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2013 में जब पहले Indian Defence Satellite का हुआ सफल प्रक्षेपण



सबसे पहले Indian Defence Satellite की बात होती है तो GSAT–7 की याद आ जाती है‚ जिसे भारत ने 30 अगस्त‚ 2013 को लांच किया था। भारत के लिए इस उपग्रह का प्रक्षेपण किया जाना बहुत ही जरूरी था‚ क्योंकि सीमा के दो ओर से भारत को गंभीर चुनौतियां मिल रही थीं। एक ओर जहां पाकिस्तान ने लगातार कभी आतंकवादियों को भारत में दाखिल कराकर तो कभी सीजफायर का उल्लंघन करके भारत के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ रखा था‚ दूसरी ओर LAC (Line of Actual Control) पर चीन भी भारत की जमीन को हथियाने की फिराक में लगा था।

इस लेख में आप जानेंगेः

भारत के पहले रक्षा उपग्रह के बारे में

प्रक्षेपण की प्रक्रिया

प्रक्षेपण के लिए क्यों ली गई दूसरे देश से मददॽ

क्यों पड़ी GSAT–7 की आवश्यकताॽ

रूक्मिणी की खासियत

चलते–चलते

पहले Indian Defence Satellite ने रक्षा क्षेत्र में भारत की स्थिति को पहले से बेहतर और मजबूत बनाने का काम किया। समुद्री क्षेत्र में भी भारत यदि आज पूरी गोपनीयता के साथ सूचनाओं का आदान–प्रदान कर पाने में सक्षम है और समुद्री मिशन को अंजाम देना पूरी सटीकता से साथ संभव हो पाया है‚ तो निश्चित तौर पर यह GSAT-7 की ही देन है। इस उपलब्धि को हासिल किये सात वर्ष बीत गये हैं और इस गौरवमयी क्षण को याद करके आज भी भारत के वैज्ञानिकों व सैन्यकर्मियों के साथ हमारी छाती भी गर्व से फूल जाती है।