The West Bengal (Prevention of Lynching) Bill, 2019: एक ठोस कदम

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The West Bengal (Prevention of Lynching) Bill, 2019


भीड़ द्वारा कानून हाथ में लिये जाने की घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने इसकी रोकथाम की दिशा में एक बड़ा ही महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भीड़ द्वारा हमला करके पीटकर हत्या किये जाने (Lynching) के मामलों को बेहद गंभीरता से लेते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने विधानसभा में पश्चिम बंगाल (लिचिंग रोकथाम) विधेयक, 2019 यानी कि The West Bengal (Prevention of Lynching) Bill, 2019 पेश किया, जिसका न केवल सत्ता पक्ष, बल्कि माकपा और कांग्रेस तक ने समर्थन किया। केवल मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी की ओर से न तो इसका समर्थन किया गया और न ही विरोध, क्योंकि पार्टी का मानना है कि अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने यह कदम उठाया है। खैर, कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल सरकार के इस कदम की भरपूर सराहना हो रही है और यहां हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

क्या है मॉब लिंचिंग (Mob Lynching meaning)?

आजकल अक्सर मॉब लिंचिंग की घटनाओं के बारे में सुनने और देखने को मिल जाता है। इसमें अनियंत्रित भीड़ बिना कुछ सोचे-समझे किसी को खुद तत्काल सजा देने लगती है। ऐसे मामलों में अधिकतर अफवाहें काम करती हैं। जब इस तरह से भीड़ द्वारा की गई हिंसा यानी कि मारपीट में किसी व्यक्ति की जान चली जाती है, तो इसे ही मॉब लिंचिंग के नाम से जाना जाता है। भीड़ का यह कदम किसी भी कानून के दायरे में नहीं होता और यह पूरी तरह से गैर कानूनी होता है। वर्तमान में लिंचिंग की घटनाओं में इजाफे की प्रमुख वजह सोशल मीडिया है, क्योंकि इसके जरिये अफवाहें तेजी से फैल जाती हैं। अक्सर भड़काये जाने की वजह से बड़ी संख्या में लोग इस अपराध का हिस्सा बन जाते हैं। केवल पश्चिम बंगाल ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी लिंचिंग की घटनाओं की खबरें सामने आती रही हैं। मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून (mob lynching law) के अलावा इस बारे में भी जागरुकता फैलाये जाने की जरूरत है कि भड़काने वाले सोशल वायरल मैसेज को लोग बिल्कुल भी फारवर्ड नहीं करें, क्योंकि इसका शिकार कोई भी हो सकता है।

पश्चिम बंगाल (लिंचिंग रोकथाम) विधेयक, 2019 के महत्वपूर्ण बिंदु

पश्चिम बंगाल विधानसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार द्वारा पेश किये गये लिंचिंग के खिलाफ विधेयक (Mob lynching bill) को सदन ने आसानी से पारित कर दिया। The West Bengal (Prevention of Lynching) Bill, 2019 पर चर्चा के दौरान ममता बनर्जी ने कहा कि लिंचिंग एक बहुत बड़ी सामाजिक कुरीति है और इसके विरुद्ध सभी को संगठित होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है। उच्चतम न्यायालय तक इसके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दे चुकी है। ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से भी लिंचिंग के खिलाफ कानून (mob lynching and law) बनाने की मांग की। यहां हम आपको पश्चिम बंगाल (लिंचिंग रोकथाम) विधेयक, 2019 के महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में बता रहे हैंः

  • लिंचिंग के खिलाफ इस कानून (Mob lynching and law) में यह प्रावधान किया गया है कि जो लोग लिंचिंग की घटनाओं में शामिल होंगे और किसी को घायल करेंगे, उन्हें तीन साल की कैद से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा होगी।
  • लिंचिंग की वजह से यदि किसी की जान चली जाती है तो इस दशा में दोषी को मृत्युदंड या कठोर आजीवन उम्रकैद (life imprisonment) की भी सजा दिये जाने का प्रावधान इस विधेयक में किया गया है। साथ ही पांच लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा भी दी जा सकती है।
  • विधेयक में लिंचिंग और भीड़ को भी परिभाषित किया गया है और कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार The West Bengal (Prevention of Lynching) Bill, 2019 के तहत लिंचिंग मुआवजा के लिए योजना भी बना सकती है।
  • मणिपुर सरकार (Manipur Government) ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ सबसे पहली बार विधेयक (Mob Lynching law) को पारित किया था।
  • सर्वोच्च न्यायालय की ओर से वर्ष 2018 में ही लिंचिंग की रोकथाम के लिए और इस तरह की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए दिशा-निर्देश (Supreme Court’s guidelines) जारी कर दिये गये थे।
  • राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने भी हाल ही में लिंचिंग के खिलाफ एक विधेयक (Mob Lynching bill) को पारित करवा लिया था।

मॉब लिंचिंग की रोकथाम के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश ( Supreme court’s guidelines)

  • मॉब लिंचिंग के जो भी मामले सामने आते हैं, उनमें IPC की धारा 153A और अन्य धाराओं में तत्काल मामला दर्ज किये जाने के साथ चार्जशीट दाखिल किया जाए और नोडल अधिकारी द्वारा इसकी निगरानी की जाए।
  • फास्ट ट्रैक कोर्ट में इसकी सुनवाई करके ट्रायल कोर्ट संबंधित धारा में अधिकतम सजा सुनाए।
  • मॉब लिंचिंग जैसी वारदातों को अंजाम देने की योजना बना रहे या फिर भड़काऊ मैसेज वायरल कर रहे लोगों के बारे में गुप्त तरीके से जानकारी इकट्ठा करने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन हो।
  • लिंचिंग के मामले की जांच डीएसपी स्तर का अधिकारी करे।
  • लिंचिंग के जो लोग शिकार हुए हैं, दंड प्रक्रिया की धारा 357 के अंतर्गत उन्हें मुआवजा देने की योजना बनाई जाए।

निष्कर्ष

माॅब लिंचिंग की रोकथाम के लिए भले ही पश्चिम बंगाल सरकार ने The West Bengal (Prevention of Lynching) Bill, 2019 लाया है और केंद्र व अन्य राज्य सरकारों से भी उसकी ऐसी ही अपेक्षा है, मगर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इसका स्थायी समाधान जागरुकता फैलाना ही है। बताएं, आप मॉब लिंचिंग की रोकथाम के लिए क्या समाधान सुझाएंगे?

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