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रिक्टर स्केल क्या होता है?

पृथ्वी पर होने वाली सबसे बड़ी और विनाशकारी हलचल को भूकंप के नाम से जाना जाता है। भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि समूचे विश्व में लगभग 200 हल्के भूकंप महसूस किए जाते हैं। लेकिन एक आम आदमी किस प्रकार भूकंप के वेग की तीव्रता को माप सके, इसके लिए एक पैमाने का विकास किया गया। 1935 में अमरीकी भू-वैज्ञानी ने भूकंप के वेग को मापने के लिए एक पैमाने का विकास किया। चार्ल्स एफ रिक्टर ने एक ऐसे उपकरण का निर्माण किया जिससे पृथ्वी की सतह पर उठने वाली भूकंपीय तरंगो के वेग को मापा जा सकता है।

रिक्टर स्केल:

अमरीकी भू-वैज्ञानिक ने भूकंप के कारण उठने वाली तरंगो के वेग को मापने के लिए एक उपकरण का विकास किया था। इस उपकरण को उन्हीं के नाम ‘रिक्टर’ पर रिक्टर स्केल के नाम से जाना जाता है। इस उपकरण के माध्यम से भूकंपीय तरंगो को आंकड़ों में परिवर्तित किया जा सकता है। यह पैमाना 1 से 10 तक के अंकों के आधार पर भूकंप के वेग को नाप सकता है। जहां 1 का अंक न्यूनतम वेग और 10 अधिकतम वेग को दर्शाता है।

रिक्टर स्केल कैसे काम करता है :

रिक्टर स्केल सामान्य रूप में लॉगरिथम के अनुसार काम करता है। जिसके अनुसार एक सम्पूर्ण अंक अपने मूल अर्थ के 10 गुना अर्थ में व्यक्त किया जाता है। रिक्टर स्केल में यह वृद्धि तरंगो की ध्वनि को मापने के रूप में व्यक्त होती है। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो रिक्टर स्केल भूकंप की तरंगो को आंकड़ों में परिवर्तित करने का काम करता है। इस स्केल के अनुसार प्रति स्केल भूकंप की तीव्रता 10 गुना बढ़ जाती है। इसके साथ ही भूकंप के कारण जो पृथ्वी की सतह में ऊर्जा का निर्माण और प्रवाह होता है वह प्रति स्केल 32 गुना बढ़ जाती है। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो प्रति इकाई में होने वाली वृद्धि भूकंपीय ऊर्जा पहले निकलने वाली ऊर्जा में 31 गुना से अधिक का निर्माण होता है। अथार्थ 5 रिक्टर स्केल पर निकालने वाली ऊर्जा 4 रिक्टर स्केल पर निकालने वाली ऊर्जा से 31 गुना अधिक होगी। यह पैमना भूकंप से होने वाले विनाश का अनुमान बताता है।

विभिन्न प्रकार के रिक्टर स्केल पर आने वाले भूकंप का भावी प्रभाव को निम्न टेबल की सहायता से बताया जा सकता है:

रिक्टर स्केल का भूकंपीय मैग्निटिट्यूड
मैग्निटिट्यूड स्तर श्रेणी प्रभाव प्रति वर्ष आने वाले भूकंप
>1.0  – 2.9  सबसे कम कंपन केवल उपकरण पर दर्ज होता है, इसका अहसास भी नहीं होता है 100,00 >
3.0 – 3.9 मामूली एहसास लोगों को एहसास होता है लेकिन नुकसान नहीं होता है 12,000- 100,000
4.0 – 4.9 हल्का कंपन लोगों को थोड़ा अधिक एहसास के साथ मामूली नुकसान 2000- 12000
5.0 – 5.9 मध्यम कंपन कमजोर इमारतों को नुकसान संभव 200- 2000
6.0 – 6.9 तेज कंपन शहर में थोड़ा अधिक नुकसान संभव 20 – 200
7.0 -7.9 बहुत तीव्र कंपन विनाशकारी और जान-माल का नुकसान बड़े पैमाने पर 3 – 20
8.0 – 8.9 अत्यधिक तीव्र कंपन प्रलयकारी और बड़े पैमाने पर जान माल का नुकसान संभव Ø  3
9.0 – 9.9 पृथ्वी के बड़े हिस्से का नाश और प्रलय का साक्षत रूप
10.0 – + ऐतिहासिक अनुमान से बाहर का विनाश

 

इस टेबल के अनुसार यह कहा जा सकता है कि रिक्टर स्केल पर आने वाले 2.0 या इससे कम के भूकंप लगभग प्रतिदिन विश्व के विभिन्न हिस्सों में महसूस किए जाते हैं। लेकिन यह झटके किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं छोड़ते हैं। जबकि 8.0 या इससे अधिक के पैमाने के भूकंप विश्व में बड़े पैमाने पर प्रलय और सुनामी का कारण तक बन सकता है। इससे अधिक के पैमाने के भूकंप अभी तक महसूस नहीं किए गए हैं।

किसी भी क्षेत्र में भूकंप की तरंगो के उठते ही रिक्टर स्केल पर इन तरंगों का माप तैयार हो जाता है। आंकड़ों के अनुसार अब तक का सबसे भयावह भूकंप रिक्टर पैमाने पर 8.3 मापा गया है। यह 1930 में सेन फ्रांसिस्को क्षेत्र में आया था जिसमें होने वाले नुकसान की तुलना हिरोशिमा पर गिराए गए अणु बम से एक लाख से अधिक गुना हुए नुकसान से करी जाती है।

Content Reference:

  1. www.britanica.com
  2. www.gns.cri.nz
  3. https://science.howstuffworks.com
  4. https://www.cbc.ca/