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आखिर कैसे हुई दुनियाभर में बैंकिंग प्रणाली की शुरुआत, क्या है भारत के बैंकों का इतिहास ?

बैंकिंग, ये शब्द आज हमारे लिए एक ऐसा शब्द बन चुका है जिसके बिना हम जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। दुनियाभर में बैंक लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है। इंसान तो क्या अब हर छोटे- बड़े देश की अर्थव्यवस्था भी उसके बैंकिंग प्रणाली पर टिकी है। दिन-प्रतिदन बैंकिंग प्रणाली में कई बड़े- बड़े बदलाव सामने आ रहे हैं। आज दुनियाभर में बैंकिंग का ये बड़ा सा हिस्सा छोटे रुप में लोगों के हाथों तक पहुंच गया है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि आखिरकार इस बैंकिंग प्रणाली की शुरुआत कहां से और कैसे हुई। चलिए जानते हैं बैंकिंग प्रणाली और उसके इतिहास से जुड़े कई महत्वपूर्ण तथ्य।

ऋग्वैदिक काल से ही मुद्रा को सहेजने वाली एजेंसियां और उन पर ब्याज देने वाली संस्थाओं का असिस्तव रहा है। कहा जाता है कि २००० ईसा पूर्व से दुनिया में बैंकिंग प्रणाली की शुरुआत हो चुकी थी। उस वक्त भी राशि उधार लेन-देन की प्रथा प्रचलित थी। सौदागर, किसानों और व्यापारियों को अनाज ऋण दिया करते थे। जिससे वे दूसरे शहर जाकर सामान लाया करते थे। उस वक्त ये प्रथाएं अश्शूर, भारत और सुमेरिया को देखने को मिलती थी। बाद में ऋण देने की ये प्रथा प्राचीन ग्रीस और रोमन में भी देखने को मिली। भारत और चीन के पुरातत्वों से धन उधार लेने की गतिविधियों का सबूत भी मिलता है।

वस्तु विनिमय से हुई बैंकिंग की शुरुआत

तकनीकी रुप से देखा जाए तो बैंकिंग सिस्टम की शुरुआत वस्तु विनिमय (Barter System) के तौर पर हुई थी। जहां लेनदेन पैसे यानी कि मुद्रा से नहीं होती थी, बल्कि लोग एक दूसरे की मदद के लिए सामानों का लेन- देन किया करते थे। लेकिन बाद में व्यापारियों ने व्यवसाय में लेन- देन के लिए एक सामान्य उपकरण की जरुरत महसूस की। जिससे बाद लेन- देन के लिए सोने के सिक्कों का इस्तेमाल किया जाने लगा। धीरे- धीरे जरुरत के हिसाब से सोने के सिक्कों को भी उसके भार के अनुसार प्रयोग किया जाने लगा। अब जब व्यापार के लिए व्यापारी समुद्री रास्तों से बाहर के देशों में जाने लगे तो उन्हें अपने सोने के सिक्कों को संभालने और बचाने के लिए सुरक्षा गार्ड की जरुरत महसूस हुई। इसके लिए उन्होंने अपने सोने के सिक्कों को एक जगह संभाल कर रखने की प्रक्रिया शुरु की और उसकी सुरक्षा के लिए सुरक्षागार्ड भी लगवाए। बस यही से शुरू हुई Safe Deposit की प्रणाली। इसके बाद सौदागरों ने अपने सोने के सिक्कों के बदले में व्यापारियों से ब्याज लेना शुरू कर दिया। जिससे ब्याज प्रणाली की शुरुआत हुई।

विश्व का पहला आधुनिक बैंक

पहला आधुनिक बैंक इटली के जेनोवा में १४०६ में स्थापित किया गया था, इसका नाम ‘बैंको दि सैन जिओर्जिओ (सेंट जॉर्ज बैंक)’ था। लेकिन इससे पहले १३९७ में सबसे प्रसिद्ध इतावली बैंक ‘मेडिसि बैंक’ था, जिसे जियोवानी मेडिसि ने स्थापित किया था। अभी भी अगर सबसे पुराने बैंक की बात की जाए तो वो ‘बंका मोंटे देई पासची डी सिएना’ है, जिसका मुख्यालय सिएना, इटली में है, जो १४७२ के बाद से लगातार चल रहा है।

धीरे- धीरे बैंकिंग सिस्टम का विस्तार पूरी दुनिया में होने लगा। १५वीं और १६वीं शताब्दी में ये पूरे यूरोप में फैल चुका था। इसके बाद १७वीं शताब्दी में एम्स्टर्डम और १८ वीं शताब्दी में इसका विस्तार लंदन में भी हो गया। २०वीं शताब्दी के दौरान बैंकिंग प्रणाली में बहुत महत्वपूर्ण बदलाव हुए। कंप्यूटर और दूर संचार के साधनों ने इसे और भी सरल बना दिया।

भारत में बैंकिंग का इतिहास

भारत में आधुनिक बैंकिंग सेवाओं का इतिहास दो सौ वर्ष पुराना है। पहले डच, फ्रांसिसी और अंग्रेज व्यापार के सिलसिले में भारत आये, लेकिन अंग्रेजों ने यहीं अपना पांव जमा लिया। जिसके बाद आधुनिक बैंकिंग की शुरुआत ब्रिटिश राज में हुई। १९वीं सदी के शुरुआत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने ३ बैंकों की शुरुआत की,

  1. १८०९ में बैंक ऑफ बंगाल
  2. १८४० में बैंक ऑफ बॉम्बे और
  3. १८४३ में बैंक ऑफ मद्रास

लेकिन १८५७ की क्रांति के बाद इन तीनों बैंको का विलय कर दिया गया और इसका नाम ‘इंपीरियल बैंक’ रखा गया। जिसके बाद १९५५ में इसका नाम बदलकर ‘भारतीय स्टेट बैंक’ कर दिया गया। इसके बाद इलाहाबाद बैंक भारत का पहला निजी बैंक बना। भारतीय रिजर्व बैंक १९३५ में स्थापित किया गया था और बाद में पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ़ इंडिया, केनरा बैंक और इंडियन बैंक स्थापित हुए।

बैंकों का राष्ट्रीयकरण

भारत में बैंकिग प्रणाली

भारत की बैंकिंग प्रणाली निम्न निम्नलिखित वर्गों में विभाजित है-

  1. केंद्रीय बैंक– इसके अंदर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया आता है, जो देश के सभी बैंको के लिए दिशा- निर्देश जारी करता है।
  2. सरकारी बैंक– इसके अंदर ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ और उसके अंतर्गत आने वाले बैंकों को रखा गया है। जो भारत सरकार के अधीन होता है।
  3. सार्वजनिक बैंक– इसमें बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जैसे कई बैंक सम्मिलित हैं।
  4. निजी बैंक– इनमें प्राइवेट सेक्टर के बैंकों की गिनती की जाती है, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, एचडीएफसी बैंक, ऐक्सिस बैंक, यस बैंक इत्यादि
  5. सहकारी क्षेत्र के बैंक– सहकारी क्षेत्र की बैंकें ग्रामीण लोगों के लिए बहुत अधिक उपयोगी है। इसमें राज्य सहकारी बैंक, केन्द्रीय सहकारी बैंक और प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटी आते हैं।

निष्कर्ष

विश्व के साथ-साथ भारत की बैंकिंग प्रणाली का इतिहास भी काफी पुराना और बड़ा है। बैंकिंग प्रणाली के इतिहास से जुड़ा ये आर्टिकल अगर आपको अच्छा लगा हो, तो हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। अगर आपके पास भी इससे जुड़ी कोई जानकारी है तो आप हमारे साथ ज़रूर शेयर करें।