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Elections in India: लोकसभा से लेकर राज्यसभा तक चुनाव का पूरा गणित

सियासत और राजनीति के क्षितिज में एक पहलू साफ़ तौर पर नज़र आता है. वो है ‘चुनाव’. इस देश की राजनीति के लिए चुनाव का उतना ही महत्त्व है. जितना एक भूखे के लिए रोटी. हो भी क्यों ना? भारत एक लोकतांत्रिक देश है. इस देश की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए चुनाव होना बहुत ज़रूरी है.

देश में सरकार का गठन लोगों के द्वारा ही किया जाता है. सरकार का काम भी लोगों के लिए ही होता है. लेकिन क्या आपको मालुम है कि देश में चुनाव कितने प्रकार के होते हैं? या फिर यूं कहें कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को छोड़कर और कितने महत्वपूर्ण चुनाव इस देश  में होते हैं? क्या आपको इस देश के चुनावी संघीय ढ़ांचा के बारे में जानकारी है?

आज आपको इस लेख में भारत गणराज्य के चुनावी प्रक्रिया के बारे में ही जानकारी दी जायेगी.

इस लेख के मुख्य बिंदु

चुनाव को लेकर बेसिक जानकारी-

भारत में सरकार के गठन के लिए होने वाले चुनाव को समझने से पहले हम एक नज़र भारतीय सरकार की सरंचना पर भी डाल लेते हैं.

भारत में सरकार की संरचना (Government structure in India)

भारत में देश को चलाने के लिए केंद्र सरकार का गठन होता है. इसी के साथ अलग-अलग राज्यों को चलाने के लिए उनकी अपनी राज्य सरकार भी होती है. अब हम केंद्र और राज्य सरकारों के प्रमुख स्तम्भ के बारे में समझने की कोशिश करते हैं.

केंद्र सरकार की संरचना-

राज्य सरकार की सरंचना-

आपको बता दें कि केंद्र सरकार की ही तरह राज्य सरकार की भी अपनी एक व्यवस्था है. इसी व्यवस्था के अंतर्गत विभिन्न प्रदेशों की राज्य सरकारें काम करती हैं. आइये एक नजर राज्य सरकारों के प्रमुख स्तंभों पर भी डाल लेते हैं.

केंद्र शासित प्रदेश की रूपरेखा-

पंचायत राज की व्यवस्था-

भारत की सियासत के प्रमुख चुनाव (Types of elections in India)

यहां प्रमुख शब्द के उपयोग से आपको ऐतराज हो सकता है. इसके पीछे का कारण ये है कि चुनाव तो कॉलेज की राजनीति का भी प्रमुख ही होता है. भारत की सियासत को कॉलेज की राजनीति ने कई बड़े राजनेता दिए हैं. उस पर हम फिर कभी विस्तार से बात करेंगे. आज पहले बात करते हैं. इस देश के दो मुख्य चुनाव की- 1. लोकसभा चुनाव और 2. विधानसभा चुनाव

ऐसे होता है लोकसभा चुनाव-

 भारत की संसद को ही लोकसभा कहा जाता है. इस संसद में जो जनता के द्वारा चुनकर आते हैं उन्हें सांसद कहा जाता है. लोकसभा का चुनाव डायरेक्ट होता है. इसके चुनाव में सीधे तौर पर देश की जनता की हिस्सेदारी होती है. आपको अवगत करा दें कि 1947 से अब तक 16 बार लोकसभा का गठन हो चुका है.

सरकार बनाने के लिए अधिकतम कितनी सीटों की जरूरत होती है?

किसी भी पार्टी को देश में सरकार बनाने के लिए लोकसभा की आधी से ज्यादा सीटों पर जीत चाहिए होती है. इस समय बहुमत का आंकड़ा 273 सीटों का है.

इस वजह से हो सकती है लोकसभा की सीट खाली-

लोकसभा सदस्य बनने की योग्यता-

विधानसभा चुनाव (Vidhan sabha election)

विधानसभा कहिये या वैधानिक सभा या फिर कई राज्यों में तो इन्हें निचला सदन या सोल हाउस भी कहा जाता है. 7 द्विसदनीय राज्यों में उपरी सदन को विधानपरिषद कहा जाता है.

विधायक पद के लिए प्रमुख योग्यता-

अब जानते हैं कैसे चुने जाते हैं राज्यसभा के सदस्य?

प्रत्यक्ष नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष तरीके से होते हैं राज्यसभा के चुनाव-

जैसा कि इसके पहले हमने लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बारे में जाना था. वो डायरेक्ट इलेक्शन होते हैं. जहाँ पर जनता सीधे तौर पर वोटिंग करते हुए अपने प्रतिनिधि को चुनती है. लेकिन राज्यसभा के चुनाव में सीन पूरा पलट जाता है. ये चुनाव अप्रत्यक्ष होते हैं. यहां जनता नहीं बल्कि जनता के द्वारा चुने गये विधायक वोटिंग करते हुए राज्यसभा के सांसदों का चुनाव करते हैं.

राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग का तरीका-

यह होता है फॉर्मूला-

क्या है हेयर फ़ॉर्मूला?

आपको बता दें कि राज्यसभा चुनाव में उपयोग किये जाने वाले फ़ॉर्मूला को ही हेयर फ़ॉर्मूला कहा जाता है.

सरांश-

 किताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ में रामचंद गुहा ने लिखा है कि देश का पहला आम चुनाव यानी लोकसभा चुनाव, बाकी बातों के अलावा जनता का विश्वास हासिल करने की भी जंग था. साल 1952 में भारत के पहले आम चुनाव हुए थे. वो घटना ना सिर्फ इस देश के लिए बड़ी थी बल्कि उस घटना के ऊपर पूरे विश्व की नज़र टिकी हुई थी. इसके पीछे का रीजन साफ़ था कि भारत ने सदियों तक राजशाही देखी थी. तब यहां का शिक्षा का स्तर भी मात्र 20 प्रतीशत ही था. ऐसे में विश्व की निगाह इस बात पर टिकी थी कि बरसों राजशाही वाला देश जब लोकतंत्र बनेगा तो क्या फैसला लेगा? भारत ने अपने कई फैसलों की छाप विश्व के ऐतिहासिक पटल पर छोड़ी है. उसी में से एक था इस देश का पहला लोकसभा चुनाव. एक बात और ख़ास थी वो ये कि भारत के गणतंत्र बनने के एक दिन पहले ही इस देश के चुनाव आयोग का गठन किया गया था. इसी के साथ सुकुमार सेन को पहला मुख्य चुनाव आयुक्त चुना गया था.