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राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्ति में क्या अंतर है?

भारत के संविधान में राष्ट्रपति और राज्यपाल दो सर्वोच्च पद माने जाते हैं। अंतर केवल उनके शासित क्षेत्र का है। राष्ट्रपति, भारतीय संविधान के अनुसार देश का प्रमुख होता है जबकि राज्यपाल को एक राज्य का प्रमुख माना जाता है। आधिकारिक और लिखित रूप में प्रमुख होने पर भी दोनों पदों में समानता यह है की दोनों प्रमुख नाममात्र की सत्ता के प्रमुख होते हैं। अगर सामान्य शब्दों में कहा जाये तो राष्ट्रपति और राज्यपाल मुहर पद के अधिकारी माने जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद दोनों पदाधिकारियों की शक्तियों में कुछ मूलभूत अंतर होता है।

  1. सामान्य विधेयक संबंधी :

जब लोकसभा में कोई सामान्य विधेयक प्रस्तुत किया जाता है तो राष्ट्रपति के पास उसे स्वीकार करके अधिनियम बनाने का या अस्वीकार करके रद्द करने का अधिकार होता है। तीसरे विकल्प के रूप में राष्ट्रपति इसे पुनर्विचार के लिए सदन में दोबारा भी भेज सकते हैं। जबकि  राज्य विधानसभा में राज्यपाल के पास इन तीनों विकल्पों के साथ एक अतिरिक्त विकल्प के रूप में राष्ट्रपति की अनुमति लेने का अधिकार भी होता है।

  1. वित्त विधेयक संबंधी:

राष्ट्रपति के पास जब वित्त विधेयक स्वीकृति के लिए आता है तो वो अपनी शक्तियों का प्रयोग करके उसे स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं। यदि विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल जाती है तो वह अधिनियम बन जाता है और नहीं तो वह समाप्त हो जाता है। राज्यपाल के सम्मुख यह स्थिति आने पर विधेयक को स्वीकार करने और न करने के अलावा इसे राष्ट्रपति के पास पुनर्विचार के लिए भेजने की शक्ति भी होती है।

  1. क्षमा दान संबंधी:

भारतीय दंड संहिता के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को फांसी की सजा सुनाई जाती है तो उसे अंतिम प्रयास के रूप में राष्ट्रपति से दया की अपील करने का अधिकार होता है। इस स्थिति में राष्ट्रपति उस सजा को कम करने, सजा को रोकने या खत्म करने का अधिकार रखते हैं। मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का अधिकार भी राष्ट्रपति के पास होता है। इसी देश के सर्वोच्च सेनापति और तीनों सेनाओं के राष्ट्राध्यक्ष के रूप में कोर्ट मार्शल के अपराधी को मिली सजा को माफ, कम या बदलने की शक्ति भी रखते हैं।

राज्यपाल की शक्तियों में इस स्थिति में थोड़ा अंतर होता है। राज्यपाल के पास यदि किसी सजायाफ्ता व्यक्ति की याचिका आती है तो वह उसकी सजा को कम या स्थगित तो कर सकते हैं लेकिन खत्म नहीं कर सकते हैं। इसी प्रकार मृत्यु दंड को भी स्थगित और पुनर्विचार के लिए भेज सकते हैं लेकिन पूरी तरह से माफ नहीं कर सकते हैं।

  1. न्याय संबंधी :

राष्ट्रपति किसी राज्य के उच्च न्यायालय के लिए न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं तो इसके लिए वह राज्यपाल से सलाह-मशविरा करते हैं। लेकिन राज्यपाल इन न्यायाधीशों की पदोन्नति, स्थानांतरण और नियुक्ति के संबंध में उच्च न्यायालय से संपर्क करते हैं।

  1. एंग्लो-इंडियन सदस्य:

इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को लोक सभा में मनोनीत कर सकते हैं जबकि राज्यपाल राज्य विधानसभा में केवल एक सदस्य की नियुक्ति कर सकते हैं।

देश के प्रमुख होने के रूप में राष्ट्रपति देश में युद्ध या शांति की घोषणा का अधिकार रखते हैं जबकि राज्यपाल को इस प्रकार का कोई अधिकार नहीं है।