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भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की दो मजबूत गांठ हैं रक्षाबंधन और भाई दूज



त्योहारों का देश माने जाने वाले भारत में भाई और बहन के पवित्र रिश्ते का जश्न मनाने वाले रक्षाबंधन और भैया दूज दो महत्वपूर्ण त्योहार हैं। दोनों ही त्योहारों में भाई और बहन एक-दूसरे के प्रति परंपरागत तरीके से स्नेह प्रकट करते हैं। जहां बहनें अपने भाइयों की तरक्की की कामना करती हैं, वहीं भाई अपनी बहन की हर परिस्थिति में रक्षा का संकल्प लेते हैं।

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन, जिसे कि राखी का त्यौहार भी कहते हैं, इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों की त्योहार पर राखी बांधती हैं। श्रावण पूर्णिमा के दिन इस त्यौहार को मनाया जाता है। कई परिवारों में छोटी लड़कियां अपनी पिता एवं घर के वरिष्ठ जनों को भी राखी बांधती हैं। भाई इस दौरान बहनों को कुछ उपहार देते हैं। राखी को रक्षा सूत्र भी माना जाता है। कहा जाता है कि इससे भाई की हर विपत्ति से रक्षा होती है। केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु व अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में इस पर्व को अवनि अवित्तम के नाम से भी जाना जाता है।

रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक कथाएं

रक्षाबंधन से जुड़ी ऐतिहासिक कथाएं

भाई दूज का महत्व

कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है, जिसे कि यम द्वितीया के नाम से भी जानते हैं। दरअसल यह त्योहार दीपावली के ठीक दो दिन बाद मनाया जाता है, जिसमें भाई अपनी बहनों के प्रति स्नेह प्रकट करते हैं और बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं। भाई दूज के दिन ऐसा माना जाता है कि भाइयों को इस दिन अपने घर में भोजन नहीं करके अपनी बहनों के घर जाना चाहिए और उनके द्वारा बनाए गए भोजन को ही प्रेम के साथ ग्रहण करना चाहिए। यही नहीं, भाई दूज के दिन भाइयों द्वारा अपनी बहनों को पूरे सम्मान के साथ विधिपूर्वक कपड़े और आभूषण आदि उपहार स्वरूप देने की परंपरा है।

भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के मुताबिक कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना ने यमराज को अपने घर आमंत्रित करके पूरे सम्मान के साथ भोजन कराया था, जिसके बाद नर्क में रहने वाले सभी जीव यातना से मुक्त हो गए थे और उन्हें बड़ी संतुष्टि मिली थी। इस दिन सभी ने मिलकर एक महान उत्सव मनाया था, जिससे कि यमलोक के राज्य में सुख व्याप्त हो गया था। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो लोग अपनी बहन या मानी गई बहन के हाथ से भोजन करते हैं, उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन यमुना में स्नान करने वालों के बारे में कहा जाता है कि इससे उन्हें मुक्ति भी प्राप्त हो जाती है।

चलते-चलते

रक्षाबंधन और भाई दूज इन दोनों ही त्योहारों के केंद्र में भाई-बहनों के बीच का स्नेह और एक-दूसरे के प्रति समर्पण की भावना है। ये दोनों ही त्योहार भाई-बहनों को हमेशा एक-दूसरे की कुशलता के लिए कामना करने एवं उनकी रक्षा के लिए प्रेरित करते हैं। पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं भी इन दोनों त्योहारों की महत्ता को साबित करती हैं। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर पड़ा है। बताएं रक्षाबंधन और भाई दूज के त्योहार को आप किस तरह से मनाते हैं?