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सुशासन सप्ताह 2021 | Good Governance Week 2021

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भारत की आजादी के 75 साल पूर्ण होने के अवसर पर केंद्र सरकार ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मना रही है , इसी महोत्सव के एक हिस्से के रूप में केंद्र सरकार द्वारा सुशासन सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा वितरण में सुधार हेतु इस सप्ताह के अंतगर्त देश के  विभागों के लंबित विभिन्न मामलों का निपटान किया जा रहा है। सुशासन सप्ताह का आयोजन 20 दिसम्बर से 25 दिसम्बर 2021 के बीच किया जा रहा है।  इस सप्ताह का शुभारम्भ केंद्रीय मंत्री डॉ जीतेन्द्र सिंह द्वारा किया गया साथ ही में उन्होंने सुशासन सप्ताह पोर्टल की शुरुआत है और डीएआरपीजी की दो साल की उपलब्धियों पर एक पुस्तिका का विमोचन भी किया है। आज के इस लेख में हम सुशासन सप्ताह 2021 से सम्बंधित सभी जरुरी बातों को आपके साथ साझा करेंगे।

सुशासन सप्ताह 2021 | Good Governance Week 2021

केंद्र सरकार द्वारा 25 दिसम्बर को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी कड़ी में सरकार द्वारा 20 -25 दिसम्बर 2021 के मध्य को सुशासन सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। इस सप्ताह के आयोजन का जिम्मा केंद्रीय ग्रामीण विकास और विदेश मंत्रालय ने उठाया है,ये मंत्रालय, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG), कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT), पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, पंचायती राज मंत्रालय के सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से इस सप्ताह को संचालित कर रहे हैं।

सुशासन सप्ताह का उद्देश्य | Objectives of Good Governance Week

सुशासन सप्ताह जन शिकायतों के निवारण और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा वितरण में सुधार के लिए राष्ट्रव्यापी अभियानके रूप में  शुरू किया गया है। इस सप्ताह के दौरान नियोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला का उद्देश्य केंद्र द्वारा की गई विभिन्न सुशासन पहलों को जनता के सामने लाना है।

इस सप्ताह के दौरान सरकार लोगों के पास जाएगी, उनकी समस्याओं को सुनकर उनका निपटान करेगी। सरकार की ओर से जिलाधिकारी इस पहल का हिस्सा होंगे।

सुशासन सप्ताह की थीम | Good Governance Week Theme

सरकार ने सुशासन सप्ताह की शुरुआत ‘प्रशासन गाँव की ओर’ थीम के साथ की है। इसका अर्थ है इस सप्ताह में प्रशासन लोगों तक पहुँच कर उनकी समस्याओं का निवारण करेगा। इस कार्य के लिए देश भर से 700 जिलाधिकारियों की मदद ली जा रही है , ये लोग सप्ताह भर समयबद्ध शिकायत निवारण और सेवा वितरण में सुधार के लिए तहसील/पंचायत समिति मुख्यालय का दौरा करेंगे। ऐसे में तहसील और संबंधित कार्यालय पर जाकर, अपनी शिकायतों का निपटारा कराया जा सकेगा।

सुशासन सप्ताह के दौरान निम्न गतिविधियों का होगा संचालन

सुशासन सप्ताह के दौरान देश के विभिन्न राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में जिलाधिकारियों के मार्गनिर्देशन में निम्न प्रकार से संचालन किया जायेगा।

कहाँ कितने मामले लंबित हैं

एक रिपोर्ट के अनुसार – सबसे ज्यादा शिकायतें बैंकिंग क्षेत्र से आई हैं। इसमें 1.60 लाख से ज्यादा मामले हैं, इसके बाद श्रम विभाग से संबंधित करीब 92 लाख मामले दर्ज हैं।  सीबीडीटी विभाग में भी  48 हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं।  कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के पास 31 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हैं।

इसी तरह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के 779 मामले छह महीने से ज्यादा समय से लंबित हैं। सबसे कम मामलों का समाधान  प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत के पीजी विभाग में हुआ है। विभाग में 70 फीसदी मामले लंबित हैं।

सुशासन का अर्थ क्या है? | What is the meaning of good governance?

सुशासन शब्द सर्वप्रथम साल 1990 में चलन में आया था। तब संयुक्त राष्ट्र संघ एवं  विकास की दिशा में प्रयत्न कर रहीं विश्व की कई संस्थाओं  ने इस शब्द का प्रयोग किया था। इसके बाद दूसरे देशों की सरकारों ने शासन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए इसे अपनाया था।

सुशासन का सामान्य अर्थ है बेहतर तरीके से शासन। ऐसा शासन जिसमें गुणवत्ता हो और वह खुद में एक अच्छी मूल्य व्यवस्था को धारण करता हो। हमारे भारतीय समाज में सुशासन को रामराज से जोड़कर देखा जाता है, अर्थात रामराज शासन की कार्यप्रणाली का बेंचमार्क है , जो भी शासन इसके आसपास है वो सुशासन कहलायेगा। इसके आधारभूत तत्वों में राजनीतिक जवाबदेही, स्वतंत्रता की उपलब्धता, कानूनी बाध्यता, सूचना की उपलब्धता, पारदर्शिता, दक्षता, प्रभावकारिता आदि को रखा जाता है। 

सुशासन के प्रमुख तत्त्व | Key elements of good governance

सुशासन दिवस | Good governance day

चलते चलते

सुशासन सप्ताह की शुरुआत 20 दिसम्बर सोमवार को हुई है तथा इसका समापन 25 दिसंबर को विज्ञान भवन में ‘सुशासन दिवस’ उत्सव के साथ किया जायेगा। आज के लेख में हमने आपको सुशासन सप्ताह, सुशासन दिवस और सुशासन के विषय में बताया है। अब यह तय करना हमारी और आपकी जिम्मेदारी है की वर्तमान सरकार सुशासन के कितने करीब और कितने दूर है। वर्तमान समाज में लोगों के लिए शासन करना कोई जिम्मेदारी या सेवा का भाव नहीं रह गया है। अपितु अब राजनीति और शासन को लोग एक कैरियर के रूप में देख रहे हैं, व्यक्ति की पैसे और पावर के प्रति महत्वाकांक्षायें इतनी बढ़ गयी हैं की वह निजी विकास को समाज के विकास से ऊपर रख रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण चुनावों में जीत के बाद अमुक व्यक्ति का एकदम से अमीर हो जाना है। यह हमारे देश, समाज और राजनीति का दुर्भाग्य है की हम दिखावे की राजनीति के पीछे अपने वास्तविक राजनीति भाव को खोते जा रहे हैं। हमे जरुरत है शासन, प्रशासन और जनता के बीच जो भी अहितकारी योजनायें, तत्त्व और व्यक्ति विशेष हैं, उन्हें खोज कर उनका उचित समाधान करें। सुशासन की राह पर सबसे बड़े बाधक जनसँख्या वृद्धि, सांस्कृतिक हिंसा और भ्रष्टाचार का उचित प्रबंध करें।