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Assam Mizoram Border Dispute: जानिये इस सीमा विवाद के पीछे की कहानी



असम-मिज़ोरम बॉर्डर के बीच तनाव (Assam-Mizoram border dispute) इस समय फिर से सुर्ख़ियों में है। बता दें कि 17 अक्टूबर को माहौल और ज्यादा खराब हो गया जब बॉर्डर पर दो गुटों के बीच हिंसक झड़प देखने को मिली। असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने रविवार की रात को ही बॉर्डर की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय और केन्द्रीय ग्रह मंत्रालय को सौंप दी है।

मिजोरम के सीएम जोरामथांगा ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से बात करने की कोशिश की है।

17 अक्टूबर की घटना इतनी भयावह थी कि असम के कछार जिले और मिजोरम के कोलासिब जिले के सीमावर्ती ईलाकों में सुरक्षा बल को तैनात करना पड़ा है।

इस लेख के मुख्य बिंदु-

17 अक्टूबर के असम-मिजोरम बॉर्डर डिस्प्यूट में क्या हुआ था?

India Today  की रिपोर्ट्स के अनुसार शनिवार को असम के कछार जिले के लायलपुर इलाके में असम और मिज़ोरम के दो गुटों के बीच में हिंसक झड़प हुई। इस झड़प के कारण कई लोग गंभीर स्थति में घायल हो गये थे।

असम-मिज़ोरम बॉर्डर के लैलापुर इलाके में भी कई लोगों ने काफी ज्यादा झोपड़ियों में आग लगा दी थी।

इस सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 1990 के दशक से ही कई प्रयास किये गये हैं

भारत के दो उत्तर पूर्वी राज्यों असम और मिज़ोरम के बीच सीमा विवाद अपने चरम पर है। हिंसा बार-बार हो रही है। सीमा पर सुरक्षा बल तैनात कर दिए गये हैं। आपको बता दें कि ऐसा नहीं है कि इस विवाद को कभी सुलझाने की कोशिश नहीं की गई हैं। बल्कि 1990 के दशक से ही इस सीमा विवाद को खत्म करने के लिए दोनों राज्यों की सरकारों ने कई बार कोशिश की है।

इस विवाद को सुलझाने के लिए दोनों राज्यों की सरकारों के बीच में कई बार वार्ता भी हो चुकी हैं। इसके साथ ही बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन और 1993 के इनर लाइन ऑफ लुशाई हिल्स नोटिफिकेशन के आधार पर भी दोनों राज्यों की सरकार ने इस विवाद को सुलझाने की कोशिश की थी। लेकिन नतीजा कुछ निकलकर सामने नहीं आया था।

इस बीच कुछ सवाल उभरकर आते हैं कि आखिर ये विवाद है क्या? और कितना पुराना है ये विवाद?

असम-मिजोरम बॉर्डर डिस्प्यूट की शुरुआत कैसे हुई थी?

ब्रिटिशकाल में असम एक बहुत बड़ा राज्य हुआ करता था।  तब का नक्शा भी अलग हुआ करता था। तब की नॉर्थ ईस्ट की टेरिटरी में दो किंगडम को छोड़कर बाकी सब असम की टेरिटरी में आया करता था। वो दो इंडिपेंडेंट किंगडम थे मणिपुर और त्रिपुरा।

असम-मिजोरम बॉर्डर डिस्प्यूट के कुछ और फैक्ट्स

विवाद में कौन कौन उलझा है?

क्या यह एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है?

भारत की सियासत की एक बहुत बड़ी विडंबना रही है कि यहां पर किसी भी मुद्दे का हल ढूँढने से पहले उस पर राजनीति की जाती है। सभी राजनीतिक पार्टियाँ इस जुगत में रहती हैं कि कैसे किसी भी मुद्दे को चुनाव के लिए उपयोग में लाया जाए। यही साल 2018 के मिज़ोरम के चुनाव में भी देखने को मिला था। तब इस मुद्दे को काफी उछाला गया था। काफी ज्यादा लड़ाइयाँ भी देखने को मिली थी।

सरांश

आपको बता दें कि 1875 के रूल्स के कारण दोनों राज्यों के बीच सीमा का बटवारा ढ़ंग से नहीं हो पाया था। शुरुआत में तो मिज़ोरम ने हामी भर दी थी। लेकिन बाद में मिज़ोरम की सरकार ने असम के ऊपर उनकी जमीन को हड़पने का इल्जाम लगाया था। जिसके बाद से ही इस मुद्दे ने विवाद का रूप ले लिया था।