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नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम

भारत सरकार ने नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन (National Apprenticeship Promotion Scheme) स्कीम की घोषणा 5 जुलाई, 2016 को की थी। यह योजना देश की युवा पीढ़ी के लिए लक्षित है ताकि उनके कौशल को प्रशिक्षण द्वारा विकसित किया जा सके तथा भविष्य की हर चुनौती के लिए तैयार किया जा सके।

NAPS की क्या आवश्यकता थी?

नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम क्या है?

अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण अर्थात कौशल का विकास करने के लिए प्रशिक्षण को बढ़ावा देना है जो कि नौकरी पाने के लिए किताबी ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है। भारत में कुशल कर्मचारियों की संख्या बहुत कम है इसलिए यह आवश्यक है कि औद्योगिक मानकों के अनुसार कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाए तथा उनके कौशल को विकसित किया जाए। इसलिए भारत सरकार ने नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम की घोषणा की ताकि रोजगार के मौके और अधिक बढ़ाए जा सके।

NAPS को लागू करने के लिए कौन जिम्मेदार होगा?

इस स्कीम को सुचारू रूप से लागू करने की जिम्मेदारी “रोजगार और प्रशिक्षण (डीजीई एंड टी) महानिदेशक” को दी गई है और संचालन करने की जिम्मेदारी “कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय” की होगी। साल 2019-20 के अंत तक इस योजना का लक्ष्य देश भर में 50 लाख अप्रेंटिस को सम्मिलित करना है।

अप्रेंटिस के लिए पात्रता मानदंड

अप्रेंटिस को निम्नलिखित मानदंड पूरे करने होंगे:

सरकार का योगदान:

भारत सरकार इस स्कीम के लिए 10,000 करोड़ की राशि आवंटित करेगी। एक ओर, सरकार प्रशिक्षण की कुल लागत का 50% हिस्सा सहन करेगी वही दूसरी तरफ कंपनी द्वारा अप्रेंटिस को दिया जाने वाला वेतन का 25% प्रदान करेगी।

भविष्य / प्रस्तावित कार्य

भारत सरकार ने इस योजना के तहत नए प्रशिक्षण केंद्रों को शुरू करने का निश्चय किया है ताकि अप्रेंटिस को अपने कौशल को विकसित करने के और अधिक अवसर मिल सके। केंद्र सरकार ने भविष्य में पेशेवर प्रशिक्षण केन्द्र के माध्यम से अप्रेंटिस को कौशल विकास प्रशिक्षण उपलब्ध कराने की योजना बनाई है।