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1949 की चीनी क्रांति ने दुनिया को कराया कम्युनिस्टों की ताकत का एहसास



चीनी कम्युनिस्ट नेता माओ जेडॉन्ग ने 1 अक्टूबर, 1949 को पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) के गठन की घोषणा की। इस घोषणा ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) और नेशनलिस्ट पार्टी या फिर कुओमितांग (KMT) के बीच बेहद महंगे साबित हुए गृहयुद्ध को पूरी तरह से समाप्त कर दिया। पीआरसी के गठन से चीन में सरकारी उथल-पुथल की लंबी प्रक्रिया जो 1911 की चीनी क्रांति से शुरू हुई थी, वह पूरी हो गयी।

आपसी संघर्ष की शुरुआत

बढ़ी कम्युनिस्टों की लोकप्रियता

समानता पर बनी सहमति

कम्युनिस्टों की जीत

ताइवान भाग गए च्यांग

संयुक्त राज्य अमेरिका को झटका

निष्कर्ष

चीनी क्रांति से अंतर्राष्ट्रीय राजनीति खूब प्रभावित हुई। सोवियत साम्यवादी खेमे में दरार करीब एक दशक तक सामने तो नहीं आयी, मगर सभी ताकतों को यह स्वीकार करना पड़ा कि अंतर्राष्ट्रीय शक्ति के संतुलन में निर्णायक भूमिका निभाने वालों में चीनी साम्राज्य भी महत्वपूर्ण घटक बन कर उभर चुका है। बताएं, 1949 की चीनी क्रांति को यदि आप भारत को नजर से देखते हैं तो आप क्या लगता है कि यह भारत के लिए उपयोगी साबित हुई या नहीं?