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भारत का वैदिक इतिहास

भारत का वैदिक इतिहास या वैदिक काल मूलतः उस समय को कहा जाता है जब संस्कृत लिपि अपने चरम पर थी और इसी लिपि में सामान्यतः ऐतिहासिक और बड़ी रचनायें हुई | उस समय जो समाज देश में पनप रहा था वह वैदिक समाज कहलाया, वैदिक काल 1500 इसा पूर्व से 500 साल तक रहा, और इसी वैदिक सभ्यता ने हिन्दू धर्म की नींव रखी जो मूलतः भारतीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है | वैदिक काल के सुनहरे समय में संस्कृति में कई महान रचनायें हुई, वैदिक काल के बाद भारत में मौर्य साम्राज्य की नींव पड़ी |

वैदिक काल के प्रारंभिक दिनों में इंडो-आर्यन्स ने मिलकर इस काल की स्थापना की, जो अपने साथ कई परम्पराएं लेकर आये | यह मिली जुली सांस्कृतिक शुरुवात में मूलतः आदिवासी थे और छोटे कस्बों, गाँवों और जंगलो में रहते थे जो धीरे-धीरे गंगा के पठारो की तरफ बसने लगे | प्राम्भरिक वैदिक काल में समाज में कई परिवर्तन हुए, और कई कुरीतियाँ भी समाज में पनपने लगी जैसे वर्ण व्यवस्था, विवाह करने के नए नियम बनाये गए और समाज कई वर्गों में विभाजित होने लगा | पालतू पशुओं का धार्मिक महत्व बढ़ने लगा और धीरे धीरे समाज में अलगाववाद भी पनपने लगा, ब्राह्मण और क्षत्रिय को समाज में शीर्ष स्थान मिला और वैश्य और शुद्र सामाजिक संरचना में इनके नीचे आने लगे|

इन कुछ कुरीतियों के साथ साथ वैदिक काल में बहुत महान ग्रंथों की भी रचना हुई, कई प्रादेशिक भाषाओं का विकास हुआ, पारिवारिक जीवन को महत्व मिलने लगा | वैदिक काल के प्रारंभिक समय में ऋग्वेद जैसे महान ग्रंथों की रचना हुई, ऋग्वेद में कई धार्मिक कविताएं, कहानियाँ और मान्यताओं का संकलन है | वैदिक काल के मध्यकालीन समय में कृषि की कई तकनीक विकसित हुई, अर्थव्यवस्था की नींव पड़ी, लोगो ने पशुओ को पालना सीखा, जमीनों को सुरक्षित करना शुरू किया और इसके परिणाम स्वरुप कई राज्यों का भारत में उदय होना शुरू हुआ |

वैदिक काल का पतन स्थानीय राज्यों और शक्तियों के उभरने से होने लगा, और भारत धीरे-धीरे बहुत सारे प्रादेशिक राज्यो में बटने लगा | बाहरी आक्रमण भी वैदिक काल के पतन का एक बहुत बड़ा कारण रहा, वैदिक काल के अंतिम चरण में बुद्ध और जैन जैसे दूसरे धर्मो का भी उदय हुआ और यह भी वैदिक काल के पतन का कारण बना | और धीरे धीरे भारत बहुत सारे सम्प्रदायों, धर्मो, समाजों, और राज्यों में विभाजित होने लगा |