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जानिए क्या है 22nd Law Commission of India, जिसे मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी?



केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाल ही में 22वें भारतीय विधि आयोग के गठन को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। सरकारी राजपत्र में गठन के आदेश के प्रकाशित किए जाने की तारीख से तीन वर्ष की अवधि के लिए इसके गठन को केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से स्वीकृति दे दी गई है। बीते 19 फरवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल की इसे लेकर बैठक हुई थी। वित्तीय वर्ष 2018 में 31 अगस्त को 21वें विधि आयोग का कार्यकाल समाप्त हो गया था। एक गैर संवैधानिक निकाय के रूप में विधि आयोग की पहचान है। सरकार की ओर से इसका गठन आवश्यकता के अनुसार समय-समय पर किया जाता है। मूल रूप से इस आयोग का गठन 1955 में किया गया था। तीन वर्षों के लिए इसका पुनर्गठन किया जाता है।

22nd Law Commission of India से लाभ

Law Commission of India की जिम्मेवारियां

Law Commission of India की पृष्ठभूमि

देश की प्रगति के साथ कानून के संहिताकरण में अलग-अलग विधि आयोग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। विधि आयोग समय-समय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करके जरूरी सुझाव देता रहा है। अब तक विधि आयोग की ओर से 277 रिपोर्ट भी पेश किए जा चुके हैं। इसमें जो लोग शामिल होंगे, उनकी सूची निम्नवत है:

निष्कर्ष

भारत जैसे देश में जहां कानूनी प्रक्रिया में सुधार की बड़ी आवश्यकता महसूस की जा रही हैं, वहां भारतीय विधि आयोग की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। विशेष तौर पर संविधान में वर्णित नीति निर्देशक तत्वों, जिनका उद्देश्य देश में सामाजिक कल्याण को प्रोत्साहित करना है, उनके मुताबिक कानूनों के निर्माण और उन्हें अमलीजामा पहनाने में 22वां भारतीय विधि आयोग खास भूमिका निभा सकता है।