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Career in Journalism: लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का है पुराना इतिहास,ऐसे बनाए इसमें करियर



आज के दौर में करियर एक ऐसा स्तंभ है, जिसकी बात होना सबसे ज़रूरी है, इसी पर बात करते हुए हम आज करियर इन जर्नलिज्म (career in journalism) की बात करेंगे। कहते हैं कि इस मुल्क में रवानियत (वेग) बहुत है, उसी रवानी के साथ बढ़ते हैं इस देश के मुद्दें और खबरें, आज जो ब्रेकिंग न्यूज़ है कल वो इतिहास के पन्नों में दर्ज होगी। इसी ब्रेकिंग और इतिहास के बीच में होता है जर्नलिस्ट, जिसे पत्रकार भी कहा जाता है और इस प्रोफेशन को पत्रकारिता।

आज पत्रकारिता और पत्रकार के तौर पर करियर कैसे बनाना है उसी की बात होगी इस लेख में, सबसे पहले जानते हैं इस लेख में आपके काम की बातें-

जर्नलिज्म क्या है ?

Journalism में career कैसे बनाएं?

ये सवाल लोग अलग-अलग प्लेटफ़ॉर्म पर पूछते रहते हैं। हमारी कोशिश रहेगी कि आपके सभी सवालों का जवाब हम इस लेख के माध्यम से दे दें।  

जर्नलिज्म में करियर (Career in Journalism)

अगर आपकी खबरों में रूचि है और आप 12वीं की परीक्षा पास कर चुके हैं तो आप जर्नलिज्म की पढ़ाई की शुरुआत कर सकते हैं। भारत के कई बड़े-छोटे संस्थान में मास मीडिया में डिग्री लेवल की पढ़ाई होती हैं। इसी के साथ अगर आपने किसी और फील्ड में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर ली है। फिर भी आप पोस्ट ग्रेजुएशन के माध्यम से पत्रकारिता की फील्ड में आ सकते हैं। पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद भी इसमें एमफिल और पीएचडी तक की पढ़ाई होती है।  

जर्नलिज्म के प्रमुख कोर्सेज

जर्नलिज्म की पढ़ाई के लिए देश के प्रमुख संस्थान

कोर्सेस में दाखिला

जर्नलिज्म के कोर्स में दाखिला एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करने के बाद ही मिलता है, हर कॉलेज का अपना एक अलग प्रोसीजर होता है, जिसकी जानकारी आपको उनकी आधिकारिक वेबसाईट पर मिल जाएगी।  

फील्ड ऑफ़ जर्नलिज्म

नौकरी के भी हैं भरपूर अवसर

जर्नलिज्म की पढ़ाई करने के बाद आप न्यूज़ एजेंसी, न्यूज़ चैनल, न्यूज़ वेबसाईट, प्रोडक्शन हाउस, सरकारी न्यूज़ चैनल, प्रसार भारती, फिल्म निर्माण, पब्लिक रिलेशन या फिर फ्रीलान्स जर्नलिस्ट के तौर पर भी काम कर सकते हैं।  

कई लोग आपको भ्रमित कर सकते हैं कि पत्रकारिता की फील्ड में सैलरी और नौकरी की काफी दिक्कतें रहती हैं, लेकिन इसको आप वैसे ही समझ सकते हैं कि अगर आपके अंदर काबिलियत और ज्ञान है, आपको खबरों से प्यार है, आप किताबें पढ़ते हैं, तो फिर आ जाइए, कूद जाइए समाज को बदलने के इस प्रोफेशन में आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।

कुछ पद हम आपको बता देते हैं जिनपर आप एक पत्रकार के रूप पर काम कर सकते हैं-

पत्रकारिता के सर्वोच्च अवॉर्ड्स

‘नोबेल पुरस्कार’ उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होंने साहित्य से लेकर अर्थशास्त्र तक उत्तम कार्य किया हो, इसी के साथ हॉलीवुड का एक पुरस्कार होता है ‘ऑस्कर’ जिसे दुनिया में फिल्म इंडस्ट्री का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है। ओलम्पिक के पदक को खेलों का और ‘ग्रैमी अवॉर्ड्स’ को म्यूजिक का सबसे बड़ा सम्मान माना जाता है। अब हम जिस पुरस्कार की बात करेंगे वो है जिससे पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्तम काम करने वाले को सम्मानित किया जाता है।

जग-जाहिर बात ये है कि बिना उत्साह और जज्बे से जर्नलिज्म नहीं की जा सकती है। ये बात भी सूर्य के समान सत्य है कि पत्रकारिता के क्षेत्र में तीन सम्मानों का सबसे ज्यादा महत्त्व है। ये हैं –“पुलित्ज़र”, “राम नाथ गोयनका” अवॉर्ड और “रेमन मैग्सेसे” सम्मान।

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार-

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार को एशिया के देशों में नोबेल पुरस्कार की तरह देखा जाता है. साल 2019 में ये पुरस्कार भारत में पत्रकारिता के क्षेत्र में रवीश कुमार को दिया गया था. इस पुरस्कार की शुरुआत अप्रैल 1957 में हुई थी.

कब हुई थी पुलित्जर अवॉर्ड की शुरुआत-

जोसफ़ पुलित्जर ने अपनी मौत से 7 साल पहले यानी 1904 में एक विल बना दी थी, जिससे पुलित्जर अवॉर्ड की शुरुआत हुई थी।

राम नाथ गोयनका पुरस्कार-

राम नाथ गोयनका पुरस्कार पत्रकारिता के क्षेत्र में निष्पक्ष होकर काम करने वाले पत्रकारों को दिया जाता है. राम नाथ गोयनका के नाम पर ये पुरस्कार आयोजित किए जाते हैं. साल 2006 के बाद हर साल इन पुरस्कारों का आयोजन होता है।

देश में पत्रकारिता की हालत कैसी है?

इंडियन एक्सप्रेस और लल्लनटॉप की रिपोर्ट्स के अनुसार मौजूदा दौर में हिंदी पत्रकारिता की हालत काफी अच्छी है। अंग्रेजी जर्नलिज्म की हालत तो हमेशा से ही हिंदी के मुकाबले बेहतर रही है।  

हिंदी जर्नलिज्म के बेहतर होने की मुख्य वजह ये है कि हिंदी टाइपिंग अब काफी ज्यादा आसान हो चुकी है। बहुत लोग हिंदी में सुनना और अपने आपको अभिव्यक्त करना चाहते हैं, जिसकी वजह से मार्केट भी कंटेंट का खुल सा गया है। डिजिटल मीडिया के आने से स्कोप भी काफी ज्यादा बढ़ गया है, लेकिन इसी के साथ जर्नलिस्ट की चुनौती भी बढ़ी है।

“इसमें कोई दो राय नहीं है कि अब की जर्नलिज्म बिजनेस ऑफ़ न्यूज़ बन चुकी है, सोशल मीडिया के दौर में खबरों का फैलाव काफी ज्यादा हो गया है, इसी के साथ फेक न्यूज़ का फैलाव भी बढ़ गया है। तो यहां पर अब जर्नलिस्ट की भूमिका आती है कि इतनी फेक न्यूज़ के साथ कैसे सही खबर जनता तक पहुंचाई जाए, अगर आप ये कला सीख जाते हैं और किताबों में रूचि बनाए रखते हैं तो आप एक पत्रकार बन सकते हैं”।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी कविता में कहा था कि- “दांव पर सबकुछ लगा है, रुक नहीं सकते, टूट सकते हैं मगर झुक नहीं सकते”।

बस यही बात पत्रकारिता पर भी सटीक बैठती है कि ‘रियल जर्नलिज्म तो वही है जो सत्ता की शाश्वत प्रतिपक्ष हो’।

आज के दौर की पत्रकारिता पर वरिष्ठ पत्रकारों के कोट्स

एक पंक्ति है कि- शौक-ए दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर

सही राह “ब्रह्मज्ञान”

इस लेख का ब्रह्मज्ञान ये है कि आप जर्नलिज्म में ये बिल्कुल भी सोंचकर ना आएं कि यहां आते ही आपको किसी न्यूज़ चैनल में एंकर के तौर पर बैठा दिया जाएगा। ऐसी मानसिकता रखकर आने वाले ही विफल होकर जाते हैं। अगर आपके अंदर काबिलियत होगी और किस्मत भी तो एक दिन आप एंकर भी जरूर बनोगे, लेकिन पत्रकारिता की फील्ड में सेलेब्रिटी बनने की चाह में मत आइयेगा, यहां आप लेखक और पत्रकार बनने के लिए आइयेगा, आपको सफलता ज़रूर मिलेगी।

अगर आपकी दिलचस्पी प्रोफेशनल फोटोग्राफी में भी है तो भी आपको पत्रकारिता के फील्ड में काम मिल सकता है। प्रिंट से लेकर डिजिटल मीडिया तक में फोटोग्राफर की ज़रूरत होती है। फोटोग्राफर का काम सिर्फ फोटो खींचना ही नहीं होता, बल्कि ऐसी क्लिक लानी होती है जो न्यूज़ के साथ मैच कर सके।

सरांश

अगर आप इतिहास के पन्नों पर अपनी नज़र डालेंगे तो आपको पता चलेगा कि भारत में स्वतंत्र पत्रकारिता के पितामह राजा राम मोहन राय को माना जाता है। उन्होंने देश भर में प्रेस की स्वतंत्रता के लिए कठिन संघर्ष भी किया था। राजा राम मोहन राय ने अंग्रेजी, बांग्ला और उर्दू में अखबार का संपादन और प्रकाशन किया था।

चलते-चलते आपको महात्मा गांधी के विचार के साथ छोड़ जाते हैं, जो उन्होंने पत्रकारिता के लिया कहा था। महात्मा गांधी ने पत्रकारिता को लेकर कहा था कि ‘जर्नलिज्म का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ समाज के हितकार्य के लिए सेवा होना चाहिए और कुछ भी नहीं’।

पुलित्जर ने कहा था कि “आज से 50 साल बाद आज के लिखे को पढ़ना ऐसा होगा मानों किसी दूसरी दुनिया को धो-पोंछकर पढ़ रहे हों”।