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Telemedicine: सार्वजनिक स्वास्थ्य का यही है भविष्य



देश इस वक्त वैश्विक महामारी कोरोना (Coronavirus) की चपेट में है। देश में स्वास्थ्य देखभाल उद्योग के तो इसने मायने ही बदलकर रख दिये हैं। सामान्य स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी सेवाओं को भी बहाल किया जाना इस वक्त बहुत जरूरी है। ऐसे में ‘टेलीमेडिसिन’, जो कि ई-स्वास्थ्य सुविधा का ही एक प्रकार है, यह एक बेहतरीन कदम साबित हो सकता है। जब पूरे देश का हेल्थ सिस्टम इस वक्त COVID-19 महामारी को और फैलने से रोकने में जुटा हुआ है तो ऐसे में बाकी बीमारियों के शिकार लोगों को भी चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी जरूरी हैं। इसलिए वक्त आ गया है कि टेलीमेडिसिन और टेलीहेल्थ का भी मूल्यांकन के हालिया परिदृश्य में किया जाए।

टेलीमेडिसिन को यूं समझें

एक ग्रीक शब्द है ‘टेली’, जिसका मतलब दूरी है। वहीं, ‘मेडेरी’ है एक लैटिन शब्द, जिसे हिंदी में ठीक करना कहते हैं। कभी जिस टेलीमेडिसिन को प्रायोगिक माना गया था, कोरोना संकट ने आज उसकी प्रासंगिता सभी के सामने लाकर रख दी है। टेलीमेडिसिन को हीलिंग बाई वायर’ कहकर टाइम पत्रिका की ओर से भी संबोधित किया जा चुका है। चिकित्सा के क्षेत्र में अब भी कर्मियों को कंप्यूटर की अच्छी जानकारी न होना, सूचना व संचार तकनीकों के प्रयोग को न समझना एवं जागरूकता की कमी होना टेलीमेडिसिन के मार्ग में बाधक तो हैं, मगर अब वक्त आ गया है कि इन्हें और अधिक रुकावट न बनने दिया जाए।

टेलीमेडिसिन क्या है?

इतिहास Telemedicine का

भारत में कैसे हुआ टेलीमेडिसिन का विकास?

टेलीमेडिसिन के अनुप्रयोग वाले क्षेत्र

क्या हैं टेलीमेडिसिन के उपयोग?

निष्कर्ष

टेलीमेडिसिन आपदा प्रबंधन जैसे कि कोरोना वायरस के प्रसार के दौरान एक प्रभावी कदम साबित हो सकता है। दुनियाभर की सरकारों की ओर से भी अब टेलीमेडिसिन स्वास्थ्य सेवाओं को विकसित करने में काफी दिलचस्पी ली जाने लगी है। संभव है कि आने वाले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं को टेलीमेडिसिन इसकी वास्तविक ऊंचाई तक ले जायेगा।