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26 August – महिला समानता दिवस

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                                                      सतियों के नाम पे तुझे जलाया ,

                                                      मीरा के नाम पे जहर पिलाया !!

                                                          सीता जैसी अग्नि परीक्षा,

                                                           आज भी जग में जारी है !!

                                                           कोमल है कमजोर नहीं तू,

                                                         शक्ति का नाम ही नारी है !!

                                                                                                   साभार –इंदीवर

भारत मे महिलाओं का लगभग हर क्षेत्र मे योगदान बढ़ता जा रहा है। देश मे महिलायें घर चलाने से लेकर देश चलाने तक का कार्य कर रही हैं। किन्तु देश मे आज से लगभग 35 साल पहले तक ऐसी स्थिति नहीं थी। महिलाओं को पंचायतों तथा नगर निकायों मे चुनाव का अधिकार नहीं था। साल 1920 तक महिलाओं को वोट देने का भी अधिकार नहीं था। धीरे-धीरे परिस्थितियां बदलती गयी और महिलाओं की समाज मे पुरुषों के समान स्थिति होती चली गयी। आज के इस लेख मे हम आपको महिला समानता दिवस के बारे मे जानकारी देने जा रहें है। तो चलिए शुरू करते हैं आज का लेख महिला समानता दिवस.

महिला समानता दिवस

महिला समानता दिवस का उद्देश्य

महिला समानता दिवस क्यों मनाया जाता है?

भारत मे महिलाओं को प्रदत्त विशेष अधिकार

दोस्तों हम आपको भारतीय महिलाओं को संविधान द्वारा प्रदान कुछ विशेष अधिकारों के बारे मे जानकारी देने जा रहें है , जो  उन्हें आर्थिक, मानसिक, शारीरिक और यौन शोषण से बचाव मे मददगार हैं।

चलतेचलते

भारत जैसे मातृत्व शक्ति पर विश्वास करने वाले देश, जहाँ देश को धरती माँ कहा जाता है, घरों मे माता के रूप मे नारी की पूजा की जाती है। यहां महिलाओं के समानता अधिकारों के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए महिला समानता दिवस मनाया जा रहा है। यह बात कुछ बेईमानी सी लगती है, किन्तु यह सत्य है भारत मे महिलाओं के कई क्षेत्रों मे आगे बढ़ने के बावजूद औसतन एक नारी खुद को शोषित और पुरुषों के मुकाबले कमतर महसूस कर रही है। समाज से आये दिन यौन-शोषण की ख़बरे,दहेज़ हत्यायें, कन्या भ्रूण -हत्या, लड़की के जन्म पर माँ को दोष देना, शादी न होने पर दोष आदि न जाने कितनी घटनाओं मे एक महिला/बेटी/पत्नी/माँ उस दर्द को सह रही होती है जिसमे उसका खुद का कोई दोष नहीं है। इन घटनाओं के चलते भारत मे महिला सशक्तिकरण और महिला समानता अधिकारों के विषय मे लोगों को जागरूक करना बहुत आवशयक हो जाता है। इसी उम्मीद के साथ कि देश जल्द ही महिला समानता और सशक्तिकरण में पूर्णता प्राप्त करेगा, हम इस लेख को यहीं समाप्त करते हैं। जय हिन्द !