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बैंकिंग रेगुलेशन (संशोधित कानून ), 2017

आजादी के बाद से सम्पूर्ण भारत में बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 लागू किया गया है। दरअसल 16 मार्च 1949 को इस अधिनियम को लागू लिया गया था और 1मार्च 1966 को यही अधिनियम ‘बैंकिंग नियंत्रण अधिनियम’ में बदल दिया गया। तब से समय-समय पर इस अधिनियम में संशोधन और परिवर्तन किए जाते रहे हैं। इस संबंध में मई 2017 में भारत सरकार द्वारा एक बड़ा फैसला लिया गया । इस फैसले में बैंकों को डूबे हुए ऋणों से मुक्ति दिलाने के लिए बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में बदलाव करने के लिए एक अध्यादेश राष्ट्रपति के पास भेजा गया । इस अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गयी और सरकार ने बैंकिंग संशोधन अधिनियम को अधिसूचित कर दिया है।

इस अध्यादेश के संबंध में मुख्य तथ्य कुछ इस प्रकार हैं:

बैंकिंग संशोधन एक्ट से जुड़े कुछ मुख्य तथ्य :

24 जुलाई 2017 को लोकसभा में वित्त मंत्री द्वारा बैंकों को स्ट्रेस एसेट्स से जुड़े मामलों के निपटारे के लिए बैंकिंग एक्ट 1949 में एक संशोधन एक्ट को प्रस्तुत किया। दरअसल स्ट्रेस एसेट्स वो धन राशि होती है जो फंसे हुए ऋण के रूप में बैंकों के पास एकत्रित हो जाती है और बैंक उनका भुगतान प्राप्त करने में असफल रहते हैं। इसलिए बैंकिंग अधिनियम 1949 में एक बड़े संशोधन के नितांत आवश्यकता थी। इसी अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए और बैंकों की सहायता के उद्देश्य से बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट (संशोधन)2017 को लाने का निर्णय लिया गया। यह एक्ट बैंकिंग रेगुलेशन अध्यादेश 2017 का स्थान लेगा।

इस एक्ट के अनुसार केन्द्रीय सरकार रिजर्व बैंक अब बैंकों को उस स्थिति में निर्देश जारी करने के लिए अधिकृत कर सकती है जहां बैंक स्ट्रेस एसेट्स के पुनर्भुगतान को प्राप्त करने की कार्यवाही करने की आवश्यकता समझते हों। यह कार्यवाही दिवालियापन और बैंक शोधन क्षमता संहिता 2016 के अंतर्गत होगी।

इस संशोधन के अनुसार बैंक अब परिस्थितिनुसार फंसे हुए ऋणों के पुनर्भुगतान प्राप्त करने के लिए विभिन्न अधिकारियों या समितियों का गठन भी कर सकते हैं। यह व्यवस्था रिजर्व बैंक के द्वारा अनुमोदित और अनुशंसित होगी।

आजादी के बाद लागू किया गया बैंकिंग अधिनियम 1949 स्टेट बैंक और उसकी सहायक कंपनियों पर लागू नहीं था। लेकिन यह संशोधित अधिनियम इन सभी बैंकों के साथ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकिंग कंपनियों पर भी लागू होगा।

इस संशोधन की सहायता से सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों में स्ट्रेस एसेट के रूप में फंसे लगभग 6 करोड़ से अधिक की राशि के प्राप्त होने का अनुमान है।