भारत की आत्मा गांवों में बसती है। अब भी लगभग 70 फीसदी आबादी गांवों में ही बसती है। बिना गांवों के उत्थान के देश के विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती। यहां हम आपको उन ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के बारे में बता रहे हैं, जो भारत के गांवों की सूरत बदल रहे हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 13 जनवरी, 2016 को अपनी मंजूरी दे दी थी। इसके तहत बीमा कंपनियों की ओर से किसानों को खरीफ की फसल के लिए 2 फीसदी प्रीमियम, जबकि रबी की फसल के लिए 1.5 फीसदी प्रीमियम का भुगतान करने का प्रावधान है।
- इसकी भुगतान की जाने वाली प्रीमियम या किस्तों को इतना कम रखा गया है कि सभी स्तर के किसान फसल बीमा का लाभ उठा सकें।
- सरकारी सब्सिडी की कोई अधिकतम सीमा नहीं रखी गई है, जिसका मतलब यह हुआ कि यदि बचा प्रीमियम 90 फीसदी हो जाता है, तो इसे सरकार वहन करेगी।
महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना
वैसे पात्र परिवार जो अनुसूचित जाति, पिछड़ी श्रेणी (क) और गरीबी रेखा से नीचे की जिंदगी गुजर-बसर करने वाले हैं, उन्हें इस योजना के तहत 100 वर्गगज के आवासीय प्लॉट बिना किसी शुल्क के लिए उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
- बिजली, पानी, पक्की गलियां और नालियों की व्यवस्था भी यहां की जा रही है।
- बस्ती के अंदर की गलियों और नालियों का निर्माण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के जरिये किया जा रहा है।
स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना / राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
वर्ष 2011 में शुरू हुई स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना को ही राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का नाम दे दिया गया है। खुद की सहायता करने वाले मॉडल विकसित करके महिलाओं को सशक्त बनाने के इसके उद्देश्य की वजह से इसे आजीविका कहा गया है।
- सरकार की ओर से 3 लाख रुपये का ऋण 7 प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है। जब इसका पुनर्भुगतान होता है, तो उस वक्त तक इसे 4 फीसदी तक कम किया जा सकता है।
- विश्व बैंक से भी इस योजना को मदद मिली थी। गरीबों की भी क्षमताओं को इस्तेमाल में लाने में यह योजना कारगर साबित हुई है।
सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (SGRY)
यह योजना वर्ष 2001 में आरंभ हुई थी और इसका उद्देश्य गरीबों को रोजगार प्रदान करना था। गरीबी रेखा से नीचे जिंदगी गुजर-बसर कर रहे लोगों को इस योजना के तहत भोजन उपलब्ध कराने और उनके पोषण के स्तर में सुधार का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
- इस योजना से ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को सामाजिक और आर्थिक संपत्ति मुहैया कराने में मदद मिली है।
- इसकी एक प्रमुख विशेषता यह रही है कि इसमें ठेकेदारों या बिचैलियों के रोजगार को शामिल नहीं किया गया है।
सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY)
इस योजना की शुरुआत वर्ष 2014 में हुई थी, जिसमें हर सांसद के तीन गांवों को गोद लेकर व्यक्तिगत रूप से उनके मानविक, सामाजिक और आर्थिक विकास की देखरेख का प्रावधान किया गया था।
- इस योजना से गांवों में जीवन स्तर सुधारने में मदद तो मिली ही है, साथ ही जीवन की गुणवत्ता में भी बहुत सुधार हुआ है। वर्तमान में जो योजनाएं चल रही हैं, उन्हीं में से इसके लिए पैसे जमा करने का प्रावधान है।
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना
ग्रामीण युवा भी अच्छा कॅरियर बनाना चाहते हैं। उनकी इसी चाहत को पूरा करने हेतु दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना की शुरुआत सरकार की ओर से 25 सितंबर ,2014 को की गई थी, जो कि राष्ट्रीय आजीविका मिशन का ही एक हिस्सा है।
- 15 से 35 साल तक के गरीब परिवारों के ग्रामीण युवा इस योजना के केंद्र में हैं। इसके लिए जो 1500 करोड़ रुपये की राशि दी गई है, उसके जरिये 21 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 568 जिलों के 6215 ब्लॉक में युवाओं की जिंदगी में बदलाव लाया जा रहा है।
- अब तक 2.7 लाख से भी अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित करने और लगभग 1.34 लाख उम्मीदवारों को नौकरियां उपलब्ध कराने की जानकारी सरकार की ओर से दी गई है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 25 दिसंबर, 2000 को इसकी शुरुआत की थी। ग्रामीण इलाकों को सड़क से जोड़ना इसका उद्देश्य रहा है।
- इस योजना के तहत दिसम्बर, 2017 तक लगभग 82 फीसदी सड़कें बनाई जा चुकी हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्र भी शहरों से जुड़े हैं।
- पहले तो केवल केंद्र सरकार की ओर से यह योजना वित्त पोषित थी, मगर 14वें वित्त आयोग की सिफारिश के बाद केंद्र और राज्य दोनों सरकारें इसके व्यय को साझा करने लगी हैं।
प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास फेलो योजना (PMRDF)
यह योजना ग्रामीण विकास मंत्रालय ने शुरू की थी। राज्य सरकारों के सहयोग से इसका संचालन हो रहा है। देश के दूरदराज और कम विकसित क्षेत्रों में इसके तहत जिला प्रशासन को कुछ वक्त तक समर्थन दिया जाता है। सक्षम और प्रतिबद्ध नेताओं एवं अनुदेशकों को भी इसके जरिये प्रोत्साहित किया जा रहा है।
चलते-चलते
देश में ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की कोई कमी नहीं है। इन कार्यक्रमों से गांवों में व्यापक बदलाव भी आये हैं। खासकर ग्रामीण युवाओं और महिलाओं की जिंदगी बदली है। फिर भी योजनाओं के क्रियान्वयन में और गंभीरता की दरकार है, ताकि योजनाओं का लाभ उन 100 फीसदी लोगों को मिल सके, जो इनके केंद्र में हैं। बताएं, क्या आपने भी इनमें से किसी योजना का लाभ उठाया है?