भारत की आजादी के बाद 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच जो war हुआ वह भुलापाना मुश्किल है। दोनों देशों के बीच हुई इस जंग की नीव तो 1947 में आजादी के समय ही रख दी गयी थी। उस समय भी कश्मीर दोनों देशों के बीच विवाद की एक मुख्य वजह था। भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक चार बड़ी जंग लड़ी जा चुकी हैं, मगर इन चारों ही युद्ध में विजय भारत को ही मिली है। वर्ष 1965 के war में भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जब संयुक्त राष्ट्र संघ के हस्तक्षेप के बाद यह युद्ध समाप्त हुआ था।
इस लेख में आपके लिए है:
- India Pakistan wars: एक नजर में
- 1965 War: महत्वपूर्ण विवरण
- United Nations Intervention के बाद युद्ध का अंत
- युद्ध विराम के बाद
- नहीं सुधरा पाकिस्तान
India Pakistan wars: एक नजर में
- India Pakistan wars की शुरुआत 1948 में हुई, जब कश्मीर में कब्जे को लेकर दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ था और इस युद्ध में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी।
- Kashmir Issue को ही लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में एक और युद्ध हुआ, जिसमें भी पाकिस्तान को हार का मुंह देखना पड़ा था।
- भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरा युद्ध 1971 में हुआ, जिसे कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के नाम से भी जाना जाता है। इस युद्ध में भी पाकिस्तान की बुरी तरीके से हार हुई और बांग्लादेश नामक नए मुल्क का उदय हुआ।
- भारत और पाकिस्तान के बीच अंतिम बार युद्ध 1999 में हुआ था, जिसे कि कारगिल युद्ध के नाम से जानते हैं। इस युद्ध में भी भारत के वीर जवानों ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे।
1965 War: महत्वपूर्ण विवरण
- 5 अगस्त 1965 में पाकिस्तान के लगभग 33,000 सैनिकों ने लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) को पार कर दिया था। 15 अगस्त को भारतीय सुरक्षाबलों ने जवाबी हमले में सीजफायर लाइन को पार कर दिया था।
- सितम्बर 1965 में पाकिस्तान ने ग्रैंड स्लैम के नाम से एक खास मिशन की शुरुआत की जिसका मकसद था जम्मू के अखनूर सेक्टर पर कब्ज़ा करना। इस ऑपरेशन से भारतीय सेना को खासा नुकसान पंहुचा और कई सप्लाई रूट्स को भी इसने क्षतिग्रस्त कर दिया था। इस युद्ध में दोनों देशो को नुक्सान हुआ पर अंत में जीत भारत की हुयी।
- भारत में वर्ष 1964-65 के दौरान बड़ा अकाल पड़ा था और देशभर में अनाज संकट उत्पन्न हो गया था। लाल बहादुर शास्त्री तब देश के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने हफ्ते में एक दिन उपवास करने का नारा भी दे दिया था।
- प्रधानमंत्री आवास में भी लॉन में अनाज उगाए जाने की कोशिश उन्होंने की थी और दो बैलों के साथ लॉन की जुताई शुरू कर दी थी।
- एक तो आर्थिक हालात देश के ठीक नहीं थे। ऊपर से चीन से लड़ाई को मुश्किल से तीन साल ही बीते थे कि उधर पाकिस्तान ने 1965 के दौरान गुजरात में कच्छ के रण पर हमला बोल दिया, जबकि इस इलाके में किसी तरह का कोई सीमा विवाद नहीं था।
- कच्छ के रण को लेकर जो समझौता हुआ था, उसके जरिए शास्त्री युद्ध टालने की कोशिश में थे, लेकिन 5 अगस्त तक पहुंचते-पहुंचते शास्त्री समझ गए थे कि अब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को टालना संभव नहीं है।
- चीन की लड़ाई के साथ जो भारत के जख्म ताजा थे, पाकिस्तान उसे कुरेदने में लग गया था। पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान और विदेश मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो यही सोच रहे थे कि पाकिस्तान के लिए यही सबसे अच्छा अवसर है कश्मीर पर कब्जा जमा लेने का।
United Nations Intervention के बाद युद्ध का अंत
- 1965 War 17 दिनों तक चला था। यह एक भीषण युद्ध था, क्योंकि दोनों ही तरफ से बड़ी संख्या में सैनिक मारे गए थे।
- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में बड़े-बड़े टैंकों और सैन्य वाहनों के साथ दो देशों के बीच लड़ाई हुई थी।
- आखिरकार संयुक्त राष्ट्र को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा। इसके बाद यह युद्ध समाप्त हो पाया। सोवियत संघ और यूनाइटेड स्टेट्स ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता भी की थी। इसी के बाद ताशकंद समझौता भी हुआ था।
- Who won 1965 War? यह सवाल परीक्षा में अक्सर पूछा जाता है। इसका जवाब यही है कि भारत ने पाकिस्तान को हराकर 1965 के युद्ध को जीत लिया था। स्थिति ऐसी हो गई थी कि पाकिस्तान को समझ में आने लगा था कि अब भारत के सामने उसका टिक पाना मुमकिन नहीं है। ऐसे में जब युद्ध विराम का प्रस्ताव आया तो Pakistan ने इसे तुरंत स्वीकार कर लिया था।
- भारत में हालांकि बहुत से सैन्य अधिकारी युद्ध विराम के पक्ष में नहीं थे, मगर फिर भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बन रहे दबाव के आगे भारत झुकने के लिए मजबूर हो गया था।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 22 सितंबर, 1965 को दोनों देशों के बीच बिना शर्त युद्ध विराम का प्रस्ताव पारित कर दिया। इसके साथ ही भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही जंग समाप्त हो गई।
युद्ध विराम के बाद
- India Pakistan war जब समाप्त हो गया, तो इसके बाद यूएस और सोवियत संघ ने अपनी तरफ से राजनयिक कोशिशें लगातार जारी रखीं, ताकि भारत और पाकिस्तान के बीच दोबारा संघर्ष की स्थिति न पैदा हो।
- इसके बाद ताशकंद में भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कि 25 फरवरी, 1966 से पहले दोनों देशों उस सीमा तक लौटने के लिए राजी हो गए, जहां वे अगस्त से पहले मौजूद थे।
- ताशकंद में 11 जनवरी, 1966 को लाल बहादुर शास्त्री को दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उनका निधन हो गया।
नहीं सुधरा पाकिस्तान
- 1965 War के समाप्त होने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। भारत और पाकिस्तान दोनों की तरफ से एक-दूसरे पर सीजफायर के उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया।
- भारत ने पाकिस्तान पर 34 दिनों में 585 बार सीजफायर के उल्लंघन का आरोप लगाया, तो वहीं पाकिस्तान ने भी भारत पर 450 बार सीजफायर के उल्लंघन का आरोप मढ़ दिया।
- पाकिस्तान पर भारत ने यह भी आरोप लगाया था कि सीजफायर की आड़ में उसने फाजिल्का सेक्टर में भारत के गांव चननवाला पर कब्जा कर लिया था। भारतीय सैनिकों ने 25 दिसंबर को इस गांव को आजाद कराया था।
निष्कर्ष
1965 War में पाकिस्तान के लाहौर के बाहर तक भारत की सेना पहुंच चुकी थी। बड़ी ही आसानी से सियालकोट और लाहौर पर भारतीय सेना का कब्जा जमाना मुमकिन था, लेकिन 1965 वॉर, द इंसाइड स्टोरी: डिफेंस मिनिस्टर वाई बी चव्हाण डायरी ऑफ इंडिया-पाकिस्तान वॉर नामक किताब में तत्कालीन रक्षा मंत्री यशवंत राव चव्हाण ने लिखा है कि तत्कालीन सेना प्रमुख जयंतो नाथ चौधरी के भारतीय सेना के पास उपलब्ध गोला-बारूद की गलत जानकारी प्रधानमंत्री को देने की वजह से भारतीय सैनिकों को अपने पांव पीछे खींच लेने पड़े थे। भारत हमेशा शांति चाहता रहा है। 1965 के युद्ध में भी भारत ने आखिरकार शांति का ही रास्ता अपनाया, लेकिन पाकिस्तान के हर नापाक कदम का जवाब भी भारत ने बखूबी दिया है।