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भारत में कुछ ऐसी थीं 750-1200 के दौरान सांस्कृतिक परंपराएं



प्रारंभिक मध्ययुगीन काल की शुरुआत के बाद से भारतीय उपमहाद्वीप में सामंती व्यवस्था ने अपने पांव पसार लिए थे और यह उस युग की सबसे महत्वपूर्ण पहचान के रूप में आज इतिहास में वर्णित है। जातियों का प्रसार तो हुआ, मगर कला और संस्कृति में क्षेत्रीय पहचान भी बढ़ी। अर्थव्यवस्था भी इस वक्त बंद पड़ी थी। इसलिए 750 से 1200 ईस्वी तक की अवधि को अंधकार युग के रूप में माना जाता था, क्योंकि पूरा देश कई क्षेत्रीय राज्यों में विभाजित था। ये सभी क्षेत्रीय राज्य आपस में लड़ने में व्यस्त थे, लेकिन इस चरण के दौरान भारत ने संस्कृतियों, परंपराओं, कला, साहित्य और भाषा में प्रगति देखी। इस तरह से यह युग यह अब भारतीय इतिहास के उज्ज्वल और जीवंत काल के रूप में माना जाता है।

तब की स्थिति

सांस्कृतिक बदलाव

प्रारंभिक मध्यकाल के दौरान भाषा और साहित्य

प्रारंभिक मध्ययुगीन काल के दौरान क्षेत्रीय संस्कृतियां

प्रारंभिक मध्ययुगीन काल के दौरान धार्मिक परंपराएं

निष्कर्ष

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि भले ही आर्थिक गतिविधियां इस काल में मंद पड़ी थीं, मगर सांस्कृतिक व धार्मिक क्रियाकलापों के साथ अलग-अलग परंपराओं ने जरूर देशभर में अपने पांव पसार लिए थे, जिनमें से कई का प्रतिबिंब आज भी देखने को मिल जाता है। कोई ऐसी संस्कृति आपको आज दिखती है क्या?