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भारत में शिक्षा का इतिहास

भारत में शिक्षा का बहुत पुराना इतिहास रहा है। वर्तमान में यहाँ शिक्षा मुख्यतः सार्वजनिक संस्थानों से प्रदान की जाती है जिसमें नियंत्रण एवं वित्तपोषण तीन स्तरों से आता है – केन्द्र, राज्य एवं स्थानीय निकाय। 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान किया गया है। 2009 में भारतीय संसद द्वारा निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम पारित किया गया ।

यदि भारत में शिक्षा के इतिहास की बात करें तो प्राचीन समय में विद्यालय नहीं हुआ करते थे तब अधितकर गुरुकुल होते थे और गुरुकुलों की स्थापना प्राय: वनों, उपवनों तथा ग्रामों या नगरों में की जाती थी। वनों में गुरुकुल बहुत कम होते थे। अधिकतर दार्शनिक आचार्य निर्जन वनों में निवास, अध्ययन तथा चिन्तन पसन्द करते थे। भारतीय शिक्षा में बदलाव का दौर अंग्रेजों के शाशनकाल के समय से प्रारम्भ हुआ जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1780 कोलकाता में मदरसा स्थापित किया और फिर 1791 में बनारस में संस्कृत कॉलेज की स्थापना करवाई। 1873 में एक आज्ञापत्र के द्वारा शिक्षा में धन व्यय करने का निश्चय किया गया।  वुड का घोषणापत्र (वुड्स डिस्पैच) सर चार्ल्स वुड द्वारा बनाया सौ अनुच्छेदों का लम्बा पत्र था जो 1854 में आया था। इसमें भारतीय शिक्षा पर विचार किया गया और उसके सम्बन्ध में सिफारिशें की गई थीं। चार्ल्स वुड उस समय ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के “बोर्ड ऑफ कन्ट्रोल” के सभापति थे।

1857 के स्वतंत्रता आंदोलन के समय ही  कोलकाता, मुम्बई और चेन्नई में विश्वविद्यालय स्थापित हुए और 1870 में बाल गंगाधर तिलक और उनके सहयोगियों द्वारा पूना में फर्ग्यूसन कालेज की स्थापना, 1872 में एक कमीशन गठित किया जिसे “भारतीय शिक्षा आयोग” कहा गया एवं 1886 में आर्यसमाज द्वारा लाहौर (पाकिस्तान) में दयानन्द ऐंग्लो वैदिक कालेज की स्थापना और भारतीय शिक्षा में बड़ा परिवर्तन 1904 में आया जब भारतीय विश्वविद्यालय कानून बना, 1911 में गोपाल कृष्ण गोखले ने प्राथमिक शिक्षा को नि:::शुल्क और अनिवार्य करने का प्रयास किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। भारत को आज़ादी 1947 में मिली और 1951 में खड़गपुर में प्रथम आईआईटी की स्थापना हुई इससे भारतीय छात्रों को देश में ही तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला।

भारत के शिक्षा इतिहास में 1961 का साल बहुत महत्त्वपुर्ण साल कहा जा सकता है जब एन.सी.ई.आर.टी और प्रथम दो भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIM) अहमदाबाद एवं कोलकाता में स्थापना हुई और इसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए तत्कालीन सरकारों ने महत्वपुर्ण कदम उठाये और इस सबमें सबसे प्रशंसनीय कदम 2009 में प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व में संसद ने  निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम पारित किया था और आज हम कह सकते हैं की आज भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ऊँचा मकाम हासिल कर लिया है और यहाँ पर विदेशों से भी छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते हैं और भारतीय छात्रों को तकनीकी के क्षेत्र में विदेशी कंपनियाँ अपने यहाँ काम करने के लिए एक अच्छा मेहनताना देती हैं ।