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भारतीय रुपये का इतिहास और विकास

आज के नोट पर महात्मा गांधी के मुस्कुराते चेहरे के पीछे प्राचीन भारत के 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के संघर्ष और अन्वेषण का एक लंबा इतिहास निहित है। अपने बटुए में रखी भारतीय मुद्रा के बारे में आईये जानते हैं कुछ रोचक एवं रहस्यमय बातें

चीन और लीडिया के इलावा दुनिया में सिक्कों को भारत ने ही सबसे पहले जारी किया था। पहले भारतीय सिक्के जो कि चिन्हित सिक्के थे, उन्हें पुराण या कार्षापण कहा जाता था। इन्हें 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में ढाला गया तथा इनमें गांधार, कुंतला, कुरु, पंचाल, शाक्य, सुरसेन, और सौराष्ट्र शामिल थे। एक मानक वजन की चांदी से बने ये सिक्के अनियमित आकार के थे जिनपर अलग अलग चिन्ह बनाये गए थे।

मौर्य साम्राज्य में उनके सिक्कों को एक शाही मानक के साथ चिन्हित किया गया । चाणक्य ने सिक्कों का उल्लेख अपने अर्थशास्त्र के ग्रंथ में किया है।

आगे जाकर  इंडो-ग्रीक कुषाण राजाओं पर बात करें तो उन्होंने सिक्कों पर चित्र बनाने की शुरुआत की। उनके उदाहरण पर आठ सदियों के लिए इसी तरह से सिक्को को बनाया जाता रहा। कुषाण साम्राज्य ने जनजातियों, राजवंशों और राज्यों की एक बड़ी संख्या को अपने खुद के सिक्के जारी करने के लिए प्रभावित किया। कुषाण सिक्कों पर राजा की अर्ध-प्रतिमा तथा दूसरी तरफ राजा के पसंदीदा देवता बने होते थे।

गुप्त साम्राज्य में सिक्कों की बड़ी संख्या का उत्पादन किया गया । इन सिक्कों पर गुप्ता राजाओं का चित्रण विभिन्न अनुष्ठानों के प्रदर्शन के साथ किया गया था। यह परंपरा उत्तर भारत में तुर्की सल्तनत के आने तक जारी रही। इस समय के सिक्के संस्कृत में शिलालेख के साथ, अब तक के बेहतरीन नमूने थे।

1526 ईसवी से मुगल साम्राज्य के प्रारंभ से एक एकीकृत और समेकित मौद्रिक प्रणाली की शुरुआत हुई।

लेकिन जब हुमायूं को हराने के बाद, शेर शाह सूरी ने नया “नागरिक और सैन्य प्रशासन” शुरू किया तो चांदी का एक सिक्का जारी किया गया जो 178 अनाज के दानों के बराबर था। इस सिक्के को आधिकारिक रूप से “रुपैया” (रूपया) करार किया गया । चांदी का सिक्का शेष मुगल काल के दौरान उपयोग में बना रहा।

कागज़ का नोट पहली बार 18वीं सदी में ब्रिटिश भारत में जारी किया गया। इस समय भारत के सबसे पुराने नोट जो उपलब्ध है उसे बंगाल के बैंक द्वारा जारी किया गया था – ये एक, दो, सौ और पचास रुपए के नोट सितंबर 3, 1812 से दिनांकित है ।

स्वतंत्र भारत द्वारा मुद्रित पहला नोट 1 रुपये का था।