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विश्व के पहले रॉकेट का निर्माण जिसने किया

भारतीय इतिहास में केवल एक शख्सियत हैं जिसे एक टाइगर, विश्व का सबसे पहला रॉकेट (iron-cased rockets) के निर्माण, ब्रिटिश शासकों से अपने राज्य को बचाने के लिए सबसे पहला भारतीय राजा का सम्मान प्राप्त है। यह शख्सियत और कोई नहीं बल्कि मैसूर राज्य के राजा फतेह अली टीपू थे जिन्हें सब टीपू सुलतान के नाम से जानते हैं। एक मुगल शासक होने पर भी हिन्दू मंदिरों के संरक्षक तथा एक नर्म दिल कवि के रूप में भी सुल्तान की प्रसिद्धि है।

टीपू सुल्तान का प्रारम्भिक जीवन :

बंगलौर के एक छोटे से गाँव देवनहल्ली में उस समय के मैसूर के सुल्तान के सेनापति हैदर अली के घर एक नन्हें शिशु ने जन्म लिया। इस शिशु के तेज को देखते हुए इसे फतेह अली टीपू नाम दिया गया। शैशव काल से ही नन्हा फतेह अपनी उम्र से अधिक योग्य और तेजवान था। शिक्षा , युद्धकौशल, संगीत, साहित्य और स्थापत्य कला का प्रबल प्रेमी था। उनके जन्म के कुछ समय बाद ही 1761 में उनके पिता अपने कौशल से मैसूर के सुल्तान पद पर आसीन हो गए। इसके बाद 15 वर्ष की उम्र में 1766 में ब्रिटिश शासकों से मैसूर राज्य को बचाने के लिए पहला युद्ध अपने पिता के साथ सहयोग करते हुए भारी युद्ध किया। इस युद्ध को मैसूर की पहली लड़ाई के नाम से भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त फ्रांसीसी सरकार के साथ ब्रिटिश शासकों के साथ विद्रोह की अपने पिता की नीति का पालन करते हुए टीपू ने अनेक कठिन युद्ध लड़े और अपना युद्ध कौशल सिद्ध किया। इसी के साथ पिता का हाथ बँटाते हुए उन्होने राजनीति और प्रशासन नीति के गुर भी अपने पिता से सीखे।

1779 में फ्रांसीसी नियंत्रित बन्दरगाह को ब्रिटिश शासकों ने अपने अधीन कर लिए जिसका हैदर अली ने कडा विरोध किया और 1780 में विद्रोह का बिगुल बजा दिया। लेकिन इसी अवधि में हैदर अली कैंसर से बीमार हो गए और 1782 में उनकी मृत्यु हो गई।

टीपू का राजनैतिक जीवन:

22 दिसंबर 1782 में टीपू ने मैसूर सुल्तान के रूप में गद्दी सम्हाली और एक कुशल शासक के रूप में शासन आरंभ किया। कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में उन्होने समय की नाजुकता को समझा और मराठों और मुगलों के साथ मिलकर नयी सैन्य रणनीति पर काम किया। परिणामस्वरूप 1784 में द्वितीय मैसूर युद्ध को समाप्त करके ब्रिटिश शासक मंगलोर की संधि पर हस्ताक्षर करने पर मजबूर हो गए। इसके बाद हालांकि ब्रिटिश शासकों ने 1790 में पुनः टीपू पर हमला बोल दिया। 2 वर्ष के कड़े युद्ध के पश्चात 1794 में टीपू को अपने कुछ इलाकों से हाथ धोकर श्रीरंगपट्टनम की संधि पर हस्ताक्षर कर दिये। इतना होने पर भी टीपू ने ब्रिटिश शासकों की अधीनता स्वीकार नहीं की और लगतार विरोध का स्वर बुलंद रखा।

टीपू एक शासक :

टीपू सुल्तान एक कुसल शासक सिद्ध हुए थे। उन्होनें अपने पिता की विरासत के रूप में छोड़े हुए समस्त विकास कार्यों जैसे सड़क, पुल और बन्दरगाह का निर्माण और विकास, जनता के लिए नए घरों का निर्माण, चीन से रेशम के कीड़ों को भारत मंगवाकर यहाँ विकास किया और इस प्रकार भारतीय रेशम उधयोग की नींव रखी। इसके अतिरिक्त युद्ध हथियारों में भी विकास किया और विश्व के सबसे पहले रॉकेट और मिसाइल जैसे हथियार का निर्माण किया।

अंतिम समय:

4 मई 1799 में चौथी मैसूर युद्ध के समय टीपू सुल्तान की श्रियांगपट्टनम की रक्षा करते हुए मृत्यु हो गयी। इसके साथ ही बहु भाषी, वैज्ञानिक और धर्म निरपेक्ष राजा के शासनकाल का अंत भी हो गया।