लंबे समय से शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव की जरूरत बताई जा रही है। शिक्षा को और बेहतर बनाने एवं वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप ढालने के लिए तरह-तरह के सुझाव भी सामने आ रहे हैं। साथ ही स्टूडेंट्स को अनावश्यक दबाव से भी बचाने के लिए एग्जाम पैटर्न्स को बदलने की भी मांग उठती रही है। ऐसे में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी कि सीबीएसई ने भी दसवीं के परीक्षा पैटर्न में बदलाव लाने का मन बना लिया है, ताकि स्टूडेंट्स की विश्लेषणात्मक क्षमता और उनकी तार्किक क्षमता की अच्छी तरह से पहचान की जा सके।
सीबीएसई की ओर से प्रस्तावित बदलाव
- अंग्रेजी और गणित विषयों के लिए CBSE की ओर से इंटरनल मार्किंग की रिपोर्ट सामने आई है।
- इसके अलावा गणित की परीक्षा को दो भागों में बांटने पर विचार किया जा रहा है।
- अब सीबीएसई दसवीं कक्षा में ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्नों यानी कि वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की संख्या कम करने पर विचार कर रहा है।
- इसकी जगह वर्णनात्मक प्रश्नों की संख्या अधिक अंक डालकर बढ़ा दी जाएगी, ताकि स्टूडेंट्स को रचनात्मक तरीके से अधिक लिखने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और उनकी रट्टा मानने की प्रवृत्ति को कम किया जा सके।
- सीबीएसई का मानना है कि ऐसा करने से स्टूडेंट्स की विषय के प्रति समझ तो बढ़ेगी ही साथ ही विस्तार से लिखने के क्रम में उनके खुद के आइडियाज आज भी निखर कर सामने आएंगे।
- बताया जा रहा है कि परीक्षा से पहले इन बदलावों की अच्छी तरीके से समीक्षा कर ली जाएगी।
- एक बार इन बदलावों को अंतिम रूप दे दिया गया तो इसके बाद बोर्ड की ओर से सैंपल पेपर जारी कर दिए जाएंगे, ताकि स्टूडेंट्स बदले हुए एग्जाम पैटर्न के अनुसार अपनी तैयारी पूरी कर लें।
- CBSE की योजना प्रश्न पत्रों में दिए जाने वाले विकल्पों को बरकरार रखने या फिर इसकी संख्या बढ़ाने की भी है, ताकि स्टूडेंट्स पूरे प्रश्न पत्र को हल कर सकें और वे कम-से-कम पास करने लायक नंबर तो जरूर ले आएं।
बदलाव पर CBSE
- इस बारे में सीबीएसई का कहना है कि हो रहे बदलावों से परीक्षार्थियों को बिल्कुल भी घबराने की जरूरतनहीं है, क्योंकि पूरे परीक्षा पैटर्न को नहीं बदला जा रहा है।
- एग्जाम पैटर्न में कुछ ही बदलाव लाए जा रहे हैं, जिसका उद्देश्य पूरी तरीके से स्टूडेंट्स की रचनात्मक क्षमता को निखार कर बाहर लाना है।
- ऑब्जेक्टिव प्रश्नों की वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की जगह पर वर्णनात्मक प्रश्नों की संख्या बढ़ाने के पीछे सीबीएसई का एक उद्देश्य ये भी है कि स्टूडेंट्स भविष्य में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए खुद को तैयार कर सकें। इस स्तर पर वर्णनात्मक प्रश्नों को हल करने से उनका आधार मजबूत होगा।
- मूल्यांकन में ग्रेड प्रणाली को खत्म करके फिर से प्रतिशत में अंक देने की शुरुआत करने के बाद सीबीएसई एग्जाम पैटर्न में बदलाव करके अधिक से अधिक स्टूडेंट्स को परीक्षा पास करने का अवसर देना चाहती है, ताकि उनका मनोबल टूटे नहीं और वे आगे की पढ़ाई के लिए खुद को तैयार कर सकें।
अंग्रेजी और गणित
- सीबीएसई ने दसवीं की अंग्रेजी और गणित की परीक्षा को जो दो स्तरों में बांटने का फैसला किया है, उसमें पहले स्तर पर स्कूल के स्तर पर ही परीक्षार्थियों का मूल्यांकन शामिल है जो कि 20 अंकों का होगा।
- अंग्रेजी और गणित दोनों विषयों में स्कूल के स्तर पर होने वाले इस मूल्यांकन में छात्रों को 20-20 में से अंक मिलेंगे।
- जो स्टूडेंट्स स्कूल के स्तर पर इस पहले स्तर के मूल्यांकन को पार कर लेंगे, वही अंग्रेजी और गणित विषयों की दूसरी यानी की थ्योरी परीक्षा दे पाएंगे।
- इस तरह से अंग्रेजी और गणित की जो मुख्य परीक्षा होगी, वह 100 अंकों की बजाय 80-80 अंको की ही रह जाएगी।
गणित में एक और बदलाव
- वैसे, गणित में भी अब परीक्षार्थी 2 तरीके से परीक्षा का चुनाव कर पाएंगे। एक पेपर गणित का मैथमेटिक्स स्टैंडर्ड के नाम से होगा जो कि थोड़ा कठिन होगा, जबकि गणित का दूसरा पेपर मैथमेटिक्स बेसिक के नाम से होगा, जिसकी कठिनाई का स्तर कम होगा।
- जो स्टूडेंट्स मैथमेटिक्स बेसिक का चुनाव करेंगे, वे हायर स्टडीज यानी कि उच्चतर शिक्षा के दौरान गणित विषय लेकर पढ़ाई नहीं कर पाएंगे।
- यह बदलाव इसलिए किया गया है, ताकि इंजीनियरिंग, मेडिकल और तकनीकी शिक्षा से इतर वाणिज्य या फिर मानविकी संकाय के साथ उच्च शिक्षा पाने का लक्ष्य निर्धारित किए स्टूडेंट्स को गणित की वजह से 10वीं स्तर पर ही कठिनाई का सामना न करना पड़े।
चलते-चलते
सीबीएसई की ओर से जो दसवीं परीक्षा पैटर्न में बदलाव को लेकर कदम उठाए गए हैं, वे निश्चित तौर पर पढ़ाई के नकारात्मक दबाव को कम करने में असरदार और स्टूडेंट्स के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं। बताएं, इन प्रस्तावित बदलावों को आप किस नजरिये से देखते हैं?