Open Naukri

ऑपरेशन पोलो (Operation Polo): हैदराबाद के भारत में विलय की दास्तान



इस देश में अगर आपातकाल (emergency in India) की बात होती है तो सबको साल 1975 याद आता है। लेकिन हम आपको बता दें कि उसके पहले भी देश में आपातकाल जैसी स्थति बनी थी। तारीख थी 13 सितंबर साल था 1948 देश में पहली इमरजेंसी जैसे हालात बन गये थे। 13 सितंबर से 17 सितंबर तक पानी से भी पतला खून हो गया था। कत्ले-आम अपने शबाब पर था।

हज़ारों लोगों को गोली मार दी गई थी। आर्मी ने इसे ‘ऑपरेशन पोलो’ (Operation Polo) का नाम दिया था। आपको बता दें कि देश के कुछ हिस्सों में इसे ‘ऑपरेशन कैटरपिलर’ भी कहा जाता है। उस दौर के तत्कालीन ग्रह मंत्री सरदार पटेल (Operation Polo by Sardar Patel) ने इसे पुलिस एक्शन करार दिया था। क्यों इसे पुलिस एक्शन कहा गया था? इस सवाल का जवाब भी आपको इसी लेख में मिल जाएगा।

चलिए शुरू करते हैं हैदराबाद के भारत में विलय होने की कहानी (Operation polo in Hyderabad)

इस लेख के मुख्य बिंदु-

कब हुई थी ‘ऑपरेशन पोलो’ (Operation Polo) की शुरुआत?

ये वही तारीख थी जो आम सी लगती है यानी 13 सितंबर 1948 की सुबह 4 बजे से 18 सितंबर तक ये ऑपरेशन चला था। 18 सितंबर को हैदराबाद भारत सरकार के नियंत्रण में आ गया था।

जम्मू कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद

15 अगस्त 1947 को भारत आज़ाद तो हो गया था। लेकिन कई समस्याएं भारत को आज़ादी के बाद गिफ्ट के तौर पर मिलीं थीं। उन्ही समस्याओं में जम्मू कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद की रियासतें भी थीं। जम्मू कश्मीर और जूनागढ़ ने कुछ बातचीत के बाद भारत में विलय कर लिया था। लेकिन हैदराबाद के निजाम खुद का एक अलग देश ही चाहते थे। दरअसल बात कुछ ऐसी थी कि आज़ादी से पहले सभी रियासतें अंग्रेजों के साथ सब्सिडियरी अलायंस से जुड़ी हुई थीं। इस संधि के तहत सभी रियासतें अपनी सीमा के अंदर स्वतंत्र रहती थीं। हैदराबाद इसी संधि के तहत खुद का एक अलग देश चाहता था।

AG Noorani  ने ऑपरेशन पोलो का ज़िक्र करते हुए अपने किताब में लिखा है कि “तब के तत्कालीन प्रधानमंत्री बात-चीत के जरिये मामला सुलझाना चाहते थे। लेकिन तब के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल के पास बात-चीत करने का समय भी नहीं था और धैर्य भी नहीं था।”  

क्या है ‘ऑपरेशन पोलो’ (Operation Polo) की पूरी कहानी?

आज़ादी के पहले से ही हैदराबाद में कम्युनल टेंशन का माहौल बना हुआ था। तेलंगाना को लेकर भी विरोधाभाषी स्वर अपने शबाब पर थे। उसी टेंशन के समय ही मुस्लिम समुदाय ने एक ग्रुप बनाया था। इस ग्रुप का नाम MIM था।  इस ग्रुप के उस दौर के अध्यक्ष नवाब बहादुर यार जंग हुआ करते थे।

सरदार पटेल ने तुरंत एक्शन लेते हुए 13 जून 1948 को सेना की टुकड़ी हैदराबाद भेज दी थी। सेना के दाखिल होने के बाद भी 5 दिनों तक संघर्ष चलता रहा। सरदार पटेल ने इसे पुलिस एक्शन घोषित किया था। क्योंकि अगर मिलिट्री एक्शन बोलते तो अन्तराष्ट्रीय स्तर पर सवाल खड़े होते कि आपने दूसरे देश पर कब्जा किया है।

‘ऑपरेशन पोलो’ (Operation Polo) के कुछ ज़रूरी फैक्ट्स

सरांश

13 सितंबर, भारत के इतिहास में काफी प्रभावशाली स्थान रखती है। ऑपरेशन पोलो ने ही सरदार पटेल को लौह पुरुष बना दिया था। इसके पीछे की वजह ये बतायी जाती है कि तब के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु और माउंटबेटन इस मामले को शांति से सुलझाना चाहते थे। लेकिन सरदार पटेल इस बात के पक्ष में नहीं थे। सरदार पटेल ने कई बार इस बात को कहा था कि हैदराबाद भारत के पेट में कैंसर के समान हो चुका है। इसका इलाज जल्द से जल्द करना चाहिए। 

सरदार पटेल इस बात से भी वाकिफ थे कि हैदराबाद पाकिस्तान की बोली बोल रहा था। उन्हें ये भी पता था कि पाकिस्तान को हैदराबाद चाहिए था। पाकिस्तान तो हैदराबाद का पुर्तगाल से समझौता भी करवाने वाला था। इसलिए सरदार पटेल ने तत्काल फैसला लेते हुए भारतीय आर्मी को ऑपरेशन पोलो करने का आदेश दे दिया था। उस ऑपरेशन पोलो का रिजल्ट आज के दौर में भी सभी के सामने है।