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डीप ओशन मिशन (Deep Ocean Mission)

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समुद्र हमेशा से ही मनुष्य की उत्सुकता का केंद्र रहा है। स्थलमंडल से कई अधिक जैव पारिस्थिकी गहरे महासागरों में मौजूद है। स्थलमंडल से ज्यादा ऑक्सीजन का उत्पादन जलमंडल में मौजूद जैविक राशियाँ करती हैं। स्थलमण्डल से ज्यादा अकूत खनिज सम्पदा महासागरों में निहित है। 16 जून 2021 को भारत सरकार द्वारा गहरे समुद्र में खोज हेतु डीप ओशन मिशनको मंजूरी प्रदान की है। यह मिशन भारत की समुद्री सीमा के भीतर समुद्री जीवन, खनिज, ऊर्जा आदि का अनुसन्धान करेगा। आज के इस लेख में हम भारत के डीप ओशन मिशन के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

इस लेख में आपके लिए है –

क्या है भारत सरकार का ‘डीप ओशन मिशन’?

डीप ओशन मिशन का उद्देश्य

डीप ओशन मिशन के लक्ष्य

इस मिशन का मुख्य कार्य निम्न 6  बिंदुओं को लक्षित करना है।

  1. गहरे समुद्र में खनन और मानव युक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास
  2. महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास
  3. गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज और संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार
  4. गहरे समुद्र में सर्वेक्षण और अन्वेषण
  5. यह मिशन उन्नत तकनीकों के द्वारा महासागर से ऊर्जा और मीठा पानी प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  6. इसके तहत समुद्रीय जीव विज्ञान के बारे में जानकारी जुटाने के लिये उन्नत समुद्री स्टेशन (एडवांस मरीन स्टेशन) की स्थापना की जायेगी।

डीप ओशन मिशन का भारत के लिए महत्व

डीप ओशन मिशन के लाभ

पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स क्या होते हैं?

डीप समुद्री मिशन का समुद्री जीवन पर प्रभाव

चलतेचलते

समुद्र में जीवन की असीम सम्भावनायें मौजूद हैं, गहरे अँधेरे महासागरों में मानव अभी तक पहुंच ही नहीं पाया है। अभी तक ज्ञात गहनतम समुद्री बिंदु मरियाना ट्रेंच है, जिसकी गहराई लगभग 11 KM  है। किन्तु महासागरों के उन हिस्सों का क्या जो अभी तक मानव की पहुंच से दूर हैं, इसकी बहुत सम्भावना है की ऐसे हिस्सों की गहराई मरियाना ट्रैंच से भी अधिक हो सकती है। ऐसे बहुत से जीव हो सकते हैं, जो अभी तक अज्ञात हैं या  ऐसे बहुत से खनिज या ऊर्जा के भंडार हो  सकते हैं जो मानव की सदियों की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं या हो सकता है गहरे समुद्र में मानव गतिविधियों का उन पर हानिकारक प्रभाव पड़े। ऐसे ही बहुत से प्रश्नो के साथ हम आपको इस लेख के साथ छोड़े जा रहे हैं। हम आशा करते हैं इन सभी प्रश्नो के उत्तर हमें निकट भविष्य मे मिल जायेंगे।