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राष्ट्रीय जल पुरस्कार | National Water Awards: All to Know

रहिमन पानी राखिये ,बिन पानी सब सून।

पानी बिना ऊबरै, मोती मानुष चून।।

रहीम की उक्त पंक्तियों के साथ  जल ही जीवन है’ जल है तो कल है , जैसे अनेकों जल जागरूकता स्लोगनों के माध्यम से जन साधारण में जल संरक्षण के महत्व को समझाने हेतु केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने साल 2018 में राष्ट्रीय जल पुरस्कार (National Water Awards) की शुरुआत की थी। तब से प्रत्येक वर्ष अलग-अलग श्रेणियों में श्रेठ जल संरक्षण कार्य को सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस वर्ष श्रेठ जल संरक्षण राज्य का पुरस्कार उत्तर-प्रदेश को मिला है। आज के लेख में हम केंद्र सरकार की क्रांतिकारी जल संरक्षण पहल राष्ट्रीय जल पुरस्कार (National Water Awards) के सम्बन्ध में तथा जल संकट जैसी गंभीर समस्या के विषय में चर्चा करेंगे।

भूमिका

जल-संकट और जल-संरक्षण दोनों एक दूसरे के पूरक शब्द है, एक समस्या है तो दूसरा समाधान है। भविष्यवक्ताओं के अनुसार, जल-संकट आने वाले समय में तीसरे विश्व -युद्ध का कारण बनेगा। इस बात से विषय की गंभीरता वैश्विक बन जाती हैं, वास्तव में जल-संकट किसी स्थान-विशेष का संकट न होकर पूरे विश्व का संकट है। ग्लोबल वार्मिंग के समान इस विषय पर भी वैश्विक चिंतायें समय-समय पर व्यक्त की जाती रही हैं।

एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2030 तक देश की 40% आबादी को पीने योग्य पानी उपलब्ध नहीं रहेगा तथा 2050 तक जल संकट के कारण जीडीपी में 6% की हानि होगी। शायद इसी आंकड़ों से प्रभावित होकर केंद्र ने अलग से जल-शक्ति मंत्रालय की स्थापना का निर्णय लिया और जल-संरक्षण के प्रोत्साहन हेतु राष्ट्रीय जल पुरस्कार (National Water Awards) की शुरुआत की।

राष्ट्रीय जल पुरस्कार (National Water Awards)

भूजल संवर्धन पुरस्कार और राष्ट्रीय जल पुरस्कार वर्ष 2007 में गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), ग्राम पंचायतों, शहरी स्थानीय निकायों, जल उपयोगकर्ता संघों, संस्थानों, कॉर्पोरेट क्षेत्र, व्यक्तियों आदि सहित सभी हितधारकों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू किए गए थे।

इसके लक्षित क्षेत्रों में लोगों की भागीदारी के माध्यम से जागरूकता पैदा करना, वर्षा जल संचयन और कृत्रिम पुनर्भरण द्वारा भूजल वृद्धि की नवीन प्रथाओं को अपनाना, जल उपयोग दक्षता को बढ़ावा देना, पानी के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग को बढ़ावा देना है , जिससे  भूजल संसाधन विकास की स्थिरता, पर्याप्त क्षमता निर्माण किया जा सके।

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सतही जल और भूजल जल चक्र का अभिन्न अंग हैं, देश में जल संसाधन प्रबंधन के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाने के लिए हितधारकों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एकीकृत राष्ट्रीय जल पुरस्कार स्थापित करना आवश्यक समझा गया और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पहली बार राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2018 का आयोजन किया गया और 25 फरवरी, 2019 को नई दिल्ली में विजेताओं को  पुरस्कार / प्रशस्ति पत्र के साथ सम्मानित किया गया।

इसी प्रकार से अगले राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2019 का आयोजन 11 और 12 नवंबर, 2020 को वर्चुअल माध्यम से किया गया  इस कार्यक्रम का उद्घाटन भारत के माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा किया गया था। इस वर्ष 7  जनवरी 2022 को राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2020 की घोषणा केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) द्वारा की गयी।  जिसमे उत्तरप्रदेश को सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार दिया गया है। 

चलिए जानते हैं किन-किन श्रेणियों में राष्ट्रीय जल पुरस्कार दिये जाते हैं

आइये जानते हैं साल 2020 के लिए किसे क्या राष्ट्रीय जल पुरस्कार मिले है। 11 श्रेणियों में कुल मिलाकर 57 पुरस्कारों की घोषणा की गई है।

हम जल संकट से क्यों जूझ रहे हैं?

भारत में जल संरक्षण हेतु किये गए प्रयास | Efforts for Water Conservation in India

सारसंक्षेप

मानव जाति के लिए ‘जल ही जीवन है’ इसकी महत्वता को जितनी जल्दी हो सकता है समझ लेना आवश्यक है। पृथ्वी के 1/3 भाग पर जल है लेकिन इसमें से केवल 3 प्रतिशत ही पीने योग्य है। जिसमे से 2 प्रतिशत ध्रुवों में बर्फ के रूप में तथा शेष 1 प्रतिशत जल में से 0.52% झीलों में, 0.38 प्रतिशत भूजल, 0.8 प्रतिशत वाष्प, 0.1 प्रतिशत नदियों और 0.1 प्रतिशत वनस्पति के अंदर मौजूद है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियरों की पिघलने की गति में वृद्धि हो गयी है , जिससे पीने योग्य मीठे पानी के बहकर बर्बाद होने का खतरा बढ़ गया है। ऐसे ही अन्य कारणों से पीने योग्य जल को हम खोते जा रहे हैं, यदि हम समय रहते इसको गंभीरता से नहीं लेंगे तो हमारे आने वाले वंशज जल की भारी समस्या से लड़ते नजर आएंगे , तभी कहते हैं जल है तो कल है। इसी संकल्प के साथ की हम जल संरक्षण के निजी स्तर भी प्रयास करेंगे , हम आज के इस लेख को यहीं समाप्त करते हैं। धन्यवाद !