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स्वतंत्रता के इन ७२ सालों में भारत कितना विकसित हुआ, आइए जानते हैं

१४ अगस्त १९४७ की रात १२ बजे पूरा देश जाग रहा था, क्योंकि यही वो रात थी जब भारत गुलामी की जंजीरों से मुक्त हुआ था। फिर १५ अगस्त की सुबह, भारत में चमका उसकी आजादी का सूरज। १५ अगस्त १९४७ के बाद देश के सामने सबसे बड़ा सवाल था विकास। देश के विकास के लिए नए रास्ते और तरीके खोजने थे। आखिरकार देश ने विकास की अपनी नई इबारत लिखनी शुरू की और एक विकासशील देश बनकर दुनिया की नजरों में आया। राजनीति, खेल, शिक्षा, विज्ञान जैसे कई क्षेत्रों में आज भारत ने दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। तो आइए जानते है कि विभिन्न क्षेत्रों में अपने पहले स्वतंत्रता दिवस से लेकर आज़ादी के इन ७२ सालों तक भारत कैसे और कितना विकसित हुआ।

अर्थव्यवस्था– आज़ादी के बाद देश की अर्थव्यव्स्था में बहुत बड़ा बदलाव देखा गया है। एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी भारत को आज़ाद हुए ७२ साल हो गए। इन ७२ सालों में भारत की अर्थव्यवस्था २.७ लाख करोड़ रुपये से लगभग ५७ लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।

शिक्षा– आज़ादी के वक्त हमारे देश की साक्षरता दर महज १२ फीसदी थी। शिक्षा के क्षेत्र में भारत काफी पिछड़ा था। लेकिन आज़ादी के बाद देश में साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। २०११ की जनगणना के मुताबिक भारत की साक्षरता दर अब ७४ फीसदी के पार हो चुकी है।

आईटी क्रांति– आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा तेजी से विकास इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का हुआ है। १९६८ में टाटा कन्सल्टन्सी सर्विसिज़ की स्थापना ने भारत को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया। आज देश सूचना प्रौद्योगिकी के मामले में बेहद आगे बढ़ चुका है। इस क्षेत्र में हमारे देश के दिग्गज विदेशों में भी परचम फहरा चुके हैं।

बिजली– जब १९४७ में देश आज़ाद हुआ था, उस समय सिर्फ १३६२ मेगावाट बिजली का उत्पादन होता था। जबकि आज भारत एशिया में बिजली का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है। भारत को ये मुकाम हासिल करने में थोड़ा वक्त जरूर लगा, लेकिन आज भारत के लगभग हर गांव में बिजली पहुंच चुकी है।

परमाणु परीक्षण– भारत ने इन ७२ सालों में कई सफल परमाणु परीक्षण किए हैं। बुद्धा स्माइल्स, ब्रह्मोस से लेकर उपग्रह आर्यभट्ट तक का सफल परीक्षण किया गया। मंगल ग्रह का पहला मिशन नवंबर २०१३ में लॉन्च किया गया था, जो सफलतापूर्वक २४ सितंबर २०१४ को ग्रह की कक्षा में पहुंचा।

परिवहन नेटवर्क– किसी भी देश के विकास में उसके परिवहन नेटवर्क का भी योगदान होता है। साल १९५१ में भारत के परिवहन नेटवर्क की कुल लंबाई ०.३९९ मिलियन किलोमीटर थी जो जुलाई २०१४ में बढ़कर ४.२४ मिलियन किलोमीटर हो गई। अब देश के लगभग हर गांव को मुख्य सड़कों से जोड़ा गया है। वहीं भारतीय रेल नेटवर्क का विश्व में चौथा स्थान है।

भारत की विकास यात्रा से जुड़े कुछ और महत्वपूर्ण तथ्य