कंप्यूटर की खोज़ मानव जाति के विकास की एक बड़ी सीढ़ी साबित हुई है।आज के समय मे कंप्यूटर के बिना हमारे जीवन की कल्पना भी असंभव प्रतीत होती है। हम मनोरंजन से लेकर अन्य आवश्यक कार्यों के लिए अधिकतर कंप्यूटर पर ही निर्भर होते जा रहे है। हमारे लगभग सभी ज़रूरी कार्यों में कंप्यूटर या इससे संबंधित यंत्रो का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव जरूर रहता है।
कंप्यूटर के विकास का इतिहास ज्यादा पुराना नही है, लेकिन बेहद कम समय मे इसने जितनी तरक़्क़ी कर ली है वो वाकई में हमें आश्चर्य में डाल देती है। जहाँ अपने शुरुआती दिनों में इसका आकार एक कमरें से भी बड़ा था वहीं अब ये हमारे हाथ मे आ जाने वाले छोटे से स्मार्टफोन के रूप में आ चुका है।
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अभी तक कंप्यूटर को विभिन्न जगहों पर प्रयोग के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार का बनाया जा चुका है। जैसे कि,साधारण कार्यों या घरेलू उपयोग के लिए पर्सनल कंप्यूटर, मिनी कंप्यूटर तथा लैपटॉप बनाया गया है, वहीं दूसरी तरफ़ बड़े अनुसंधान कार्यो, अंतरिक्ष संबंधी खोजों के लिए बड़े कंप्यूटर जिन्हें सुपर कंप्यूटर या मेनफ्रेम कंप्यूटर कहते है, का भी निर्माण किया जा चुका है।
अन्य साधरण कंप्यूटर के मुकाबलें सुपर कंप्यूटर तथा मेनफ्रेम कंप्यूटर की कार्य करने की क्षमता काफी कई गुना अधिक होती है।
इसी क्रम में आज हम आपका परिचय सुपर कंप्यूटर तथा मेनफ्रेम कंप्यूटर से कराने जा रहे है। इसी का साथ हम आपको, इन दो विशेष प्रकार के ‘सुपरकंप्यूटर’ तथा ‘मेनफ़्रेम’ कंप्यूटर के बीच मे मुख्यतः क्या अंतर होता है, बताने जा रहे हैं।
दोस्तो सबसे पहले यह जान लेते हैं कि सुपरकंप्यूटर व मेनफ़्रेम कंप्यूटर होता क्या है।
कंप्यूटर को तकनीकि, आकार तथा उनकी कार्यक्षमता के आधार पर कई भागों में विभाजित किया गया है। इन्ही में से दो मुख्य तरह के कंप्यूटर हैं
●मेनफ़्रेम कंप्यूटर
●सुपरकंप्यूटर
●मेनफ़्रेम कंप्यूटर-
पहला मेनफ़्रेम कंप्यूटर सन 1940 में आईबीएम द्वारा बनाया गया था। मेनफ़्रेम कंप्यूटर अधिकांशतः अपनी भंडारण करने की क्षमता, बड़े आकार, अधिक प्रसंस्करण क्षमता तथा विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है।
●सुपरकंप्यूटर-
भारत का पहला सुपरकंप्यूटर परम 8000 है, जिसका निर्माण 1 जुलाई 1991 में किया गया। सुपरकंप्यूटर आकार में काफी बड़े होते हैं तथा बहुत तेजी से कार्य करते हैं। इसमे एक से अधिक सीपीयू होता है जिसकी वजह से यह बहुत अधिक कार्यक्षमता वाले कंप्यूटर होते हैं।
सुपरकंप्यूटर तथा मेनफ्रेम कंप्यूटर दोनों ही बहुत शक्तिशाली कंप्यूटर होते है। दोनों ही कंप्यूटर में इनके कार्य क्षमता, उपयोग इत्यदि के आधार पर कई अंतर है जो कि निम्नलिखित है-
◆कार्यक्षमता के आधार पर-
सुपरकंप्यूटर काफी अधिक मात्रा में तथा जटिल गणितीय समस्याओं को तेजी से हल कर सकते हैं।
मेनफ़्रेम कंप्यूटर में अधिक मात्रा के डेटा पर तीव्रता से प्रक्रिया करने की क्षमता होती है। मेनफ़्रेम कंप्यूटर एक समय मे हजारो उपभोक्ताओं को सेवा प्रदान करने में सक्षम होते हैं।
सुपरकंप्यूटर कई सारे सीपीयू लगे होते हैं जिसकी वजह से यह कार्य को तेजी से कर सकता है, यह 1 सेकंड में अरबों की गणनाएं कर सकता है। इसकी गति को मेगा फ्लाप में मापा जाता है।
मेनफ़्रेम कंप्यूटर एक समय मे एक से अधिक ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने में सक्षम होते हैं, जिसकी सहायता से मेनफ़्रेम कंप्यूटर में एक समय मे एक से अधिक प्रोग्राम को चलाया जा सकता है।
◆उपयोगिता के आधार पर-
सुपरकंप्यूटर का प्रयोग निम्नलिखित जगहों पर किया जाता है-
1- मौसम सम्बन्धी अनुसंधान में
2- नाभिकीय ऊर्जा अनुसन्धान में
3-क्वांटम भौतिकी तथा रासायनिक यौगिको के अध्ययन इत्यादि में ।
मेनफ्रेम कंप्यूटर का उपयोग बड़ी कंपनियों, बैंक तथा सरकारी विभाग में केंद्रीययुक्त कंप्यूटर के रूप में किया जाता है। मेनफ़्रेम कंप्यूटर का मुख्य उपयोग निम्नलिखित है-
1- भुगतान का ब्यौरा रखना
2- बिल भेजना
3- नोटिस भेजना
4- उपभोक्ताओ द्वारा खरीद का विवरण रखना
5- कर्मचारियों का भुगतान करना
6- कर का विस्तृत ब्यौरा रखना इत्यदि
सारांश में मेनफ्रेम कंप्यूटर तथा सुपर कंप्यूटर के बीच के अन्तर को इस तरह समझा जा सकता है कि सुपर कंप्यूटर का प्रयोग बड़े अनुसंधान कार्यों तथा अंतरिक्ष संबंधी गणनाओं को करने के लिए किया जाता है वहीं दूसरी तरफ़ मेनफ्रेम कंप्यूटर का प्रयोग बड़े कार्यालयों या बैंक में सभी अन्य कम्प्यूटरों को नियंत्रित करने तथा पूरे कार्यालय का ब्यौरा रखने के लिए किया जाता है।