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“अम्मा”: एक महान शख्सियत

सन 1948 में मैसूर में जन्मी जयललिता जयराम को भारत की सशक्त महिला का एक आदर्श उदाहरण माना जा सकता है। इन्होंने अपने जीवन काल में अपनी कुशलताओं के आधार पर एक कलाकार और राजनेता की हैसियत से बहुत कुछ हासिल किया है। आइये इनके दिलचस्प जीवन के बारे में जानते है।

जयललिताजी ने 15 साल की उम्र में ही अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत की थी। उनकी पहली फिल्म “एपिस्टल” थी जो 1961 में रिलीज हुई थी। अपने जमाने में उन्हें एक बोल्ड हीरोइन माना जाता था जो उस जमाने की मॉडर्न सोच का प्रतिनिधित्व करती थी। उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर के दौरान तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवार्ड, तमिलनाडु सिनेमा फैन अवार्ड, तमिल फिल्मफेर अवार्ड और मद्रास फिल्म एसोसिएशन अवार्ड जैसे कई अवार्ड बतौर बेस्ट एक्ट्रेस जीते थे। 1960 से 1970 के बीच उन्होंने तमिल एक्टर एम्. जी. रामचंद्रन के साथ कई हिट फिल्मे दी। उन्होंने सन 1980 तक वे फिल्मो में काम करती रही और उसके बाद उन्होंने अपने सफल राजनैतिक करियर की शुरुआत की।

सन 1982 में वे श्री एम्. जी. रामचंद्रन द्वारा रचित राजनैतिक पार्टी AIADMK से जुडी। 1983 में उन्हें पार्टी के प्रचार प्रसार का सचिव बनाया गया। उसी साल उन्होंने तिरुचेंदूर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के लिए चुनाव लड़ा। उन्हें 1984 में राज्य सभा के सदस्य के तौर पर चुना गया था। इस पद पर उन्होंने 1989 तक सेवा दी। 1984 में श्री एम्. जी. रामचंद्रन, खुद की तबियत नादुरस्त होने के कारण अमरीका चले जाने के बाद, जयललिताजी पार्टी में अब अगुवा स्थान पर थी। उसी साल चुनाव में कांग्रेस और AIADMK ने संयुक्त रूप से एक महत्वपूर्ण जीत हासिल की।

जयललिताजी तमिलनाडु विधान सभा में विरोधी पार्टी की नेता बनने वाली प्रथम महिला थी। 1991 में वे तमिलनाडु की सबसे छोटी उम्र की और सिर्फ दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनी! इसके बाद उन्होंने इस पद पर 2002 से 2006 तक चुनाव जीतकर अविरत सेवाएं दी। 2011 में फिर से चुनाव जीतकर चौथी बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी।

जयललिताजी के करियर में कई उतार चढ़ाव आये। 2014 में उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप लगे और उनपर मुक़दमा चलाया गया। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया । उन्हें इस मुक़दमे के बाद चार साल की कैद और जुर्माने की सजा भी सुनाई गई थी। लेकिन उन्होंने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने उन्हें निर्दोष करार दिया, जिसके बाद उन्होंने 2015 में चुनाव जीतकर पांचवी बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बनने का कीर्तिमान स्थापित किया। 2016 में वे छठी बार मुख्यमंत्री बनीं !

सितंबर 2016 में उन्हें डिहाइड्रेशन और इन्फेक्शन के चलते चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में दाखिल किया गया। वे उनकी इस बिमारी से कभी उभर नहीं पायी और उनका स्वास्थ्य बिगड़ता चला गया। आखिरकार 5 दिसंबर 2016 को आधिकारिक तौर पर उन्हें मृत घोषित किया गया। भारत की प्रजा उनके आकर्षक व्यक्तित्व और लोगों के प्रति के प्रति उनके “अम्मा” जैसे प्यार को कभी भुला नहीं पायेगी।