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P V Narasimha Rao: भारत में Economic Reforms के Master Planner



9th Prime Minister of India पी वी नरसिम्हा राव ने ऐसे वक्त में देश की कमान संभाली थी, जब देश की अर्थव्यवस्था की हालत एकदम नाजुक थी और पहली बार देश में अनुच्छेद 360 के अंतर्गत वित्तीय आपातकाल लगाये जाने की आशंका प्रकट की जाने लगी थी। जब पूरी दुनिया को लगने लगा था कि भारत अब इसके आगे घुटने टेक देगा तो ऐसे में समय में प्रधानमंत्री के तौर पर P V Narasimha Rao ने देश का नेतृत्व कुशलता से करते हुए आर्थिक सुधारों का ऐसा खाका खींचा कि न केवल देश इस नाजुक दौर से उबर गया, बल्कि आने वाली सरकारों की नीतियों के निर्माण के लिए भी इन्हीं के बल पर मार्ग प्रशस्त हुआ।

यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जून यानी कि रविवार को P V Narasimha Rao की जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर रेडियो पर प्रसारित अपने मन की बात कार्यक्रम में उन्हें याद करते हुए कहा कि बेहद नाजुक हालात में देश की बागडोर कुशलता से संभालकर पी वी नरसिम्हा राव ने आधुनिक भारत के निर्माण की राहें आसान कर दीं।

यहां यह जानना भी रोचक है कि नेहरु-गांधी परिवार के अलावा कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री का कार्यकाल पूरा करने वाले पी वी नरसिम्हा राव पहले नेता भी थे। वर्ष 1991 से 1996 तक उनका कार्यकाल रहा और 1991 के दौरान आर्थिक संकट के वक्त उन्होंने राजनीति से दूर रहने वाले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गर्वनर (1982-1985) Dr. Manmohan Singh जो बाद में देश के 13वें प्रधानमंत्री भी बने, उन्हें देश का वित्त मंत्री बनाकर अपने आर्थिक सुधार के मास्टर प्लानर होने का पहला उदाहरण पेश कर दिया।

New Economic Policy 1991 के उद्देश्य

आर्थिक संकट से निबटने के लिए 9th Prime Minister of India पी वी नरसिम्हा राव नई आर्थिक नीति लेकर आये थे, जिसके उद्देश्य थे:-

1991 में आर्थिक सुधार के लिए उठाये गये कदम

तीन महत्वपूर्ण कदम आर्थिक सुधारों के अंतर्गत उठाये गये थे, जो थे:-

  1. उदारीकरण (Liberalisation)
  2. निजीकरण (Privatisation)
  3. वैश्वीकरण (Globalisation)

P V Narasimha Rao सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को इनके जरिये गति प्रदान करके भारत को सोवियत माॅडल अर्थव्यवस्था से बाजार अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए कदम उठा लिये। यह प्रक्रिया आज भी जारी है, मगर इसकी शुरुआत 1991 में हुई थी।

उदारीकरण के तहत उठाये गये कदम

निजीकरण के अंतर्गत उठाये गये कदम

निजीकरण का मतलब होता है उन उद्योगों को निजी क्षेत्रों के लिए भी खोल देना जो अब तक सरकारी सेक्टर के लिए आरक्षित है। P V Narsimha Rao की सरकार द्वारा मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी इकाईयों का बेचने की शुरुआत की गई। ऐसा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) में राजनीतिक हस्तक्षेप को रोकने के मकसद से किया गया, जिसकी वजह से इनसे कोई विशेष लाभ नहीं मिल पा रहा था। इसके लिए निजीकरण के कदम के तहत निम्नलिखित कदम उठाये गये:-

वैश्वीकरण के तहत उठाये गये कदम

वैश्वीकरण का मतलब होता है अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेश एवं वैश्विक व्यापार के लिए और खोल देना। इसके अंतर्गत निम्नलिखित कदम उठाये गये:-

निष्कर्ष

India में Economic Reforms के Master Planner 9th Prime Minister of India P V Narasimha Rao की सरकार द्वारा प्रतिपादित नीतियों का ही परिणाम है कि भारत वर्ष 2008 के भी वैश्विक संकट को झेल गया और वर्तमान में COVID-19 संकट के दौर में भी भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से प्रतिकूल परिस्थितियों के थपेड़ों को झेल पा रही है।