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May 12 – अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस (International Nurses Day)



“अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस” या कहें “फ्लोरेंस नाइटिंगल दिवस” ये दोनों ही एक-दूसरे के पर्याय हैं। आज के इस अंक में हम आपको इस संबंध के बारे में विस्तृत जानकारी देने वाले हैं। पहले बात करते है वर्तमान के परिपेक्ष्य में “अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस” की प्रासंगिकता। दोस्तों जैसा की आपको पता है वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल , डॉक्टर्स , नर्सेज आदि की भूमिका को और भी अधिक सशक्त बना दिया है। यदि वास्तविकता में देखा जाये तो ये नर्सेज ही हैं , जो रियल कोरोना वॉरियर्स हैं कोरोना रोगी के साथ चौबीस घंटे उनकी निस्वार्थ भाव से सेवा करना, रोगियों को आत्मीयता , सांत्वना तथा हौसला बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों को निभा रहीं हैं। आज का यह दिवस नर्सेज की निष्ठा, सेवाभाव तथा आत्मीयता को समर्पित है। आइये “अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस” के बारे और अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं।

इस अंक में आपके लिए हैं –

• “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” का परिचय

• क्यों मनाया जाता है “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस”?

• फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक परिचय

• “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” का इतिहास

• “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” का महत्व

“अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” का परिचय

• प्रत्येक वर्ष 12 मई को “International Nurses Day” सामाजिक स्वास्थ्य में नर्सेस के योगदान को याद करने और उनके प्रति सम्‍मान प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन सभी नर्सों को उनके समर्पण, और काम को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है।

• यह दिवस “फ्लोरेंस नाइटिंगेल” के स्वास्थ्य सेवाओं तथा नर्स के शिक्षण एवं प्रशिक्षण में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए, उनकी याद में मनाया जाता है।

• “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” का उद्देश्य सभी नर्सेज के समर्पण, योगदान , काम के महत्व को जनमानस तक पहुंचना तथा नर्सेज के प्रति सम्मान प्रकट करना हैं।

• “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” दिन सभी नर्सो को समर्पित हैं जो अपनी और परिवार की चिंता छोड़ मरीजों की जान बचाने में जुटी हैं, अपनी जान जोखिम में डाल ड्यूटी कर रही हैं।

• हर साल “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” की एक थीम निर्धारित की जाती हैं। इस वर्ष की थीम ‘नर्स : नेतृत्वकर्ता के रूप में एक आवाज, भविष्य की स्वास्थ्य सेवा के लिए एक दृष्टि'(Nurses: A voice to lead – A vision for future healthcare) रखी गयी हैं।

• वर्ष 2020 की थीम- Nurses: A Voice to Lead- Nursing the world तथा वर्ष 2019 की थीम – Nurses: A voice to Lead- Health for all रखी गयी थी।

क्यों मनाया जाता है “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस”?

• अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर नर्सेज के कार्य को पहचान एवं सम्मान देने के लिए हम हर वर्ष “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” मनाते हैं। यह बात तो हम जान ही चुके हैं।

• अब हम बात करेंगे “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” की प्रेरणा की, हम बात करेंगे कहाँ से मिली यह प्रेरणा की “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” मनाया जाये , इसके पीछे एक घटना जुड़ी हुई हैं।

• बात अक्टूबर 1853 की हैं, जब ब्रिटिश एम्पायर और रुसी एम्पायर के बीच ‘क्रीमिआ युद्ध” छिड़ा हुआ था। उस समय एक लेडी रात को हाथ में लालटेन लेकर घायल सैनिको की सेवा में निकला करती थी। जिसे “द लेडी विथ द लैंप” कहा जाता था , आप आज भी हाथ में लैंप लिए उनका स्टेचू कई देशो में देख सकते हैं।

• “द लेडी विथ द लैंप” का वास्तविक नाम था “फ्लोरेंस नाइटिंगेल” जो एक ब्रिटिश नर्स थी और उन्होंने 38 नर्सेज की एक टीम बनाकर युद्ध में घायल सैनिको का उपचार किया था।

• “फ्लोरेंस नाइटिंगेल” ने बिना किसी भेदभाव के, बिना ये देखे की घायल सैनिक किस पक्ष का हैं , घायल सैनिको का उपचार किया था। उनकी इस मानवता सेवा को ब्रिटिश महारानी द्वारा सम्मानित भी किया गया था।

• “फ्लोरेंस नाइटिंगेल” रात को लालटेन लेकर यह देखने निकल पड़ती थी की कहीं कोई घायल सैनिक तो नहीं पड़ा हैं , किसी सैनिक को उनकी आवश्यकता तो नहीं हैं। “फ्लोरेंस नाइटिंगेल” घायल सैनिको के पत्र भी लिखा करती थी।

•”फ्लोरेंस नाइटिंगेल” का जन्म 12 मई को हुआ था , उन्हें आधुनिक नर्सिंग का संस्थापक भी माना जाता है। अतः उनके जन्मदिन पर “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” मनाये जाने की शुरुवात की गयी।

फ्लोरेंस नाइटिंगेल -एक परिचय

• फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक ब्रिटिश नर्स, आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक, दार्शनिक, सांख्यिकीविद और समाज सुधारक थीं।

• फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 12 मई 1820 को इटली के फ्लोरेंस में हुआ था। उनका नाम फ्लोरेंस शहर के आधार पर “फ्लोरेंस” रखा गया था।

• फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक उच्च वर्गीय धनी, ब्रिटिश परिवार से सम्बन्ध रखती थी। उनके पिता का नाम विलियम एडवर्ड नाइटिंगेल तथा माता का नाम फ्रांसिस नाइटिंगेल था।

• फ्लोरेंस नाइटिंगेल की प्रवृति बचपन से से ही गरीब तथा बीमार लोगो की सेवा करने की रही थी। इसी वजह से उन्होंने 16 वर्ष की आयु में नर्सिंग को एक पेशे के रूप में अपनाने का निर्णय लिया था।

• फ्लोरेंस नाइटिंगेल के माता-पिता चाहते थे, उनका विवाह एक अच्छे परिवार में हो जाये , क्योकि उस समय “नर्सिंग” को एक अच्छे पेशे के रूप में नहीं देखा जाता था।

• फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने जर्मनी से 3 महीने की ट्रैंनिंग प्राप्त की नर्सिंग में और वहां से लौटकर लंदन के एक हॉस्पिटल में नर्स के रूप में सेवा देने लगी।

• फ्लोरेंस नाइटिंगेल क्रीमियन युद्ध के दौरान सैनिको की सेवा में लगी थी। नाइटिंगेल ने सैनिकों के लिए एक विशेष रसोईघर, लांड्री तथा एक लाइब्रेरी की व्यवस्था की।

• फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने घायल सैनिको को टाइफाइड और हैजा जैसे संक्रामक रोगों से बचाने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा था।

• फ्लोरेंस नाइटिंगेल जब क्रीमियन युद्ध से लौटी तो ब्रिटैन की महारानी ने उन्हें “नाइटिंगेल ज्वेल” और 250,000 पॉन्ड देकर सम्मानित किया था।

• फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने इस धन का उपयोग लंदन में संत थॉमस हॉस्पिटल बनाने और उसी में “नाइटिंगेल ट्रेनिंग स्कूल फॉर नर्सेस” की स्थापना करने में किया था।

• फ्लोरेंस नाइटिंगेल नर्सिंग प्रशिक्षण की पहली किताब ‘ नोट्स ओन नर्सिंग’ (Notes on Nursing) का लेखन कार्य किया था।

• 13 अगस्त 1910 को इस दुनिया को सेवा भाव का प्रकाश दिखाने वाली “द लेडी विथ द लैंप” इस इस दुनिया को अलविदा कह गयी थी।

“अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” का इतिहास

• सबसे पहले “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” मनाये जाने का प्रस्ताव साल 1953 में अमेरिकी स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के एक अधिकारी डोरोथी सुदरलैंड ने रखा था, किन्तु उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति डेविट डी. आइजनहावर ने इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं प्रदान की थी।

• साल 1965 में “इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स” (ICN) ने 12 मई को “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” मनाये जाने की घोषणा की थी।

• साल 1974 में अमेरिकी राष्ट्रपति Gerald Ford के द्वारा भी 12 मई को “अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” के रूप में मनाये जाने की स्वीकृति प्रदान की गयी थी।

• हमारे देश में भी नर्सों की सराहनीय सेवा के लिए “परिवार एवं कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार” द्वारा “राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार” से उन्हें सम्मानित किया जाता हैं। पुरस्कार के रूप में 50 हज़ार रुपये एवं प्रशस्ति पत्र दिए जाते हैं।

“अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस” का महत्व

• कोरोना के इस संकट काल में केवल नर्स ही हैं जो पिछले एक वर्ष से अधिक समय से मरीजों को ठीक करने में अपना दिन-रात एक कर रही हैं।

• हमे धन्यवाद करना चाहिए “फ्लोरेंस नाइटिंगेल” का जिन्होंने नर्सिंग के पेशे को एक मजबूत नींव प्रदान की यदि दुनिया में नर्सिंग का पेशा न होता तो आज इस महामारी में हम सभी का जीवन और भी संकट में होता।

• नर्सों की अपनी भी जिंदगी होती है, अपना परिवार होता है, फिर भी वे अपने कर्तव्य को सबसे पहले रखकर कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी में भी अपना काम सम्पूर्ण निष्ठां से कर रहीं है।

• इस कोरोना काल में बहुत सी नर्सेज 24 घंटे मरीजों के लिए समर्पित हो गयी है।बहुत सी नर्स अपने घर -परिवार से दूर रहकर मरीजों की सेवा में लगी हुई हैं।

• बहुत सी ऐसी नर्स भी हैं , जो अपनी ड्यूटी के बाद घर तो जाती हैं, किन्तु कोरोना संक्रमण के भय से घर वालो से दूर आइसोलेशन में रहती है।

• नर्सेज एक माँ और एक बहन की भाँति मरीजों की सेवा करती हैं। शायद इसीलिए इन्हे “सिस्टर” कहकर सम्बोधित किया जाता हैं। आज हम दिल से सलाम करते हैं इनकी कर्तव्यनिष्ठा एवं समर्पण को।

दो शब्द

आज सम्पूर्ण विश्व में कोरोना के कारण उत्पन्न स्वास्थ्य हालातो को देखते हुए हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि नर्सिंग दुनिया में सबसे बड़ा स्वास्थ्य देखभाल, मानवता सेवा और पुण्य का काम है। आज हमारे जितने भी मरीज हॉस्पिटल से ठीक होकर घर जा रहें हैं , उसमे डॉक्टर्स के साथ-साथ नर्सेज का भी बहुत बड़ा हाथ हैं। हमारे स्वास्थ्य की, हमारे बाद जिसे सबसे ज्यादा चिंता रहती हैं वो नर्सेज होती हैं। वो नर्सेज ही हैं जो अपने हर मरीज के ठीक हो जाने की मंगलकामना करती हैं तथा पूर्ण रूप से स्वास्थ्य हो जाने पर खुश भी होती हैं। हमारा आज का यह लेख विश्वभर की सभी नर्सेज के समर्पण, सेवाभाव और काम को सम्मान एवं आदर देने के लिए हैं। मैं आशा करता हूँ की हम अपने उद्देश्य में सफल हो पाए हैं और आपको हमारा यह प्रयास अवश्य पसंद आया होगा, धन्यवाद।