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EASE 3.0 से आसान हो जाएगी बैंकिंग, जानिए कैसे?

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को बढ़ावा देना और बैंकों के कामकाज को पहले से भी आसान बना देने के उद्देश्य से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा हाल ही में ईज 3.0 रिपोर्ट (EASE 3.0)’ को जारी किया गया है। सरकारी बैंक इस वक्त कर्ज के वितरण में अपेक्षित वृद्धि न होने पाने और ग्राहकों के साथ बैंक के संबंध अच्छे न होने जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। विशेष तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में व्यावसायिक कर्ज वितरण की दर में जो शाखा स्तर पर कमी आई है, उसे लेकर वित्त मंत्री ने चिंता जाहिर करते हुए बैंकिंग के क्षेत्र में नई तकनीकी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से EASE 3.0 पर बल दिया है।

क्या है EASE 3.0?

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लेकर हर साल एक रिपोर्ट जारी की जाती है, जो मूल रूप से एक आम सुधार रिपोर्ट होती है। इसे ही Enhanced Access and Service Excellence यानी कि EASE के नाम से जाना जाता हे। भारत सरकार और भारतीय बैंक संघ मिलकर इसे तैयार करते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में आवश्यक सुधार लाना और स्मार्ट बैंकिंग प्रणाली को अधिकतम तौर पर प्रोत्साहित करना ही इसका उद्देश्य होता है। पहली बार EASE 1.0 रिपोर्ट को वर्ष 2018 में जारी किया था। इसके बाद बीते वर्ष 2019 में ईज 2.0 को जारी किया गया था। EASE 3.0 के पीछे वित्त मंत्रालय की चाहत दरअसल ये है कि जिन जगहों पर लोगों का अधिक आना-जाना हो रहा है, उन जगहों पर होने वाले कामकाज को अधिकाधिक तौर पर कागज रहित कर दिया जाए और साथ ही डिजिटल बैंकिंग की सुविधा को ज्यादा-से-ज्यादा बढ़ाया जाए। इसलिए इसमें जो थीम चयनित हुए हैं, उनमें उत्तरदाई बैंकिंग के अलावा सरकारी बैंकों का उद्यमी मित्र की भूमिका निभाना, ग्राहकों की बातों को गंभीरता से लेना, ऋण की सुविधा उपलब्ध कराना और गहन वित्तीय समावेश शामिल हैं।

EASE 3.0 का महत्व

EASE 2.0 से आये बदलाव

वर्ष 2019 के मार्च से दिसंबर के दौरान EASE 2.0 के लागू किये जाने से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रदर्शन 35 फीसदी तक सुधर गया। यही नहीं, विभिन्न क्षेत्रों में इसकी वजह से व्यापक सुधार देखने को मिले। सर्वाधिक सुधार जिम्मेवार बैंकिंग के क्षेत्र में देखने को मिले। साथ ही कुटीर, लघु व मध्यम उद्योगों के लिए भी उद्यम-मित्र के तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने काम किया। सबसे आगे ईज 2.0 सूचकांक में भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और ओरिएण्टल बैंक ऑफ कॉमर्स रहे। वर्तमान वित्तीय वर्ष में EASE 2.0 की अंतिम रिपोर्ट उसके बाद रिलीज की जायेगी, जब बैंकों के प्रदर्शन के परिणाम आ जाएंगे।

ये सुधार हुए मार्च 2018 से दिसंबर 2019 के बीच में

आगे क्या?

निष्कर्ष

भारत में जो व्यावसायिक क्षेत्र में कई बदलाव हुए हैं, बैंकिंग प्रणाली पर भी उनका व्यापक प्रभाव पड़ा है। भविष्य की जरूरतों के मुताबिक वर्तमान बैंकिंग प्रणाली को ढालने के लिए तकनीकों को बढ़ावा देने के EASE 3.0 से क्रांतिकारी बदलाव देखे जाने की उम्मीद की जा सकती है।