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गुरु नानक जयंती तथा प्रकाश पर्व

Credit: Wellcome Library, London. Wellcome Images

सभी स्कूलों और कॉलेजों में हमें बचपन से सिखाया जाता है कि गुरु का स्थान माता-पिता और भगवान से बड़ा है, क्योंकि गुरु ही हमें अच्छे-बुरे की पहचान करना सिखाते है । सिख धर्म के सबसे बड़े और प्रथम गुरु, गुरु नानक देव थे, जिन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन में गुरु की महिमा का व्याख्यान किया है। गुरु नानक देव समाज में प्रेम भाव को फ़ैलाने प्रयास किया है । गुरु नानक देव को सिख धर्म का संस्थापक माना जाता है।

गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल, 1469 ईस्वी को लाहौर के तलवंडी में हुआ। उन्हीं के नाम पर आज तलवंडी को ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। गुरु नानक देव का जन्म अप्रैल माह में हुआ था लेकिन सिख धर्म के अनुयायी कार्तिक पूर्णिमा को ही इनकी जयंती मनाते हैं। इस दिन को सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

गुरुनानक देव से जुड़ी कथा :-

गुरु नानक देव को लेकर यही कथा प्रचलित है कि गुरु नानक देव रोज़ स्नान करने बेई नदी जाया करते थे। एक दिन वे स्नान करने के बाद सीधे वन में चले गए और प्रभु का ध्यान करने लगे। मान्यता के अनुसार उस दिन उन्हें उस वन में परमात्मा के दर्शन हुए । परमात्मा ने गुरु नानक को अमृत पिलाया और कहा कि “मैं सदैव तुम्हारे साथ हूँ, मैंने तुम्हें आनंदित किया है, तो जो भी तुम्हारे संपर्क में आएगा, वो भी आनंदित होगा। जाओ नाम में रहो, दान दो, उपासना करो, स्वयं नाम लो और दूसरों को भी नाम स्मरण कराओ” । इस घटना के बाद वो अपने परिवार को छोड़कर धर्म के प्रचार के लिए निकल पड़े । और तभी से गुरु नानक लोगो में एकता और प्रेम का भाव का पाठ पढ़ाने के लिए संपूर्ण जगत में भ्रमण करने लगे।

गुरुनानक जयंती तथा प्रकाश पर्व उत्सव :-

गुरुनानक जयंती के दिन गुरुद्वारों को सुन्दर तरीके से सजाया जाता है। इस दिन हर गुरुद्वारे में लंगर लगाया जाता है। सभी गुरुद्वारों में पूजनीय ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहब जी का अखंड पाठ किया जाता है और इस ग्रंथ को फूलो से सजाया जाता है। इस पवित्र ग्रंथ को एक पालकी में रखकर नगर कीर्तन का आयोजन भी किया जाता है। गुरु नानक देव को सिर्फ सिख के ही नहीं, हर समुदाय के लोग मानते थे । ऐसा कहा जाता है कि जब गुरु नानक देव जी ने अपने शरीर को त्यागा, तो उनके शरीर के स्थान पर सिर्फ फूल मिले थे। इन फूलों का हिन्दू और मुसलमान अनुयायिओं ने अपनी-अपनी धार्मिक परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार किया।गुरु नानक देव के जीवन का उद्देश्य :-

गुरु नानक देव जीवन भर दूसरों की सेवा करने और लोगों को सदाचार अपनाने के लिए प्रेरित करते रहें । गुरु नानक देव ने समाज में फैले अंधविश्वासों, कुरीतियों और मूर्ति पूजा का विरोध किया और विरोध करने के लिए प्रेरित भी किया । उन्होंने लोगों को संदेश दिया कि वे एक ही ईश्वर की उपासना करें, संसार में केवल एक ही ईश्वर है, जो अलग-रूप में प्रचलित है ।