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अटल भूजल योजना से बुझेगी सूखे क्षेत्रों की प्यास, और भी हैं कई फायदे

संभवतः आपको याद होगा कि वर्ष 2016 में महाराष्ट्र के लातूर में इतना बड़ा अकाल पड़ा था कि यहां भूमिगत जल बहुत नीचे चला गया था और इसकी वजह से यहां रहने वालों का जीवन संकट में पड़ गया था। ऐसे में केंद्र सरकार को भारत के इतिहास में पहली बार एक विशेष ट्रेन जलदूत एक्सप्रेस के नाम से चलानी पड़ी थी, जिसने यहां पानी पहुंचाया था। राजस्थान के कोटा से जल लेकर इस ट्रेन ने नौ चक्कर लगाकर पानी लातूर पहुंचाया था, जिससे लातूर के पांच लोगों की प्यास कुछ समय के लिए बुझ पाई थी। सूखे की स्थिति का सामना आज देश के कई हिस्सों में लोगों को करना पड़ रहा है, क्योंकि भूमिगत जल का स्तर बहुत नीचे चला गया है। ऐसे में इस समस्या से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद में Atal Bhujan Scheme उनकी 95वीं जयंती के अवसर पर शुरू की गई थी, जिसके जरिये भूजल के उचित प्रबंधन और हर घर तक पीने योग्य साफ पानी पहुंचाने की योजना पर काम शुरू हो गया है।

Atal Bhujal Scheme पर एक नजर

योजना के बारे में केंद्रीय मानव संसाधन और विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि योजना का मूल उद्देश्य गिरते हुए भूजल स्तर की समस्या से प्रभावी तरीके से निबटना है। इसलिए सरकार ने यह अटल भूजल योजना लांच की है। साथ ही केंद्र सरकार की ओर से इस योजना के लिए 6000 करोड़ रुपये का आवंटन भी किया गया है। इस 6000 करोड़ रुपये में से केंद्र सरकार जहां 3 हजार करोड़ रुपये दे रही है, वहीं विश्व बैंक की ओर से इसके लिए 3 हजार रुपये दिये जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक पांच वर्षों में इस योजना पर 6 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जाने हैं। इसके अलावा इस योजना के क्रियान्वयन के लिए सरकार की ओर से सात राज्यों का चयन उनके यहां भूजल के दोहन के स्तर को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इन क्षेत्रों की संस्थागत तत्परता कितनी है, यहां भूजल के स्तर में कितनी गिरावट हुई है, विनियामक साधनों की यहां क्या स्थिति है और भूजल प्रबंधन से संबंधित पहलुओं को लागू किये जाने को लेकर इनका कितना अनुभव है, इन सभी का ध्यान इन क्षेत्रों के चयन के दौरान रखा गया है।

क्या है अटल भूजल योजना?

क्यों पड़ी Atal Bhujal Scheme की जरूरत?

अटल भूजल योजना की आवश्यकता के बारे में बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इस योजना में एक बड़ा प्रावधान किया गया है, जो लोगों को बेहतर भूजल प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित करने वाला है। इस योजना में जिन ग्राम पंचायतों का प्रदर्शन बेहतर होगा, उन्हें आवंटन का अधिक लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री के अनुसार 18 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से बीते 70 वर्षों के दौरान महज 3 करोड़ परिवारों के पास ही पाइप के जरिये जल की आपूर्ति की सुविधा पहुंच सकी है। सरकार का लक्ष्य अब 15 करोड़ घरों तक अगले 5 वर्षों के दौरान पाइपों के माध्यम से ही पीने का स्वच्छ पानी पहुंचाना है।

अटल भूजल योजना की पृष्ठभूमि

वर्ष 2018 में ही केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अटल भूजल योजना का प्रस्ताव पेश किया गया था। योजना को वर्ष 2018-19 से 2022-23 तक पांच वर्षों के लिए विश्व बैंक की मदद से चलाये जाने का प्रस्ताव था। इसमें सात राज्यों में गिरते भूजल स्तर को लेकर इसका उचित और स्थाई प्रबंधन योजना का लक्ष्य बताया गया था।

निष्कर्ष

देश में जिस तरह से और विशेषकर महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भूजल स्तर बहुत नीचे चला गया है, Atal Bhujal Scheme के प्रभावी क्रियान्वयन से इन सूखे क्षेत्रों की प्यास बुझा पाना संभव हो पायेगा।