विश्व एड्स दिवस 2021 | World AIDS Day

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World AIDS Day

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“एक बच्चे को प्यार, हंसी और शांति दें, एड्स नहींनेल्सन मंडेला”

वैश्विक पटल पर 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में याद किया जाता है। वर्तमान में व्याप्त कोरोना के समान ही एड्स भी एक संक्रामक लाईलाज रोग है। एड्स की संक्रामकता कोरोना से थोड़ा कम है, इसकी तुलना में कोरोना का प्रसार बहुत तेजी से होता है, लेकिन कोरोना की तुलना में एड्स का रिकवरी रेट बहुत कम होता है। आज के लेख में हम आपको विश्व एड्स दिवस एवं एड्स रोग के विषय में सभी जरुरी जानकारी देने वाले हैं। तो चलिए शुरू करते है आज का लेख विश्व एड्स दिवस 2021 .

इस लेख में हम आपके लिए लाये हैं।

  • जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व एड्स दिवस?
  • जाने कब मनाया गया पहला विश्व एड्स दिवस?
  • विश्व एड्स दिवस 2021 की थीम
  • जानिए क्या है एड्स का प्रतीक चिन्ह?
  • क्या होता है एड्स रोग?
  • क्या है एड्स का इतिहास?
  • जानिए कैसे फैलता है एड्स रोग?
  • क्या है एड्स से बचाव के उपाय?
  • विश्व एड्स दिवस से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व एड्स दिवस?

विश्वभर में एड्स रोग से पीड़ित लोगों की मदद के लिए, उनके प्रति सहानुभूति प्रकट करने के लिए, एड्स रोग से अपनी जान गवां चुके लोगों के प्रति संवेदना प्रकट करने के लिए तथा आम जनता में एड्स रोग की जानकारी का प्रचार -प्रसार करने के लिए  विश्व एड्स दिवस का आयोजन किया जाता है।

जाने कब मनाया गया पहला विश्व एड्स दिवस?

यदि हम विश्व एड्स दिवस के इतिहास में देखे तो ज्ञात होता है कि थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न नाम के दो लोगों ने पहली बार साल 1987 में  विश्व एड्स दिवस मनाये जाने का विचार रखा था। ये दोनों ही व्यक्ति डब्ल्यू.एच.ओ.(विश्व स्वास्थ्य संगठन) जिनेवा,के एड्स ग्लोबल कार्यक्रम का हिस्सा थे। इनके विचार पर गौर करते हुए, WHO ने 1 दिसंबर 1988 को पहला विश्व एड्स दिवस मनाये जाने की स्वीकृति प्रदान की थी।

विश्व एड्स दिवस :2021 की थीम

प्रत्येक वर्ष विश्व एड्स दिवस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन एक थीम जारी की जाती है, जिसका उद्देश्य वर्ष भर इस थीम को ध्यान में रखकर एड्स दिवस सम्बंधित कार्यक्रमों का संचालन करना होता है। इसी आधार पर वर्ष 2021 के लिए विश्व एड्स दिवस की थीम – असमानताओं को समाप्त करना और एड्स का खात्मा है। इसकी थीम से ही स्पष्ट है कि एड्स रोग को लेकर जन-सामान्य में जो भ्रांतियां व्याप्त है , उनके कारण एड्स रोगियों के प्रति असमानता का माहौल बन गया है। इसी असमानता को एड्स रोग कि पूर्ण जानकारी के माध्यम से दूर करना है और एड्स रोग के निदान के लिए प्रयास करने हैं।

जानिए क्या है एड्स का प्रतीक चिन्ह?

दोस्तों, आपने कई अवसरों पर खिलाड़ियों, आयोजकों, दर्शकों कोअपनी बांह या सीने पर रेड रिबन का उपयोग करते हुए देखा होगा, इसका उपयोग आम तौर पर  एड्स रोगियों के प्रति अपनी संवेदना तथा सहानुभूति प्रकट करने के लिए किया जाता है। यही रेड रिबन एड्स रोग का प्रतीकात्मक चिन्ह है , जिसे साल 2007  के विश्व एड्स दिवस के अवसर पर व्हाइट हाउस, अमेरिका द्वारा दिया गया था।

क्या होता है एड्स रोग?

एड्स एक HIV नाम के विषाणु या वायरस से होने वाला रोग है, इस HIV वायरस का पूरा नाम ह्यूमन इम्यून डेफिशिएंसी वायरस या मानव की प्रतिरक्षा प्रणाली को ख़राब करने का वाला वायरस होता है। एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम होता है अर्थात ऐसा रोग जो मानव की सक्रिय एवं त्वरित रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देता है।

आइये जानते हैं , एड्स रोग काम कैसे करता है। सबसे पहले यह जानकारी रखना आवश्यक है की एड्स रोग मानव के शरीर में पैदा नहीं होता है , यह संचरण के माध्यम से संक्रामक होकर हमारे शरीर में पहुँचता है। इसके हमारे शरीर में पहुँचने के कई माध्यम हो सकते हैं,जिनका जिक्र हम आगे करेंगे। अभी इसकी कार्य प्रणाली पर ध्यान देते हैं, एड्स का वायरस मानव शरीर में पहुंचकर सबसे पहले हमारी WBC यानि श्वेत रक्त कणिकाओं को नष्ट करता है। श्वेत रक्त कणिकाएँ मानव शरीर की सेना होती है, जो शरीर पर किसी भी बाहरी आक्रमण के प्रति लड़ाई करती हैं। चूँकि मानव की श्वेत रक्त कणिकाओं को इस बात की ट्रेनिंग नहीं दी गयी है(शरीर द्वारा) कि एड्स के वायरस से कैसे लड़ा जाये, जिस वजह से एड्स वायरस उन पर हावी हो जाता है और धीरे-धीरे हमारे शरीर की किसी भी रोग से लड़ने की क्षमता को ख़त्म कर देता है। इस स्थिति में मानव शरीर के लिए छोटी से छोटी बीमारी भी खतरनाक साबित होती है। यही वजह है की एड्स रोग की मृत्यु दर बहुत अधिक है।

क्या है एड्स का इतिहास?

यदि हम एड्स रोग के इतिहास में झांके तो पता चलता है कि इसकी उत्पत्ति बंदरो में हुई थी, चूँकि अफ्रीका के लोगों द्वारा बंदरो को खाया जाता है  तथा उनके साथ यौन सम्बन्ध स्थापित किये जाते थे। इसलिए एड्स का प्रसार बंदरों से मानव में हो गया। सबसे पहली बार साल 1959 में अफ़्रीकी देश कांगों में एक व्यक्ति की मृत्यु इस रोग के कारण हुई टी जिसके खून में HIV वायरस पाया गया था।

1960 के बाद एड्स रोग अफ्रीका से हैती पहुंचा तथा वहां से कैरिबियाई द्वीपों में इसका प्रसार हुआ था। साल 1970 में एड्स ने कैरिबियाई द्वीप से अमेरिका में दस्तक थी , उसके बाद साल 1980 से इसका प्रसार वैश्विक हो गया था।

जानिए कैसे फैलता है एड्स रोग?

  • असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने से.
  • एड्स योग से संक्रमित रक्त के चढ़ाये जाने से.
  • एड्स रोग से संक्रमित व्यक्ति के ब्लेड, रेज़र,सिरिंज, इंजेक्शन आदि के इस्तेमाल से.
  • एड्स रोग से संक्रमित माँ से उसके शिशु में.
  • एड्स रोग से संक्रमित व्यक्ति की लार, धाव और खून के सीधे संपर्क में आने से.

न ही साथ रहने से फैलगा, न ही छूने से फैलेगा, यह तो सिर्फ असावधानी से फैलेगा।-Dr. Mohan Yadav”

क्या है एड्स से बचाव के उपाय?

  • एड्स रोग के सम्बन्ध में उचित जानकारी ही एड्स से बचाव है।
  • विवाह से पहले या विवाह के पश्चात् असुरक्षित यौन सम्बन्धो से बचे। अपने साथी के प्रति वफादार एवं ईमानदार रहें।
  • विवाह से पूर्व लड़के तथा लड़की दोनों द्वारा HIV टेस्ट की जाँच आवश्यक रूप से कराई जाये।
  • अप्राकृतिक समलैंगिक यौन संबंधों से बचे।
  • किसी भी व्यक्ति का रक्त बिना HIV टेस्ट के न चढ़ाये।
  • दूसरों के इस्तेमाल किये हुए ब्लेड, रेज़र, इंजेक्शन तथा ऐसी कोई भी वस्तु जो हमारे शरीर के अंदरूनी भाग से सम्बन्ध रखती है, के उपयोग से बचे।
  • ड्रग्स जैसे धातक जहर से बचे , क्योकि अक्सर देखा जाता है कि ड्रग्स लेने के लिए इस्तेमाल किये गए इंजेक्शन से एड्स रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुँच जाता है।
  • किसी भी ऐसे व्यक्ति जिसकी पूर्ण मेडिकल जानकारी आपके पास नहीं है, उसकी लार के संपर्क में आने से बचे या उसे चुम्बन आदि न करे।
  • यदि कोई महिला HIV संक्रमित है तो प्रसव और शिशु को स्तनपान करने से परहेज करे।

विश्व एड्स दिवस से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  • साल 2020 के अंत तक विश्वभर में मिलियन से अधिक लोगों इस बीमारी से ग्रसित हैं तथा कुल 36 मिलियन लोगों की मौत एड्स बीमारी की वजह से हो चुकी है।
  • भारत में एड्स का पहला मामला साल 1986 में सामने आया था। साल 2020 तक उपलब्ध आंकड़ों  के अनुसार देश में एड्स के रोगियों की संख्या करीब 1 मिलियन के आस-पास है।
  • साल 1996 में संयुक्त राष्ट्र ने एड्स का वैश्विक स्तर पर प्रचार और प्रसार का काम संभालते हुए साल 1997 से विश्व एड्स अभियान की शुरुआत की थी।
  • एड्स को पहली बार साल 1981 में वैश्विक रूप से मान्यता मिली। इस रोग को प्रारम्भ में ग्रिड यानी गे रिलेटिड इम्यून डेफिशिएंसी नाम दिया गया था आगे चलकर 27 जुलाई 1982 को इसे एड्स नाम दिया गया।
  • साल 1983 में फ्रांस के पाश्चर इंस्टिट्यूट के दो वैज्ञानिक, ल्यूक मॉन्टेगनियर और फ्रैंकोइस बर्रे सिनूसी ने HIV वायरस की पहचान की थी तथा साल 1986 में इस वायरस को HIV नाम दिया गया था।
  • आपको जानकर हैरान होगी एड्स रोग के लाईलाज होने के पीछे कारण इसके रिसर्च कार्य के लिए धन की कमी और राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी बताया जा रहा है।

चलतेचलते

मानव सभ्यता को काफी लम्बे समय से प्रभावित करने वाले रोगों में सबसे पहला स्थान एड्स का है। एड्स रोग से लड़ा नहीं जा सकता है केवल बचा जा सकता है , इसके खिलाफ सबसे कारगर हथियार है इसके सम्बन्ध में सही जानकारी है।  विश्व स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ, WHO तथा यूनिसेफ द्वारा विभिन्न कार्यक्रम एड्स की जानकारी के लिए चलाये जाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर भी अनेक कार्यक्रमो के माध्यम से इसके बारे में सही जानकारी प्रदान की जाती है। लोगों के ध्यान को इस ओर खींचने हेतु अंतराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा विभिन्न चर्चित शख्सियतों को इसका ब्रांड अम्बेसडर यानि दूत बनाया जाता है। SAARC के लिए अजय देवगन, शबाना आज़मी, क्रिकेटर सनथ जयसूर्या तथा संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम के लिए ऐश्वर्या राय ऐसे ही HIV/AIDS अभियानों की गुडविल अम्बेस्डर बनायीं जा चुकी हैं। इसी आशा के साथ की मानव सभ्यता एड्स और कोरोना जैसे वैश्विक रोगों से सफलतापूर्वक बाहर निकलने में कामयाब रहेगी, हम आज का यह लेख यही समाप्त करते हैं, जयहिंद।

“गले लगाने या हाथ मिलाने या दोस्त के साथ भोजन करने से एड्स नहीं हो सकता। – मैजिक जॉनसन”

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