Career Counselling से जुड़े सभी सवालों का जवाब है इधर, स्टूडेंट्स दें ध्यान

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गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

गुरु के ऊपर आधारित इस श्लोक का अर्थ है कि “गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही शंकर का रूप भी हैं और गुरु ही साक्षात परम् ब्रम्ह भी हैं” अब आपके मन में ख्याल आया होगा कि ये क्या ही हो रहा है, संस्कृत के श्लोक से शुरुआत हुई लेख की और अब उसका अर्थ बताया जा रहा है। आप कुछ और सोंचे उसके पहले हम आपको बता देते हैं कि आज हम आपसे करियर की बात करेंगे, करियर काउंसलिंग की बात करेंगे, और सबसे ज़रूरी की उस करियर काउंसलिंग का आपके बच्चे या विद्यार्थी के ऊपर कैसा प्रभाव पड़ता है हम इस अहम मुद्दे के ऊपर भी बात करने वाले हैं।

आज के दौर की भागती-दौड़ती इस जिंदगी में क्या अभी आपको थोड़ा सा रुकने की ज़रूरत है या फिर अपने करियर की गाड़ी में गियर बदलने का समय है, करियर और करियर काउंसलिंग से जुड़ी हुई हर छोटी-बड़ी बातों का जिक्र इस लेख में होगा।

इस लेख में आपके काम की बातें-

  • हमें समझना पड़ेगा कि आखिर career counselling होती क्या है?
  • करियर कोचिंग क्या है?
  • कौन-कौन हो सकते हैं कोच?
  • क्यों ज़रूरी है  Career Counselling और Career Guidance for Students?
  • सरांश-

ये जानने से पहले कि career counselling किसी भी विद्यार्थी के जीवन में क्यों जरूरी है और कितनी ज़रूरी है?

हमें समझना पड़ेगा कि आखिर Career Counselling होती क्या है?

जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 ट्रिलियन इकॉनमी की बात कर रहे हैं, तो उस बात पर सबसे बड़ा योगदान विद्यार्थियों का होने वाला है। किसी भी स्टूडेंट के लिए उसका करियर ठीक वैसा ही होता है जैसे ‘प्यासे को पानी’, लेकिन अब यहां सवाल ये उठता है कि पानी शुद्ध या अशुद्ध, शुद्ध पानी यानी सही करियर के लिए एक करियर काउंसलर की ज़रूरत पड़ती है। जो कि स्टूडेंट की रूचि के आधार पर एक सही मार्गदर्शक के तौर पर सटीक करियर का चुनाव करने में मदद करता है। इसी पूरी प्रोसेस को करियर काउंसलिंग भी कहा जाता है।

Career counselling के दौरान स्टूडेंट की education counselling भी की जाती है। इसके साथ ही ये भी पता लगाया जाता है कि स्टूडेंट के अंदर कौन से स्किल्स मौजूद हैं और किन पर उसे काम करने की ज़रूरत है।

  • आपको बता दें कि करियर काउंसलिंग एक पूरी प्रोसेस होती है, इस प्रोसेस में स्टूडेंट के साथ उसके पैरेंट्स भी मौजूद होते हैं, इसके पीछे की वजह ये है कि एक काउंसलर के लिए ये जटिल है कि एक दो सेशन में किसी बच्चे की रूचि के बारे में पता लगा लेना।
  • करियर काउन्सलिंग के ही साथ एक काफी लोकप्रिय टर्म आज कल चल रहा है उसका नाम है करियर कोचिंग।

करियर कोचिंग क्या है?

Career coaching भी काउंसलिंग के जैसे ही एक प्रोसेस होती है, जिसमे स्टूडेंट को उसकी रूचि के बारे में पता चलता है, इस प्रोसेस में सबसे बड़ा योगदान होता है आपके कोच का, कोच ही आपको समझ सकता है और गाइड भी कर सकता है।

कौन-कौन हो सकते हैं कोच?

  • आप खुद- सबसे पते की बात ये है कि एक इंसान को खुद से बेहतर कोई नहीं जान सकता है, केवल आप ही हैं, जिसे आपकी कमजोरी और आपकी ताकत दुनिया में सबसे बेहतर पता है। इसलिए कोशिश करिए कि अपना कोच आप खुद बन सकें, नहीं तो प्रोफेशनल तो इस फील्ड में मौजूद हैं ही, जो आपकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार हैं।
  • आपके पैरेंट्स- आपके बाद आपको सबसे अच्छे तरीके से आपके माता-पिता, भाई-बहन, या परिवार वाले जानते हैं, आप अपनी रूचि का करियर चुनने के लिए अपने परिवार की भी मदद ले सकते हैं। अगर आपने कुछ फील्ड का चुनाव किया है तो उसके बारे में अपने माता-पिता या फिर परिवार वालों से बात करें, उनसे उस फील्ड के स्कोप के बारे में भी पूछें, उनसे कहें कि वो अपने परिचित से भी इस बारे में बात करके आपको बताएं, विश्वास करिए इस तरीके से आपकी मुश्किल हल हो ही जाएगी।
  • आपके टीचर- इस लेख की पहली लाइन पर जाइए, वहां लिखा हुआ है कि गुरु शिष्य का सबसे बड़ा सहायक साबित हो सकता है। आप अपने टीचर से अपने करियर को लेकर खुलकर बातें करें, उनकी सलाह लें, उनसे पूछें कि उनको क्या लगता है कि आप किस फील्ड में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। एक अच्छे करियर के लिए अच्छी किताबों का आपके आस-पास होना बहुत ज़रूरी है, अपने टीचर से अच्छी किताबों के बारे में भी ज़रूर सलाह लें, अपनी रूचि के बारे में भी उनसे बात करें, उम्मीद रखिये कि आपके टीचर आपकी ज़रूर मदद करेंगे।
  • प्रोफेशनल काउंसलिंग कोच- करियर काउंसलिंग के लिए आज कल तो प्रोफेशनल इंस्टिट्यूट भी खुल गए हैं, जहां इस फील्ड के प्रोफेशनल आपकी मदद करने को तैयार हैं। अगर आपको लगता है कि ऊपर बताए गए किसी भी तरीके से आपकी मदद नहीं हो पाई है तो आप प्रोफेशनल लोगों का सहारा भी ले सकते हैं। काउन्सलिंग के प्रोफेशनल इंस्टिट्यूट आजकल हर शहर में मौजूद हैं, आप अपने हिसाब और अपने बजट के हिसाब से उनका चुनाव कर सकते हैं। हमारी तरफ से आपको सलाह रहेगी कि प्रोफेशनल का चयन करते समय अपनी रिसर्च पर काम करना बंद ना करें, क्योंकि बाज़ार में कई फ्रॉड भी मौजूद हैं, आपकी सतर्कता ही आपका बचाव है।

क्यों ज़रूरी है  Career Counselling और Career Guidance for Students?

  • Career guidance and counselling क्या है, इसके बारे में हमने आपको ऊपर ही बता दिया है, स्टूडेंट जब अपनी 12वीं की बोर्ड परीक्षा दे रहा होता है, तब उसकी उम्र करीब 18 साल के आस-पास होती है। 12वीं की बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट के बाद से ही करियर की असली भागम भाग की शुरुआत हो चुकी होती है। 18 साल की उम्र में बच्चा इतना मैच्यूर नहीं हुआ होता है कि वो हर विषय की जानकारी अपने पास रख सके, इसी कारण कभी-कभी समाजिक दबाव के कारण वो अपनी रूचि से इतर फील्ड चुन लेता है, जिसके परिणाम बाद में भुगतने पड़ते हैं।
  • बस यहीं पर रोल आता है करियर काउंसलिंग का, अगर उस दौरान स्टूडेंट के पास कोई सही मार्गदर्शक मौजूद हो, तो उसे सही करियर चुनने में गलती होने की गुंजाइश कम से कम होगी।
  • एक बात ये भी अक्सर उठती रहती है कि करियर काउंसलिंग या करियर कोचिंग की सही उम्र क्या है? इसका जवाब ये है कि जब बच्चा 10वीं क्लास में पहुंच जाए तो उससे इस बारे में पूछ लेना चाहिए कि उसकी रूचि और अनरूचि किन चीजों में हैं, आपको ये समीक्षा करनी पड़ेगी की आपके बच्चे के अंदर करियर को लेकर सही दिशा है कि नहीं।

सरांश

गीता में कहा गया है कि ‘कर्म करो और फल की चिंता मत करो’ ठीक उसी तरह स्टूडेंट को भी अपने करियर को लेकर हमेशा सजग रहना चाहिए और उसकी सही दिशा में तैयारी भी करनी चाहिए। स्टूडेंट या उनके पैरेंट्स ज़रूरत पढ़ने पर करियर काउंसलिंग प्रोफेशनल की भी मदद ले सकते हैं, क्योंकि ‘उगते हुए सूरज को सभी सलाम करते हैं’ और आपके बच्चे का करियर अभी उग रहा है, इसमें अभी-अभी कोपलें फूटीं हैं, इनको पानी और सूर्य की किरण दोनों दीजिये और फलने फूलने में मदद करिए।

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