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प्रेम, सहयोग और विश्वास का प्रतीक साबित हुआ अहोम साम्राज्य



जब अहोम साम्राज्य का नाम लिया जाता है, तो इस साम्राज्य के उन योद्धाओं की याद आ जाती हैं, जिन्होंने वैसे वक्त में पठान या मुगल आक्रमणकारियों को असम में अहोम राज्य में प्रवेश नहीं करने दिया, जब लगभग पूरे भारत पर मुगलों ने कब्जा जमा लिया था। अहोम साम्राज्य छह शताब्दी यानी कि 1228 ईस्वी से 1835 ईस्वी तक असम में कायम रहा। यहां हम आपको अहोम साम्राज्य के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं कि किस तरह से उनका शासन यहां जनमानस के बीच भी अपनी पैठ बनाने में कामयाब रहा।

कौन थे अहोम?

अहोम साम्राज्य की खास बातें

अहोम साम्राज्य के पतन के बाद

क्यों अलग साबित हुए अहोम?

वर्तमान में अहोम की स्थिति

अंत में

यह बात सही है कि अहोम बाहर से आये और उन्होंने यहां राज किया, लेकिन उन्होंने कभी भी यहां के लोगों को उनकी जाति, उनके धर्म, उनकी परंपराओं या फिर उनकी संस्कृति को मानने के लिए बाध्य नहीं किया, जिनकी वजह से यहां के लोगों ने भी उन्हें एक तरह से अपना लिया। छः शताब्दी तक अहोम यूं ही यहां शासन नहीं कर सके। इसकी वजह यह रही कि यहां शासन करने के लिए उन्होंने अपनी खुद की संस्कृति, भाषा और धर्म तक को ताक पर रख दिया। वे यहां की संस्कृति में रचने-बसने और यहां की संस्कृति का ही हिस्सा बनते चले गये। बताएं, इसे पढ़ने बाद अहोम साम्राज्य के बारे में क्या राय है आपकी?