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2 सितंबर 1946: आज़ादी से एक साल पहले जवाहरलाल नेहरु की अंतरिम “भारत सरकार”



2 सितंबर 1946, की  तारीख भारतीय इतिहास में काफी महत्व रखती है। अगर आपके मन में सवाल आ रहा है कि आखिर क्या हुआ था इस तारीख को? हम आपको बता दें कि इसी दिन आज़ादी के पहले भारत में अंतरिम सरकार (Interim Government) का गठन हुआ था।

पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत की अंतरिम सरकार (Interim Government of India) में वाइस प्रेसीडेंट थे। आपको याद दिला दें कि इस पद पर वह तब विराजमान थे जब भारत आज़ाद नहीं हुआ था। बता दें कि इस अंतरिम सरकार में कुछ दिनों बाद मुस्लिम लीग भी शामिल हुआ था। 15 सदस्यों के मंत्रिमंडल में मुस्लिम लीग के 5 सदस्यों को शामिल किया गया था।

इस लेख के मुख्य बिंदु-

क्या होती है अंतरिम सरकार (Interim Government)?

इसे आप कार्यवाहक सरकार के तौर पर भी समझ सकते हैं। जब पूर्ण सरकार का गठन नहीं हुआ होता है लेकिन देश या राज्य व्यवस्था को चलाने के लिए सरकार की ज़रूरत होती है। तब एक फिक्स्ड टाइम के लिए जिस सरकार का गठन होता है उसी को अंतरिम सरकार (Interim Government) कहा जाता है। 

भारत के इतिहास (Indian History) में 2 सितंबर 1946 इसीलिए खास है क्योंकि इसी दिन भारत में अंतरिम सरकार का गठन हुआ था। जब अंग्रेजों को ऐसा प्रतीत होने लगा था कि अब भारत में सत्ता परिवर्तन का समय नज़दीक आ गया है। तब उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरु को सुझाव दिया था कि जब तक पूर्ण आज़ादी नहीं मिलती है तब तक आप अंतरिम सरकार बना लीजिये। हालांकि, इस अंतरिम सरकार के अध्यक्ष माउंटबेटन थे लेकिन पंडित जवाहर लाल नेहरु को प्रधानमंत्री जैसी पॉवर दी गई थी। 

अंतरिम सरकार का गठन आखिर हुआ क्यों था?

द्वितीय विश्वयुद्ध (Second World War) खत्म हो चुका था। इसके खत्म होते ही ब्रिटिशर्स को भी पता चल गया था कि अब भारत गणराज्य की स्थापना निश्चित है। 

लेकिन सबके सामने एक यक्ष सवाल ये खड़ा था कि भारत को आज़ादी कैसे दी जाए? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए साल 1946 में ब्रिटेन की तरफ से ही भारत में एक मिशन भेजा गया था। इस मिशन का नाम था “कैबिनेट मिशन”। 

ब्रिटिश भारत के आलाकमान ने तय किया कि अब यहां अंतरिम चुनाव कराने का वक्त आ गया है। फिर कैबिनेट मिशन ने भारत मे अप्रत्यक्ष अंतरिम चुनाव करवाए। इस चुनाव में मुस्लिम लीग ने भी हिस्सा लिया था।

चुनाव के रिजल्ट भी अपेक्षा के अनुसार ही आए। चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 69 प्रतिशत सीटें हासिल करते हुए 11 प्रोविंस में से 8 प्रोविंस अपने नाम कर लिए थे।

फिर अंतरिम सरकार का गठन किया गया था। इस सरकार में जवाहर लाल नेहरु को वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया और सरदार वल्लभ भाई पटेल को ग्रह मंत्री की ज़िम्मेदारी दी गई थी।

अंग्रेज भी थे सरकार में शामिल

क्या थी संविधान सभा?

चुनाव आयोग का गठन

इसी संविधान की बुनियाद में देश में चुनाव आयोग का गठन हुआ और साल 1951 में देश के पहले लोकतांत्रिक चुनाव की नींव रखी गई।

अंतरिम सरकार (Interim Government) के कुछ फैक्ट्स

मुस्लिम लीग के 5 सदस्य थे- गजनफर अली खान, अब्दुरव निश्तार, जोगेंद्र नाथ मंडल, इब्राहिम इस्माइल चुंद्रीगर, लियाकत अली खान

ऐसा दिखता था मंत्रीमंडल

1. अध्यक्ष – माउंटबेटन

2. वाइस प्रेसिडेंट – जवाहर लाल नेहरू

3. गृह, सूचना एवं प्रसारण- वल्लभ भाई पटेल

4.कमांडर इन चीफ- सर क्लॉड ऑचिनलेक

5. कृषि एवं खाद्य – राजेंद्र प्रसाद

6. वाणिज्य – आई.आई चुंद्रीगर (मुस्लिम लीग)

7. शिक्षा – सी राजगोपालाचारी

8. रक्षा – बलदेव सिंह

9. वित्त मंत्री- लियाकत अली खान (मुस्लिम लीग)

10. उद्योग मंत्रालय- सी राजगोपालाचारी

11. श्रम – जगजीवन राम

12. कानून मंत्रालय- जोगेंद्र नाथ मंडल (मुस्लिम लीग)

13. डाक एवं तार- अब्दुल राब निश्तर ( मुस्लिम लीग)

14. रेलवे एवं जनसंचार मंत्रालय- गजनफर अली खान (मुस्लिम लीग)

15. खनन एवं उर्जा मंत्रालय- सी.एच. 

सरांश

जब-जब भारत का इतिहास याद किया जाता है तो कई तारीखों को भी याद किया जाता है। उन्हीं तारीखों में शुमार है 2 सितंबर 1946 भी, जब आप इस तारीख को याद करेंगे तो आपको याद आएगा मुस्लिम लीग का विद्रोह, आपको याद आएगी जवाहर लाल नेहरु की महत्वकांक्षा, इसी के साथ आपको सरदार वल्लभ भाई पटेल की सियासी नेत्रत्व क्षमता भी याद आएगी। इसी के साथ ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ बी आर आंबेडकर के नेत्रत्व में बना संविधान भी आपके सामने आ जाएगा। इन्ही सबके बीच कहीं महीन रेखा में छुपा रहेगा 2 सितंबर 1946 का इतिहास।