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इसरो- कार्य, इतिहास, खासियत और कुछ महत्वपूर्ण तथ्य



मनुष्य हमेशा से ही अंतरिक्ष में मौजूद चांद, सूरज, सितारे, ग्रह, उपग्रह के बारे में जानने का इच्छुक रहा है। लेकिन अंतरिक्ष में मनुष्य की वास्तविक यात्रा 4 अक्टूबर 1957 से शुरू हुई। इस दिन पृथ्वी की सतह से पहली बार मानव निर्मित रूसी उपग्रह ‘स्पुतनिक’  अंतरिक्ष में छोड़ा गया। इसके बाद दुनिया के कई देशों ने अंतरिक्ष की खोज में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज भारत भी दुनिया के उन्हीं कई बड़े देशों में से एक है जो अंतरिक्ष की खोज में अपना अहम रोल निभा रहा है। अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन के साथ भारत भी आज एक ऐसा देश है जो अपने देश में सैटेलाइट बनाकर उसे लॉन्च करने की क्षमता रखता है। ऐसा संभव हो पाया है इसरो की वजह से। तो आइए ज़रा विस्तार से जानते हैं कि आखिर क्या है इसरो, क्या है इसका काम और इसके इतिहास के बारे में।

क्या है इसरो (ISRO)

इसरो  का पूरा नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है। इसका हेडक्वार्टर कर्नाटक के बेंगलूरू में है। साथ ही भारत में इसके कुल 13 सेंटर हैं। इसरो भारत की राष्ट्रीय स्पेस एजेंसी है, जिसका उद्देश्य भारत के लिए अंतरिक्ष संबंधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। इसरो अंतरिक्ष विभाग के द्वारा कंट्रोल किया जाता है, जो सीधे भारत के प्रधानमंत्री को रिपोर्ट भेजता है। इसरो की स्थापना डॉक्टर विक्रम साराभाई ने साल 1969 में स्वतंत्रता दिवस के दिन की थी। डॉक्टर साराभाई को स्पेस प्रोग्राम का जनक भी कहा जाता है। फिलहाल इसरो के अध्यक्ष डॉ. के शिवन हैं।

इसरो का इतिहास

साल 1957 में स्पूतनिक के प्रक्षेपण के बाद डॉ. विक्रम साराभाई ने कृत्रिम उपग्रहों की उपयोगिता को भांपा। साल 1961 में भारत के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अंतरिक्ष अनुसंधान को परमाणु ऊर्जा विभाग की देखरेख में रखा। भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले होमी भाभा ने साल 1962 में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति (इनकोस्पार) का गठन किया, जिसमें डॉ॰ साराभाई को सभापति के रूप में नियुक्त किया। होमी भाभा तत्कालीन परमाणु उर्जा विभाग के निदेशक थे। 1962 में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की स्थापना के साथ ही अनुसंधित रॉकेट का प्रक्षेपण शुरू कर दिया गया। परमाणु उर्जा विभाग के अंतर्गत इन्कोस्पार कार्यक्रम से 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का गठन किया गया।

1960 और 1970 के दशक के दौरान, भारत ने अपने राजनीतिक और आर्थिक आधार के कारण स्वयं के प्रक्षेपण यान कार्यक्रम की शुरूआत की। देश में सफलतापूर्वक साउंडिंग रॉकेट कार्यक्रम विकसित किया गया। 1980 के दशक से उपग्रह प्रक्षेपण यान-3 पर अनुसंधान का कार्य किया गया। इसके बाद ने पीएसएलवी जीएसएलवी आदि रॉकेट को विकसित किया। भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट सोवियत संघ द्वारा कॉसमॉस-3एम प्रक्षेपण यान से 19 अप्रैल 1975 को लांच किया गया था। इसके बाद स्वदेश में बने प्रयोगात्मक रोहिणी उपग्रहों की श्रृंखला को भारत ने स्वदेशी प्रक्षेपण यान उपग्रह प्रक्षेपण यान से लांच किया।

जानें इसरो की खासियत

इसरो से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

निष्कर्ष

27 मार्च 2019 को भारत ने ‘मिशन शक्तिट के जरिए अंतरिक्ष में दुनिया की चौथी महाशक्ति बनने की उपलब्धि हासिल की है। इसरो के वैज्ञानिकों ने स्पेश में 300 किलोमीटर दूर, लो अर्थ ऑरबिट (LEO) में एक सैटेलाइट को मार गिराया।  सेटलाइट को एंटी सेटलाइट मिसाइल द्वारा मार गिराया गया।  सिर्फ 3 मिनट में सफलता पूर्वक यह ऑपरेशन पूरा किया गया। इसरो से जुड़ी ये जानकारी में हमने इसरो की अधिकृत वेबसाइट और विकिपीडिया की मदद ली हैं। अगर आपको हमारा ये लेख अच्छा लगा हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर ज़रूर बताएं। ​