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अध्यापक जिन्होनें इतिहास रचा

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अध्यापक का शाब्दिक अर्थ, ऐसे व्यक्ति से तात्पर्य रखता है जो अध्ययन की पूर्ण परिकल्पना करता हो। दूसरे शब्दों में सम्पूर्ण चिंतन, गुणन एवं मनन सिर्फ और सिर्फ अध्ययन को समर्पित करने वाला व्यक्ति अध्यापक कहलाता है। वैदिक काल से लेकर आधुनिक तकनीकी युग तक भारतीय इतिहास असंख्य ऐसे अध्यापकों की जीवनी मिलती है जिन्होनें न केवल अध्यापन के माध्यम से बल्कि अपने चरित्र से भी इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा है।

हम ऐसे ही कुछ अध्यापकों की जीवनी-संक्षेप आपको बताते हैं:

भारतीय महिलाओं के सशक्तिकरण की पूर्ण प्रतिबिंब सावित्रीबाई फुले ने उस समय महिला अध्यापन का कार्य किया था जब महिलाओं की नीति घर की चार दीवारी में बंद रहना था। अपने पति के साथ 1948 में एक महिला विद्यालय का आरंभ करके उन्होनें परंपरावादियों से लोहा लेने जैसा काम किया था। उनके कार्य को बाद में ब्रिटिश सरकार की ओर से मान्यता मिली थी।

 

एक प्रतिभावान, लोकप्रिय, शिक्षाविद, दार्शनिक, प्रकृति प्रेमी, युगदृस्टा, कवि, रचनाकार, सुधारक, जैसे शब्द इनके पर्यायवाची हो कर सम्मानित महसूस करते है। इन्होनें १९०१ मे शांतिनिकेतन की स्थापना की एवं एक ऐसे शिक्षा प्रणाली को प्रस्तुत किया जो प्रकृति के निकट, उन्मुक्त वातावरण मे फूलती फलती रही, जो की मौजूदा समय मे भी उपलब्ध है तथा बहुत ही ज़्यादा संदर्भित है। इन्हें १९१३ मे नोबल प्राइज़ से सम्मानित किया गया था। एक ऐसा युगपुरुष जिसने शिक्षा को वर्ग तथा कक्षा की चारदीवारों से बाहर निकाल कर प्रकृति को समर्पित कर दिया।।

 

एक महान खगोलविद एवं गणितज्ञ, जिनके तत्कालीन योगदान के बिना आज के विज्ञान की परिकल्पना भी संभव नहीं है। इन्होनें शून्य (०) की खोज की। इनके  कई खोज आज के आधुनिक काल मे भी न सिर्फ सही पाये  गए अपितु प्रेरणा स्त्रोत प्रमाणित हुए है। आज भी ये उतने ही संदर्भित है जीतने अपने समय मे थे। इनके योगदान को सम्मानित करने के लिए ही देश के पहले अन्तरिक्ष उपग्रह का नाम आर्यभट्ट रखा गया था।

 

कौटिल्य एवं  विष्णुगुप्त जैसे नामों से जाना जाने वाला, चाणक्य एक ऐसा अध्यापक था जिसने एक साधारण परंतु शिक्षा ग्रहण करने को तत्पर बालक चंदरगुपता मौर्य को  मगध का सम्राट बना दिया। जिसने संसार को अर्थशास्त्र का सिधान्त दिया, जिसके राजनीति के नियमों को आज भी सम्मान से पढ़ा, सुना एवं समझने  की कोशिश की जाती है। एक ऐसा निस्वार्थ अध्यापक जिसने अपने विद्यार्थी के स्वार्थ को ही अपना स्वार्थ समझा एवं उसको प्राप्त किया।

 

एक राजकुमार जिसने संसार को अहिंसा का पाठ पढ़ाया। जीवन की एक साधारण सी लगने वाली घटना जिसके मर्म को समझने के लिए अपना सर्वस्व समर्पित किया तत्पश्चात उस ज्ञान को अपने तक ही सीमित न रख कर उसे सर्वव्याप्त किया। प्राणी मात्र से प्रेम एवं अहिंसा का पालन करते हुए इन्होनें एक धर्म परंपरा का परिचालन किया जो आज संसार के हर एक कोने मे व्याप्त है। एक ऐसा अध्यापक जिसने अपना सब कुछ त्याग कर पूरे संसार को प लिया, गौतम बुद्ध के लिए ऐसा कहना कोई अतिस्योक्ति नहीं होगी.