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शेरशाह सूरी ने पेश किया प्रशासनिक व्यवस्था का बेजोड़ उदाहरण

बात जब सूरी साम्राज्य की होती है तो सुव्यवस्थित प्रशासनिक व्यवस्था की तस्वीर आंखों के सामने उभर जाती है। जिस तरह से शेरशाह सूरी ने अपने राजत्व के सिद्धांत को लागू किया और पूरे साम्राज्य को 47 इकाईयों, जिन्हें कि सरकार भी कहा जाता था में विभक्त कर दिया, उससे शासन चलाना आसान हो गया था। इन इकाईयों को भी सूरी ने परगनों में बांट रखा था। परगने के अंदर भी एक शिकदार-ए-शिकदारान, एक कोषाध्यक्ष और एक हिंदू व एक फारसी लेखक हुआ करते थे, जो हिसाब रखने का काम करते थे। उसी तरह से इन परगनों के अधिकारियों के कामों की देखभाल की जिम्मेवारी मुन्सिफ-ए-मुन्सिफान पर थी। शासन की जितनी भी शाखाएं थीं, शेरशाह सूरी उसमें व्यक्तिगत दिलचस्पी लेकर खुद उनका मूल्यांकन करता रहता था।

राजतंत्र को ताकतवर बनाने का प्रयास

प्रांतीय शासन पर एक नजर

परगने के अंतर्गत अधिकारी

परगनों के तहत भू-प्रशासन

जब्ती पद्धति

रैयतवाड़ी पद्धति

रय एवं कर

मुद्रा एवं चुंगी संबंधी सुधार

लोक निर्माण संबंधी कार्य

पुर्तगालियों का बढ़ता प्रभाव

शेरशाह सूरी का अंत

निष्कर्ष

शेरशाह सूरी ने 1540 से 1545 ई. तक अपने पांच वर्षों के बेहद छोटे से शासनकाल में ही प्रशासनिक सुधार से लेकर मुद्रा सुधार और लोक निर्माण से संबंधित जो कार्य कर दिये, उसकी वजह से शेरशाह सूरी का नाम आज भी लोगों की जुबां पर है। डाक व्यवस्था को पुनः संगठित करने से लेकर अफगानिस्तान में काबुल से लेकर बांग्लादेश के चटगांव तक जीटी रोड को बढ़ाने का भी शेरशाह सूरी का काम उल्लेखनीय रहा। अपने देश की वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था में आपको शेरशाह सूरी के समय की प्रशासनिक व्यवस्था की कौन-कौन सी चीजें नजर आती हैं?