India’s GDP Growth 2019 and Economic Slowdown : वजह, प्रभाव और समाधान

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Economic Slowdown India 2019


भारत के आर्थिक विकास का पहिया इस वक्त धीमा पड़ गया है, जिसकी वजह से आर्थिक मंदी (economic slowdown) की सुगबुगाहट तेज हो गयी है। सांख्यिकी मंत्रालय (Ministry of Statistics) ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) की वृद्धि दर (India GDP 2019) महज 5 फीसदी रह गई है, जो पिछले 6 वर्षों के सबसे निचले स्तर पर है। गौरतलब है कि बीते वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में देश की GDP की वृद्धि दर (Indian GDP Grwoth) 8 फीसदी रही थी।

क्या है GDP?

GDP किसी भी देश या फिर उसकी अर्थव्यवस्था के लिए एक निश्चित समय में उस देश में उत्पादित की जाने वस्तुओं और प्रदान की जाने वाली सेवाओं के कुल मूल्य को कहते हैं। इसके बारे में विस्तार से हम आपको पहले भी बता चुके हैं।

प्रभावित क्षेत्र (Effected Sectors)

GDP of India 2019 की वृद्धि दर कम होने का प्रभाव देश के कई क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है, जिसके अधिक समय तक जारी रहने की सूरत में इन क्षेत्रों पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।

विनिर्माण

वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में आंकड़ों के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर पिछले दो वर्षों में सबसे कम रही है। इसकी वृद्धि दर केवल 0.6 प्रतिशत की रही है, जो इसलिए चिंतित करने वाला है, क्योंकि विगत वित्तीय वर्ष में इसी अवधि में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 12.1 फीसदी की रही थी।

कृषि

खेती (Agriculture) भारतीय अर्थव्यवस्था की जान कही जाती है, क्योंकि भारत कृषि प्रधान देश ही है। इस क्षेत्र में भी इस वक्त आर्थिक मंदी (economic slowdown) का असर देखने को मिल रहा है। गौर करने वाली बात है कि विगत वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में कृषि क्षेत्र 5.1 प्रतिशत की विकास दर से बढ़ता जा रहा था, मगर वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में यह महज 2 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।

रियल एस्टेट

इस क्षेत्र में तो सुस्ती पिछली तिमाही से ही दिखने लगी थी। उम्मीद थी कि सुधार आयेगा, लेकिन इस तिमाही में भी वृद्धि दर कुछ खास नहीं रही है। बीते वित्तीय वर्ष यानी कि 2018-19 की पहली तिमाही में 9.6 फीसदी की दर से वृद्धि करने वाले रियल एस्टेट के क्षेत्र (Real Estate Sector) की वृद्धि दर वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में घटकर केवल 5.7 फीसदी ही रह गई है।

ऊर्जा- राष्ट्रीय स्तर पर देश की GDP की वृद्धि दर (Indian GDP Grwoth) भले ही बेहद सुस्त हो, किंतु इसके बावजूद देश में केवल ऊर्जा सेक्टर (Power Sector) ही है, जो इससे अप्रभावित दिख रहा है। विकास दर के मामले में इसका प्रदर्शन बेहद सराहनीय रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जहां इस क्षेत्र में विकास दर मात्र 6.7 फीसदी की रही थी, वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में यह विकास दर बढ़कर 8.6 प्रतिशत ही गयी है।

Indian GDP Growth में गिरावट की वजहें

वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में भारत की GDP वृद्धि दर (India GDP 2019) के कम होने के पीछे निम्नलिखित वजहें हो सकती हैं:

  • इस गिरावट या आर्थिक मंदी (economic slowdown) के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार निजी खर्च में कमी हो सकती है। सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़ों को देखकर तो यही लगता है, क्योंकि  वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में निजी खर्च की वृद्धि दर केवल 3.1 फीसदी ही रही है। यह वर्ष 2012 के बाद सबसे कम रिकॉर्ड की गई है।
  • वर्तमान में जो दो मजबूत राष्ट्रों अमेरिका व चीन के बीच व्यापार युद्ध चल रहा है, उसने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैश्विक सुस्ती को बढ़ा दिया है, जिसकी वजह से भी भारत की GDP वृद्धि दर में गिरावट हुई है, ऐसा माना जा रहा है।
  • नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत की ओर से बीते दिनों एक बयान सामने आया कि मोदी सरकार ने जो अपने पहले कार्यकाल में ढेरों सुधार किये थे, भारत की GDP के विकास दर में गिरावट उसी का नतीजा है।

ऐसे पटरी पर लौटेगा GDP 2019 of India

  • आर्थिक मंदी (economic slowdown) से निजात पाने के लिए सरकार को अल्प और दीर्घ दोनों अवधि के लिए उपाय करने होंगे, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में ढांचागत और चक्रीय दोनों ही वजहों से प्रभावित हो रही है।
  • नकारात्मक धारणाएं विशेषज्ञों के मुताबिक लोगों के बीच कुछ ज्यादा ही घर गयी हैं, जो उन्हें निवेश करने में डर का अनुभव करा रही हैं। इस वजह से भी अर्थव्यवस्था की विकास गति कुंद पड़ गयी है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसे ही दौर से गुजर रही है। भारत के विकास दर (India GDP 2019) में बढ़ोतरी के लिए अर्थव्यवस्था में मौजूद नकारात्मक धारणाओं को मिटाना जरूरी है।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था की जो गति धीमी हुई है, उसमें तेजी लाने के लिये सरकार की ओर से कई कदम उठाये गए हैं। सरकार की इन घोषणाओं का लाभ भारतीय अर्थव्यवस्था को जल्द मिले, ऐसी उम्मीद की जा रही है।
  • विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) से जुड़े मापदंडों को जो सरकार ने संशोधित किया है, उससे भी विदेशी निवेश में बढ़ोतरी की आस लगाई जा रही है।

निष्कर्ष

वर्ष 2024 तक भारत यदि 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को हासिल करने के प्रति गंभीर है तो सरकार को अर्थव्यवस्था (Indian economy) के संदर्भ में बड़ी गंभीरता से विचार कर इसे रफ्तार देने हेतु नए विचारों की खोज करनी होगी।

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