीन को आम भाषा में पेट्रोल कहा जाता है, जिसे कच्चे खनिज तेल से परिष्कृत करके प्राप्त किया जाता है। पेट्रोल एक उच्च ज्वलनशील पदार्थ होता है, इसका उष्मीयमान भी अधिक होता है, वर्तमान में हल्के वाहनों में इसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।

• इथेनॉल, एक जैव या हरित ईंधन है, यह एक अस्थिर, ज्वलनशील और एक रंगहीन तरल पदार्थ है। इसे प्राकृतिक रूप से मक्का , भांग , गन्ना और आलू आदि से प्राप्त किया जाता है। इसे एथिल एल्कोहल भी कहा जाता है।

• इथेनॉल का उपयोग मादक पेय के एक सक्रिय घटक के रूप में भी किया जाता है। इथेनॉल का उपयोग एंटीसेप्टिक और कीटाणुनाशक के रूप में भी किया जाता है।

• वर्तमान में भारत में E20 ईंधन में गैसोलीन और इथेनॉल का मिश्रण अनुपात 10% अनुमोदित है ,जिसे 20% तक किये जाने के पक्ष में सरकार विचार कर रही है। किन्तु अभी तक हम केवल गैसोलीन तथा इथेनॉल के सम्मिश्रण के 5.6% तक ही पहुंच पाये हैं।

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‘E20’ Fuel की आवश्यकता एवं महत्व

• ‘E20 ईंधन’ के अंतर्गत गैसोलीन में 20% एथेनॉल को मिलाकर आटोमोटिव ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। यह अधिसूचना E20 के अनुरूप वाहन विकसित किए जाने की प्रक्रिया को सुगम बनाएगी।

• भारत सरकार द्वारा अगले 5 वर्षो में इथेनॉल आधारित अर्थव्यवस्था को 2 लाख करोड़ रूपये तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है , वर्तमान में देश में 22 हज़ार करोड़ की इथेनॉल अर्थव्यवस्था विद्यमान है।

• एथेनॉल मिश्रित गैसोलीन उपयोग योग्य वाहनों में गैसोलीन में एथेनॉल के प्रतिशत संबंधी विवरण वाहन निर्माता द्वारा दिया जाएगा और इस संबंध में वाहन पर एक स्पष्ट दिखाई देने वाला स्टीकर प्रदर्शित किया जाएगा।

• वर्तमान में भारत खनिज तेलों के लिए अरब देशो पर ही निर्भर करता है, अर्थात देश में खनिज तेल विदेशो से ही आयात किया जाता है। E20 ईंधन के इस्तेमाल से भारत की विदेशो पर खनिज तेल की निर्भरता कम होगी तथा विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि एवं बचत हो सकेगी। देश में ऊर्जा सुरक्षा भी बढ़ेगी।

‘E20’ Fuel की उपयोगिता

• E20 ईंधन का उपयोग करने से वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण में कार्बन डाई ऑक्साइड तथा कार्बन मोनो ऑक्साइड के उत्सर्जन की मात्रा अन्य पारम्परिक ईधनो की अपेक्षा कम होती है।

• अन्य पारम्परिक ईंधनों की अपेक्षा E20 ईंधन की कीमत अपेक्षाकृत कम होती है।

• अन्य पारम्परिक ईंधनों के समान E20 आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है, ये प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से वाहन के इंजन में किसी भी प्रकार का हानिकारक प्रभाव नहीं डालता है।

• चूँकि E20 ईंधन में इस्तेमाल होने वाला इथेनॉल मक्का , गन्ना, भांग , आलू आदि के पौंधो से तैयार किया जाता है, इसलिए E20 के इस्तेमाल से लोगो में मक्का , गन्ना, भांग , आलू आदि के उत्पादन के प्रति उत्सुकता बढ़ेगी और भविष्य में अधिक से अधिक लोगो के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।

• E20 एक जैव ईंधन है अतः यह जीवाश्म ईंधन की तुलना में पर्यावरण अनुकूल है।

जैव ईंधन विकास के लिए सरकार के सकारात्मक प्रयास.

जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018

• इस नीति का उद्देश्य आने वाले दशक के दौरान देश के ऊर्जा और परिवहन क्षेत्रों में जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना ,घरेलू फीडस्टॉक को बढ़ावा देना, जैव ईंधन के उत्पादन एवं उपयोगिता को बढ़ावा देना, नए रोजगार के अवसर पैदा करना और राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के अल्पीकरण में योगदान करते हुए जीवाश्म ईंधन को विकल्प बनाते हुए इसका तेज़ी से विकास करना है।

• इस नीति में जैव ईंधनों को निम्न श्रेणी में वर्गीकृत किया गया था।

1- ‘आधारभूत जैव ईंधनों’ यानी पहली पीढ़ी (1G) के बायोएथेनॉल और बायोडीज़ल .

2- विकसित जैव ईंधनों’ यानी दूसरी पीढ़ी (2G) के एथेनॉल .

3- निगम के ठोस कचरे (MSW) से लेकर ड्रॉप-इन ईंधन को तीसरी पीढ़ी (3G) के जैव ईंधन, बायो सीएनजी आदि.

• इस नीति द्वारा गन्ने का रस, चीनी युक्त सामग्री, स्टार्च युक्त सामग्री तथा क्षतिग्रस्त अनाज, जैसे- गेहूँ, टूटे चावल और सड़े हुए आलू का उपयोग करके एथेनॉल उत्पादन हेतु कच्चे माल के दायरे का विस्तार किया गया है।

प्रधानमंत्री जी-वन योजना, 2019

• इसे जैव ईंधन वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण योजना के नाम से भी जाना जाता है ,इस योजना का उद्देश्य वाणिज्यिक परियोजनाओं की स्थापना के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना और 2G इथेनॉल क्षेत्र में अनुसंधान तथा विकास को बढ़ावा देना है।

• केंद्र सरकार द्वारा जी-वन योजना के लिए कुल 1969.50 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी गई है. जिसमे से 1800 करोड़ रुपये 12 वाणिज्यिक परियोजनाओं की मदद के लिए, 150 करोड़ रुपये प्रदर्शित परियोजनाओं के लिए और बाकी बचे 9.50 करोड़ रुपये केन्द्र को उच्च प्रौद्योगिकी प्रशासनिक शुल्क के रूप में दिए जाने कि योजना है।

• इस योजना का परोक्ष उद्देश्य जीवाश्म ईंधन के स्थान पर जैव ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर आयात पर निर्भरता घटाने की भारत सरकार की परिकल्पना को साकार करना है। यह योजना बायोमास कचरे और शहरी क्षेत्रों से निकलने वाले कचरे के संग्रहण की समुचित व्यवस्था कर स्वच्छ भारत मिशन में योगदान करती है।

गोबर धन योजना, 2018

• इस योजना को गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन योजना की कहा जाता है।इस योजना का उद्देश्य उद्यमियों को जैविक खाद, बायोगैस / बायो-CNG उत्पादन के लिये गाँवों के क्लस्टर्स बनाकर इनमें पशुओं का गोबर और ठोस अपशिष्टों के एकत्रीकरण और संग्रहण को बढ़ावा देना है।

• इस योजना के अंतर्गत पशुओं के मल अथवा खेतों के ठोस अपशिष्ट पदार्थ जैसे कि भूसा , पत्ते इत्यादि को कंपोस्ट, बायोगैस या बायो सीएनजी बनाने के लिए उपयोग किया जायेगा।

• यह स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) को ध्यान में रखकर चलायी गयी थी। इस योजना द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर कम होना और किसानो की आय में बढ़ोतरी होना आदि कार्य सम्पादित हुए थे।

इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम

• इस कार्यक्रम को खाद्यान्न जैसे- मक्का, ज्वार, बाजरा, फल, सब्जियों के कचरे आदि से ईंधन निकालने के लिये शुरू किया गया है।

राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति

• राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति ने उस अधिशेष चावल की अनुमति प्रदान की, जो भारतीय खाद्य निगम के पास उपलब्ध है, जिसे इथेनॉल में परिवर्तित किया जा सकता है। इसका उपयोग E20 ईंधन बनाने में तथा हैंड सैनेटाइजर बनाने में किया जा सकता है।

सुनहरे भविष्य में सम्भावनाये

• E20 एक जैव ईंधन है , चूँकि इसे सीधे फसलों से प्राप्तकिया जाता है इसलिए ये एक नई नकदी फसलों के रूप में ग्रामीण और कृषि विकास में मददगार साबित हो सकता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है यहाँ पर भारी मात्रा में फसलें एवं कृषि अवशेष उपलब्ध हो जाते हैं , अतः यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि भारत में E20 ईंधन के उत्पादन की प्रचुर सम्भावनाये मौजूद हैं।

• एक अच्छी तरह से डिज़ाइन और कार्यान्वित जैव ईंधन नीति तैयार करके शहरों में उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट और नगरपालिका कचरे का उपयोग सुनिश्चित कर स्थायी जैव ईंधन उत्पादन के प्रयास किये जा सकते हैं।

उपसंहार

भविष्य में ख़त्म होते जीवाश्म ईंधनों तथा ग्लोबल वार्मिंग की आशंकाओं पर विचार करते हुए, वर्तमान में अपरंपरागत जैव ईंधनों की आवश्यकता तथा उपयोग जरुरी हो गया है। अभी से ‘E20’, बायो-डीज़ल, बायो-गैस, सौर ऊर्जा जैसे अपरम्परागत ईंधनों का प्रयोग एवं विकास ही हमारी भविष्य की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति कर सकता हैं। हमें आवश्यकता है ऐसे ही नवीनतम ईंधनों की खोज, विकास, अनुसन्धान एवं उपयोग करने की ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को एक सुरक्षित एवं ऊर्जा सम्पन्न भविष्य दे पायें, धन्यवाद।