भारत की पहली महिला विदेश मंत्री रह चुकीं सुषमा स्वराज अब हमारे बीच नहीं हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता ने 6 अगस्त, 2019 को दिल का दौरा पड़ने के बाद हमेशा के लिए अपनी आंखें मूंद ली हैं। प्रखर वक्ता एवं फुर्तीले कामकाज के लिए जानी जाने वाली सुषमा स्वराज ने जिस तरह से मोदी सरकार के पहले संस्करण में विदेश मंत्री का कार्यभार संभाला एवं जरूरतमंदों का स्वतः संज्ञान लेते हुए समय-समय पर उनकी मदद की, उसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जायेगा।
आरंभिक जीवन
हरियाणा के अंबाला छावनी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक श्री हरदेव शर्मा के घर में सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी, 1952 को हुआ था। इनकी माता का नाम श्रीमती लक्ष्मी देवी था। संस्कृत और राजनीति विज्ञान में अंबाला के सनातन धर्म कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के साथ चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय से स्वराज ने विधि की भी डिग्री हासिल की। प्रखर वक्ता के लिए वे राज्य स्तर पर कॉलेज के दिनों में अवॉर्ड जीतती रहीं और 1973 में सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ता के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। अपने सहकर्मी स्वराज कौशल के साथ वे 13 जुलाई, 1975 को परिणय सूत्र में बंध गईं।
सुषमा जी का राजनीतिक सफर
- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्य रहीं सुषमा स्वराज ने आपातकाल के दिनों में पूरी सक्रियता से जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति में हिस्सा लिया। इसके बाद जनता पार्टी में शामिल हुईं स्वराज 1977 में पहली बार अंबाला छावनी से विधायक बनीं और केवल 25 वर्ष की उम्र में ही चैधरी देवी लाल सरकार में श्रम मंत्री का पद संभालकर सबसे कम उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड भी बना डाला।
- केवल 27 वर्ष की उम्र में 1979 में सुषमा हरियाण की जनता पार्टी की अध्यक्ष भी निर्वाचित हुई थीं। जब भारतीय जनता पार्टी का 80 के दशक में गठन हुआ, तो वे इसका हिस्सा बन गईं।
- पहली बार 1990 में सुषमा स्वराज राज्यसभा के लिए चुनी गईं और 1996 में दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिनों की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री का पद संभाला। जब 1998 में स्वराज ने फिर से दक्षिणी दिल्ली सीट से लोकसभा चुनाव जीता तो उन्हें 13 महीनों तक चली वाजपेयी सरकार में दूरसंचार मंत्रालय का पदभार मिला और साथ में अतिरिक्त प्रभार के रूप में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का प्रभार भी सौंप दिया गया। इस दौरान सुषमा स्वराज ने फिल्म उद्योग को एक उद्योग के तौर पर मान्यता देने का काम किया, जिसकी वजह से फिल्म उद्योग के लिए बैंकों से लोन प्राप्त करने का मार्ग सुगम हो गया।
- अक्टूबर, 1998 में केंद्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देने के बाद सुषमा स्वराज ने 12 अक्टूबर, 1998 को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया। हालांकि, वे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री नहीं रहीं और अपनी विधानसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद वे दोबारा केंद्र की राजनीति में लौट आईं।
- वर्ष 1999 में कर्नाटक के बेल्लारी से सोनिया गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव सुषमा स्वराज केवल 7 प्रतिशत मतों के अंतर से हार गई थीं। बाद में स्वराज वाजपेयी सरकार में सूचना व प्रसारण मंत्री के अलावा कुछ समय के लिए स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और संसदीय मामलों की भी मंत्री रहीं। लालकृष्ण आडवाणी की जगह सुषमा स्वराज को 21 दिसंबर, 2009 को भाजपा ने विपक्ष का नेता चुना।
महत्वपूर्ण उपलब्धियां
- सुषमा स्वराज ने वर्ष 2014 में विदिशा से लोकसभा चुनाव जीता, जिसके बाद नरेंद्र मोदी की सरकार में उन्हें पहली विदेश मंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ।
- भाजपा की पहली महिला राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने के साथ सुषमा स्वराज भारत की पहली महिला राष्ट्रीय मंत्री भी बनीं।
- सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार हासिल करने वाली सुषमा स्वराज पहली महिला भी बनी थीं।
- स्वराज ने हरियाणा में चार वर्षों तक हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षा की भी जिम्मेवारी संभाली थी।
- यमन में फंसे भारतीयों को सकुशल भारत वापस लाने में विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज की भूमिका उल्लेखनीय रही।
- सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण दिया और पाकिस्तान को ऐसा ललकारा कि इसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनी गई।
सुषमा जी का व्यक्तिगत जीवन
सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल भी कुशल राजनीतिज्ञ रहे हैं। छह वर्षों तक वे राज्यसभा के सांसद रहे और मिजोरम के राज्यपाल के पद पर भी सेवा दी। स्वराज कौशल के नाम तो सबसे कम उम्र में किसी राज्य का राज्यपाल बनने का भी रिकॉर्ड है। सुषमा स्वराज की बांसुरी नामक एक बेटी है, जो कि लंदन में रहकर वकालत कर रही हैं।
चलते-चलते
भाजपा की पूर्ण बहुमत की पहली बार सरकार बनने के बाद इसकी लोकप्रियता में सुषमा स्वराज का योगदान अतुलनीय रहा। सुषमा स्वराज जैसे व्यक्तित्व वाली नेता इस स्वराज में दोबारा मिलना आसान नहीं। बताएं, सुषमा स्वराज की सबसे अच्छी बात आपको क्या लगती थी?