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गांधी जयंती – गांधीजी के जन्मदिवस का प्रतीक



2 अक्तूबर का दिन पूरे भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन को गांधी जयंती के रूप में वर्ष 1948 में उनकी हत्या के बाद से लगातार मनाया जाता आ रहा है। आइये देखें गांधी जी के जीवन से जुड़े कुछ जाने अंजाने तथ्य जिनकी आपको जानकारी हो सकती है ।

प्रारम्भिक जीवन :

2 अक्तूबर 1869 को पोरबंदर ग्राम में श्री करमचंद गांधी और श्रीमति पुतलीबाइ के परिवार में जन्म लिया और मोहनदास नाम दिया गया।  उस समय की प्रथा के अनुसार मात्र 13 वर्ष की अवस्था में इनका विवाह कस्तूरबा माखन जी के साथ कर दिया गया। सात्विक माता-पिता की संतान होने के कारण मोहनदास के अंदर बचपन से ही अहिंसा, शाकाहार, आत्मशुद्धि के लिए व्रत पालन और सभी धर्मों को एक समान मानने के संस्कार थे। 15 वर्ष की अवस्था में इनका गृहस्थ जीवन आरंभ हुआ जब मोहनदास जी के घर पहली संतान ने जन्म लिया। दुर्भाग्यवश उसका जीवन काल छोटा था लेकिन बाद में मोहनदास जी के चार पुत्र हुए। इस समायावधि में मोहनदास जी ने अपनी आरंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में पूरी करी। एक औसत छात्र के रूप में शिक्षार्थी के रूप में 1887 में अहमदाबाद से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करी।

व्यावसायिक जीवन:

अपने  पारिवारिक व्यवसाय, दीवानी को अपनाने के उद्देशय से गांधी जी 1888 वर्ष में वकालत पढ़ने के लिए इंग्लैंड चले गए। अपने लंदन वास में पूर्णतया शाकाहारी जीवन जीते हुए गीता पढ़ने की भी शुरुआत करी। 1891 में भारत लौटकर इन्होनें बॉम्बे में वकालत शुरू करी लेकिन उसमें कोई खास सफलता नहीं मिली। 1893 में एक फर्म के अनुबंध के आधार पर वहाँ की वकालत स्वीकार करी और 24 वर्ष में दक्षिण अफ्रीका चले गए।

क्रांतिकारी परिवर्तन :

गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए नस्ल भेद-भाव का सामना करना पड़ा और     यहीं से इनके जीवन में राजनैतिक विचारधारा का प्रवेश हुआ। वहाँ घटने वाली नस्ली भेदभाव ने गांधी जी की मानसिकता में ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध आवाज उठाने की शक्ति आ गई। परिणामस्वरूप  भारत वासियों के पहचान और सम्मान के लिए गांधी जी ने आवाज उठानी शुरू कर दी।

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम :

1914 में भारत लौटने तक गांधी जी एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में स्थापित हो चुके थे। यहाँ रामकृशन गोखले के विचारों से प्रभावित गांधी जी ने भारत के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया और किसानों की समस्याओं को सुलझाने का बीड़ा उठाया। सबसे पहला विद्रोह गांधी जी की सहायता से चंपारण और खेड़ा गाँव के किसानों को कर मुक्ति के रूप में सामने आया । 1920 में कांग्रेस नेता बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु के पश्चात कांग्रेस का नेतृत्व एक मार्गदर्शक के रूप में सम्हाला । इसके बाद इनके निर्देशन और सहयोग से निम्न आंदोलन सफलता पूर्वक आयोजित किए गए :

  1. 1920 में असहयोग आंदोलन ;
  2. 1930 में अवज्ञा आंदोलन, नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा
  3. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन

गांधी-दर्शन :

महात्मा गांधी का जीवन सामाजिक और धार्मिक एकता, अहिंसा और सत्य वचन जैसे आधारभूत नियमों पर आधारित था। 30 जनवरी 1948 में मृत्यु के बाद सुभाषचंद्र बोस ने उन्हें राष्ट्रपिता का संबोधन दिया। इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2 अक्तूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाने का निर्णय लिया ।